MP के 4 शहरों में लगेंगे न्यूक्लियर पावर प्लांट, केंद्र से मिली मंजूरी

भारत सरकार के उपक्रम न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने मध्यप्रदेश में चार नए न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है।

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Raj Singh
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भारत सरकार के उपक्रम न्यूक्लियर पॉवर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) ने मध्यप्रदेश में चार नए न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है। इन प्रोजेक्ट्स के लिए नीमच के बासी, देवास के बावड़ीखेड़ा, सिवनी के किंडराई और शिवपुरी के खाकरोन में स्थानों का चयन प्रारंभिक रूप से किया गया है। एनपीसीआईएल इन जगहों का डिटेल सर्वे जल्दी ही करेगा। इस सर्वे को मंजूरी देने के लिए केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने एक अहम बैठक बुलाई है।

अगर सब कुछ सही रहा, तो अगले दो से तीन साल में इन न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो सकता है। इस परियोजना के बारे में जानकारी केंद्र सरकार के उपक्रम एनटीपीसी द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को दे दी गई है। इसके अलावा, महाप्रबंधक (न्यूक्लियर इंजीनियरिंग) एपी सामल को इस प्रोजेक्ट के समन्वय का जिम्मा सौंपा गया है। बताया जा रहा है कि न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स से प्रदेश में रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे।

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तीन साल का लग सकता है समय

मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग ने इन जिलों के कलेक्टरों को यह निर्देश दिया है कि वे सर्वे में पूरा सहयोग करें। सर्वे के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऑटोमिक एनर्जी रेग्यूलेटरी बोर्ड के मापदंडों के हिसाब से सभी आवश्यक शर्तें पूरी हो रही हैं या नहीं। इन चार प्रोजेक्ट्स में कुल 1200 मेगावॉट की दो यूनिट्स के साथ कुल छह यूनिट्स प्रस्तावित हैं। इन परियोजनाओं के लिए 1200 से 2 हजार एकड़ तक जमीन की जरूरत होगी। ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि इन स्थानों का प्रारंभिक रूप से चयन किया गया है और इन प्रोजेक्ट्स से राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब तीन साल लग सकते हैं।

इन चारों जगहों का चयन इस तरह से किया गया है कि इन जगहों के आसपास कोई बड़ी आबादी नहीं है, जिससे किसी भी तरह की जनसंख्या से संबंधित समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

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चुने गए चारों जगहों की मौजूदा स्थिति इस प्रकार है

  • बासी, नीमच – नीमच शहर से 65 किमी दूर स्थित यह स्थान गांधी सागर डैम से 5 किमी की दूरी पर है। यहां 5 किमी तक कोई बड़ी आबादी नहीं है और यहां सेंड स्टोन पाया जाता है।
  • बावड़ीखेड़ा, देवास – यह स्थान ओंकारेश्वर शहर से 27 किमी और इंदिरा सागर बांध से 24 किमी दूर है। यहां भी 5 किमी तक कोई बड़ी जनसंख्या नहीं है और सेंड स्टोन पाया जाता है।
  • किंडराई, सिवनी – घंसौर शहर से 15 किमी और बरगी डेम से 2 किमी दूर स्थित, इस स्थान से 5 किमी तक कोई बड़ी आबादी नहीं है। यहां बेसाल्ट रॉक पाया जाता है।
  • खाकरोन, शिवपुरी – मुंगावली शहर से 23 किमी दूर और राजघाट रिजर्व वायर से 4.5 किमी की दूरी पर स्थित, इस स्थान से 5 किमी के दायरे में कोई बड़ी जनसंख्या नहीं है। यहां सेंड स्टोन पाया जाता है।

सर्वे के दौरान इन बिंदुओं पर जांच की जाएगी:

  • डेम या रिजर्व वायर है। मिट्टी कैसी है (सोइल स्ट्रेटा)।
  • आसपास जनसंख्या ज्यादा तो नहीं है।
  • जमीन के नीचे कोई फॉल्ट या भूकंप जैसी परिस्थितियां भविष्य में तो नहीं बनेंगी।
  • बाढ़ या भूस्खलन जैसी स्थिति तो नहीं है।

FAQ

प्रोजेक्ट्स के लिए स्थानों का चयन क्यों किया गया है?
इन स्थानों का चयन इस कारण से किया गया है कि ये जगहें बड़ी आबादी से दूर हैं, जिससे किसी भी जनसंख्या से संबंधित समस्या उत्पन्न नहीं होगी।
इन न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स में कितनी बिजली का उत्पादन होगा?
इन चार प्रोजेक्ट्स में कुल 1200 मेगावॉट की दो यूनिट्स के साथ कुल छह यूनिट्स प्रस्तावित हैं, जिससे राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।
इन परियोजनाओं के लिए कितनी जमीन की आवश्यकता होगी?
इन चार प्रोजेक्ट्स के लिए 1200 से 2000 एकड़ तक जमीन की आवश्यकता होगी, जो न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के निर्माण के लिए पर्याप्त होगी।
सर्वे के दौरान किन-किन बिंदुओं की जांच की जाएगी?
सर्वे के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं की जांच की जाएगी। जैसे- क्या यहां डेम या रिजर्व वायर हैं। मिट्टी की संरचना (सोइल स्ट्रेटा) कैसी है। आसपास की जनसंख्या का घनत्व अधिक तो नहीं है।

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