बीजेपी में जाकर भी अक्षय कांति बम को राहत नहीं, हत्या के प्रयास के मामले में अग्रिम जमानत खारिज

मध्यप्रदेश के इंदौर में अक्षय कांति बम पर 17 साल पुराने केस में मारपीट, जान से मारने की धमकी देने जैसी धाराओं के साथ 307 बढ़ाने के आदेश हुए थे। इसी मामले में अग्रिम जमानत का प्रयास कर रहे बम को झटका लगा है। उनकी याचिका खारिज हो गई है... 

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी में जाने के बाद भी अक्षय कांति बम को अभी राहत नहीं मिली है। हत्या के प्रयास के मामले में जिला कोर्ट ने 10 मई को उन्हें पेश होने के आदेश दिए हैं। इसी मामले में अग्रिम जमानत का प्रयास कर रहे बम को झटका लगा है। उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई है। अब वह जल्द हाईकोर्ट में राहत के लिए याचिका लगाएंगे। राहत नहीं मिली तो उन्हें गिरफ्तारी का डर सता रहा है। 

17 साल पुराने केस में बढ़ी धारा

न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी निधि नीलेश श्रीवास्तव की कोर्ट में बम ( Akshay Kanti Bam ) को पेश होना है। 24 अप्रैल को गवाह के बयान के बाद 17 साल पुराने केस में मारपीट, जान से मारने की धमकी देने जैसी धाराओं के साथ 307 बढ़ाने के आदेश हुए थे। साथ ही पुलिस से खजराना थाना में दर्ज अपराध कं. 581/2007 की केस डायरी भी बुलाई है।

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यह है मामला

घटना में तत्कालीन आईजी इंदौर सुरजीत सिंह और उनके पुत्र सतवीर सिंह की सिक्योरिटी एजेंसी को कांतिलाल बम और अक्षय बम ने युनूस पटेल की जमीन खाली कराने का ठेका दिया था। यूनुस के खिलाफ पुलिस ने झूठा लूट का प्रकरण सतवीर की रिपोर्ट पर दर्ज करा दिया था। झूठे साक्ष्य रचने के कारण युनूस लूट के प्रकरण से दोषमुक्त हो चुके हैं। घटना दिनांक 4 अक्तूबर 2007 को लगभग 10:30 बजे से 4:15 बजे के बीच अभियुक्तगण ने फरियादी के गांव में जाकर उसकी भूमि पर फरियादीगण के नौकरों को धमकाया  था तथा उनके साथ मारपीट की थी और वहां कटी हुई रखी सोयाबीन में आग लगा दी गई थी। अभियुक्त कांतिलाल और उसका लड़का अक्षय, सतवीर, सुरक्षागार्ड मनोज, सोनू बंदूक लेकर और अन्य 7-8 लोग भी आए थे, जिनमें से कांतिलाल ने कहा था कि यही युनूस गुड्डू है इसे गोली मारकर जान से खत्म कर दो, तभी रिंकू ने युनूस का हाथ पकड़कर उसे पीछे से खींच लिया था। वह और रिंकू चिल्लाए भी थे कि उन्हें बचाओ उन्हें अभियुक्तगण गोली मार देंगे। प्रकरण में संलग्न फरियादी युनूस के दिनांक 19 अक्तूबर 2007 को लिए गए धारा 161 दं.प्र.सं. 1973 के कथन में भी यह लेख है कि इस पर सतवीर सिंह ने गोली चलाई थी तभी मेरे साथी रिंकू वर्मा ने हाथ पकड़कर खींच लिया जिससे गोली मेरे पास से निकल गई।

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