इंदौर के रीगल तिराहे एमजी रोड पर स्थित सबसे बड़े और पुराने शोरूम में से एक पाकीजा पर अवैध हिस्सा तोड़ने के बाद भी निगम की सख्त कार्रवाई अभी बाकी है। नगर निगम की जांच में केवल अवैध निर्माण ही नहीं पाया गया था, बल्कि संपत्तिकर की भी चोरी पाई गई थी। इस मामले में अब निगम की ओर से उन्हें 20 लाख रुपए भरने का नोटिस जारी किया गया है। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि संपत्तिकर नहीं भरने पर शोरूम सील करने की कार्रवाई की जाएगी।
ग्राउंड से थर्ड फ्लोर तक कमर्शियल यूज
निगमायुक्त शिवम वर्मा द्वारा पाकीजा की कराई गई नपती में ग्राउंड फ्लोर, बेसमेंट से लेकर थर्ड फ्लोर तक कमर्शियल यूज पाया गया। सबसे ज्यादा कमर्शियल यूज एरिया तो बेसमेंट में ही 6522 एरिया पाया गया है। बीते वित्तीय साल तक का 17.53 लाख रुपए का संपत्तिकर बकाया था और इस वित्तीय साल 2024-25 का 2.57 लाख रुपए भी देय है। इस तरह कुल 20 लाख रुपए का संपत्तिकर बकाया है जिसका नोटिस जारी हो चुका है।
संपत्तिकर भरने का नोटिस इन्हें गया
संपत्तिकर का नोटिस मेसर्स पाकीजा रिटेल प्राइवेट लिमिटेड तर्फे डायरेक्टर मोहम्मद मकसूद हुसैन गोरी पिता स्वर्गीय नूर मोहम्मद गोरी व अन्य के नाम पर गया है। इसके पहले अवैध हिस्सा हटाने का नोटिस मंजूर हुसैन गोरी पिता नूर, रुखसाना पित मंजूर हुसैन, मकसूद हुसैन गोरी पिता नूर मोहम्मद, शाहेदा बी पति मकसूद हुसैन, इकबाल हुसैन गोरी पिता अहमद हुसैन, रईसाबी पति इकबाल हुसैन, महबूब हुसैन गोपी पिता नूर मोहम्मद, मेहरूनबी पति मेहबूब हुसैन व अन्य को भेजा गया था।
द सूत्र इम्पैक्ट : पाकीजा को तोड़ने का नोटिस, गुरुवार को चलेगा बुलडोजर
बेसमेंट में गोदाम नक्शा, फिर वह यूज क्यों नहीं?
नगर निगम द्वारा पाकीजा की मल्टी का जो नक्शा पास है इसमें बेसमेंट में गोदाम पास है और ओपन टू स्काई मल्टी है। लेकिन फर्स्ट फ्लोर को सीमेंट-कांक्रीट से भर दिया गया है। साथ ही बेसमेंट का पूरी तरह से कमर्शियल यूज किया जा रहा है। वह भी पूरी मल्टी में सबसे ज्यादा 6522 एरिया का। जबकि ग्राउंड फ्लोर पर 1758, फर्स्ट पर 1780, सेकंड पर 1710 और थर्ड फ्लोर पर 5039 एरिया कमर्शियल यूज में है। द सूत्र ने कार्रवाई से पहले, नपती के दौरान व अन्य समय पाकीजा के बेसमेंट में जाकर फोटो ली और देखा तो यहां पूरी तरह से कमर्शियल शोरूम संचालित पाया गया और यह सालों से इस तरह संचालित हो रहा है। गोदाम जैसा कुछ भी नहीं है।
पाकीजा का अवैध निर्माण तोड़ने के लिए पहली बार चले नगर निगम के हथौड़े
बेसमेंट पर अभी कार्रवाई बाकी है
नक्शे के विपरीत बेसमेंट का उपयोग होने के विरूद्ध निगम द्वारा सितंबर माह में नोटिस दिया गया था और उन्हें नक्शे के अनुरूप इसका उपयोग करने के लिए कहा गया। नोटिस के विरुद्ध वह 1 अक्टूबर को हाईकोर्ट से एक माह का स्टे ले आए। अब दिवाली बाद इसमें सुनवाई होगी इसके लिए निगमायुक्त ने अनुभवी अधिवक्ताओं को लगाया है। हाईकोर्ट से स्टे हटते ही बेसमेंट व अन्य अवैध हिस्सों पर निगम का बुलडोजर चलने के लिए तैयार है या फिर नक्शे में बताए अनुसार पूरे शोरूम को बंद कर इसे गोदाम में बदलना होगा।
इंदौर में पाकीजा की नपती, बेसमेंट से टॉप फ्लोर तक निकला अवैध निर्माण
निगम की नपती में ये अनियमितता सामने आई थी
- जोन 11 वार्ड 55 के तहत भूखंड 564 एमजी रोड पर भवन सिटी प्लाजा व सिद्दार्थ प्लाजनिर्मित है। भवन निरीक्षण व नपती के दौरान नक्शा स्वीकृति के विपरीत अवैध निर्माण व अधिभोग पाया गया।
- बेसमेंट से छत लेवल तक ओटीएस (ओपन टू स्काय) है, लेकिन मौके पर भूतल पर संपूर्ण बेसमेंट की छत को कांक्रीट स्लैब निर्माण कर ढक दिया गया। इस तरह इसका व्यावसायिक शोरूम बनाकर उपयोग किया जा रहा है।
- बेसमेंट में सिटी प्लाजा 210 वर्गमीटर एरिया व सिद्दार्थ प्लाजा 288 वर्गमीटर गोदाम उपयोग के लिए स्वीकृत है। मौके पर इससे अधिक एरिया उपयोग में हैं और वह भी गोदाम की जगह पर व्यावसायिक उपयोग है
- नक्शे के विपरीत आंतरिक परिवर्तन किया गया है और संयुक्तीकरण किया गया है। साथ ही व्यावसायिक गतिविधि शोरूम का संचालन किया जा रहा है
- निगम ने चार मंजिला निर्माण की मंजूरी दी थी, लेकिन चौथी मंजिल की छत पर भी बिना मंजूरी के ही निर्माण कर व्यावसायिक संचालन किया जा रहा है। फायर सेफ्टी सिस्टम पर्याप्त नहीं है।
बेसमेंट में नोटिस पर इस तरह पहले बचा था पाकीजा
जोन 11 में आने वाले शोरूम को बिल्डिंग ऑफिसर ने बेसमेंट के गलत उपयोग को लेकर क्लियर करने का सितंबर माह में भी नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के खिलाफ ग्रुप के मंजूर हुसैन गोरी, रुखसाना, मकसूद हुसैन गोरी, शाहिदा बी, इकबाल हुसैन गोरी, रईसा बी, महबूब हुसैन गोरी, महरून बी ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी। इसमें इंदौर नगर निगमायुक्त और बिल्डिंग आफिसर जोन 11 को पार्टी बनाया गया। इसमें निगम की ओर से ही दो बार समय मांग लिया गया, जिससे पाकीजा को एक महीने से ज्यादा की मोहलत पहले ही मिल गई। खुद निगम द्वारा समय मांगने के चलते मामले में सीधे तारीख आगे बढ़ गई और मेरिट पर कोई फैसला हुआ ही नहीं। द सूत्र ने इस खेल का खुलासा किया और इसके बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा के संज्ञान में मामला आया और उन्होंने फाइल बुलाकर इसमें नपती करने का आदेश दिया। इस नपती में भारी अनियमितता सामने आ गई।
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