नर्सिंग घोटालाः राहुल राज व्यापमं महाघोटाले का जांच अधिकारी रह चुका है, गृहमंत्री अवार्ड भी मिला

मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाले का सरगना सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज को लेकर CBI ने कहा है की राहुल राज को व्यापमं महाघोटाले से जुड़े कई अहम केस की जांच भी सौंपी गई थी। रिश्वतखोरी के मास्टरमाइंड को गृहमंत्री अवार्ड मिल चुका है। अब पुराने केस खंगालेगी CBI...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. नर्सिंग घोटाला : नर्सिंग कॉलेजों से रिश्वत मामले में गैंग का सरगना सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज की भूमिका सिर्फ नर्सिंग घोटाले तक सीमित नहीं है। सीबीआई ( CBI ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि राहुल राज को व्यापमं महाघोटाले से जुड़े कई अहम केस की जांच भी सौंपी गई थी। कहा जा रहा है कि राहुल राज का अधिकारियों पर भी गहरा प्रभाव था। इसलिए उसे गृहमंत्री अवॉर्ड भी मिला था। अधिकारियों को इस बात के भी पक्के सबूत मिल चुके हैं कि राहुल ने ही सीबीआई के दूसरे अधिकारियों को रिश्वत के खेल में शामिल किया था। सीबीआई के डीएसपी आशीष प्रसाद, रिषिकांत असाठे और सुशील मजोका को भी उसने ही प्रलोभन देकर गुमराह किया था।

राहुल की बर्खास्तगी का 24 घंटे के अंदर फैसला

राहुल राज ने नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के लिए वसूली गैंग बनाने का खुलासा होने के बाद सीबीआई की साख पर बट्टा लगा है। सीबीआई की विजिलेंस टीम को जैसे ही उसके खिलाफ पुख्ता सबूत हाथ लगे उसने छापा मारने में देरी नहीं की। सीबीआई दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि राहुल ने क्रेडिबिलिटी के साथ धोखा किया है। उसे सीबीआई दिल्ली ने रंगे हाथों रिश्वत के साथ पकड़ा है। दलालों के साथ उसके ऑडियो मिले हैं। उसके खिलाफ पक्के सबूत हैं। इसी आधार पर 24 घंटे के भीतर उसे बर्खास्त करने का फैसला हुआ है। वे कहते हैं कि डीएसपी आशीष प्रसाद की भूमिका अभी जांच के घेरे में है, इसलिए उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है।

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एमपी का नर्सिंग सिस्टम 3 साल पीछे हो गया

इस घोटाले से एमपी का पूरा नर्सिंग सिस्टम फिर 3 साल पीछे चला गया है। एमपी में नर्सिंग कॉलेज में हुए घोटाले को उजागर करने वाले लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष और एडवोकेट विशाल बघेल का कहना है कि सीबीआई की रिपोर्ट के बाद ही हाईकोर्ट ने एमपी के नर्सिंग कॉलेजों के 40 हजार बच्चों की परीक्षा कराने के आदेश दिए थे। चार साल की पढ़ाई के बाद बच्चे पहली बार परीक्षा दे रहे हैं, लेकिन परीक्षा से पहले ही उनके कॉलेजों की मान्यता फिर सवालों में फंस गई है। विशाल बघेल का कहना है कि हाईकोर्ट से हम गुहार लगाएंगे कि जिन कॉलेजों को सीबीआई इंस्पेक्टर्स ने सूटेबल करार दिया है, उनकी मान्यता रद्द कर नए सिरे से जांच कराई जाए। उधर सीबीआई के सीनियर अधिकारी नर्सिंग घोटालों की रिपोर्ट पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनका कहना है कि अब गेंद हाईकोर्ट के पाले में है। हमने अपना काम किया है। यदि सीबीआई की नाक के नीचे वसूली गैंग पनप रहा था, तो उसे भी सीबीआई ने ही एक्सपोज किया है। सीबीआई 308 कॉलेजों की रिपोर्ट पहले ही हाईकोर्ट को सौंप चुकी है। बचे हुए 350 कॉलेजों के इंस्पेक्शन का काम चल रहा था। इसी दौरान सीबीआई की एंटी करप्शन विंग को इसमें सीबीआई अधिकारियों व कॉलेज संचालकों के बीच रिश्वत के लेनदेन का सुराग मिला था।

इन आधारों पर कॉलेजों को बताया सूटेबल-अनसूटेबल

हाईकोर्ट के आदेश के बाद नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए 7 टीमों का गठन किया था। टीम को एक सीबीआई अधिकारी ने लीड किया उनके साथ मप्र नर्सिंग काउंसिल की तरफ से नॉमिनेट नर्सिंग ऑफिसर और पटवारियों को भी शामिल किया। नर्सिंग ऑफिसर ने नॉर्म्स के मुताबिक कॉलेजों की जांच की, तो पटवारियों ने नर्सिंग कॉलेज की जमीन की नप्ती की। नर्सिंग कॉलेज के लिए 2018 में सरकार ने जो नॉर्म्स तय किए हैं उसके अनुसार...

  1. कॉलेज का न्यूनतम 18 हजार वर्ग फीट पर निर्माण होना चाहिए।
  2. 30 छात्रों पर 90 बेड का अस्पताल होना जरूरी है।
  3. छात्रों की संख्या बढ़ती है तो प्रति छात्र 3 बेड बढ़ाने होंगे।
  4. 10 छात्रों पर एक फैकल्टी अनिवार्य है।
  5. फैकल्टी में प्रिंसिपल को 15 साल, वाइस प्रिंसिपल को 12 साल का अनुभव जरूरी।
  6. एसोसिएट प्रोफेसर को 8 साल और असिस्टेंट प्रोफेसर को 3 साल का अनुभव जरूरी है।
  7. नर्सिंग अधिकारी और पटवारियों की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने 169 कॉलेजों को सूटेबल, 74 कॉलेजों को डिफिशिएंट और 65 कॉलेजों को अनसूटेबल की कैटेगरी में रखा था।
  8. जिन्हें सूटेबल कैटेगरी में रखा उनमें भी नॉर्म्स पूरे नहीं

अब ये भी जांच का विषय है कि सीबीआई ने जिन कॉलेजों को सूटेबल का सर्टिफिकेट दिया उनमें कितने कॉलेज संचालकों ने सीबीआई को रिश्वत देकर अपने कॉलेज को सूटेबल बनवाया। ये सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है क्योंकि जिन कॉलेजों को सूटेबल बताया वो नॉर्म्स पूरे ही नहीं करते।

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