संजय गुप्ता, INDORE. एक और रिक्त पदों की कमी है, तो वहीं जब पद आते हैं तो फिर योग्य उम्मीदवारों का भी टोटा हो रहा है। जिला जज (अपर सत्र न्यायाधीश) के 21 पदों पर सीधी भर्ती के लिए हाई कोर्ट प्रशासन ने पिछले दिनों भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। प्रारंभिक परीक्षा में करीब 2000 वकील उम्मीदवार (इसमें सात साल वकालत वाले ही शामिल हो सकते हैं) शामिल हुए थे। लेकिन अंतिम रिजल्ट में एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिला है।
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118 मेन्स के लिए पास तो 4 इंटरव्यू के लिए मिले थे
दो हजार उम्मीदवारों ने प्री दी थी और इसमें से मुख्य लिखित परीक्षा के लिए 118 दावेदारों को शॉर्ट लिस्ट किया गया था। इनमें से इंटरव्यू के लिए चार उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट किया गया, लेकिन एक भी दावेदार जिला जज के लिए चयनित नहीं हो पाया। ये सभी इंटरव्यू पास करने के लिए जरूरी 40 फीसदी अंक भी हासिल नहीं कर पाए।
इंटरव्यू में 50 में से 20 अंक लाने थे
कुल 50 अंक के इंटरव्यू में 20 अंक न्यूनतम हासिल करना थे, लेकिन इस आंकड़े तक कोई भी वकील नहीं पहुंच पाया। हाई कोर्ट प्रशासन जिला जज के पदों की भर्ती करता है। मुख्य परीक्षा क्लियर करने के बाद शॉर्ट लिस्ट हुए दावेदारों के इंटरव्यू हाई कोर्ट जजेस लेते हैं। 20 मार्च को हाई कोर्ट ने इंटरव्यू के बाद सूचना जारी की। इसमें उल्लेख किया कि जिन्हें शॉर्ट लिस्ट किया गया था। उनमें से एक भी चयनित नहीं हो पाया। इस वजह से सभी 21 पद खाली रह गए हैं।
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न्याय करने वाला बनना है, चयन के मापदंड कठिन रखे गए
जानकारों के अनुसार न्याय करने वाला बनना है तो नियम मापदंड तो कड़े होंगे ही। सिविल प्रोसिजर कोड (सीपीसी), क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (सीआरपीसी) की सटीक जानकारी व सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसलों के बारे में दावेदारों से बारीकी से पूछा जाता है। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी (जेएमएफसी) भी कोर्ट से परमिशन लेकर जिला जज की परीक्षा देते हैं। वह भी चयनित नहीं हो पाए हैं। मुख्य परीक्षा क्लियर भी हो जाए तो इंटरव्यू पास करना आसान नहीं होता है। वहीं वकीलों की बात की जाए तो सात साल की वकालत का अनुभव होने के बाद ही जिला जज की परीक्षा के लिए पात्र हो पाते हैं।