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भोपाल।
कामकाज में लापरवाही हो या फिर सरकार को नुकसान पहुंचाने वाला कोई और बड़ा मामला। लोक सेवक यानी प्रशासनिक तंत्र के ऐसे मामले उजागर होने पर सरकार फौरी तौर पर संबंधित के निलंबन या इसके ट्रांसफर जैसे कदम उठाती है। इधर,केस ठंडा हुआ नहीं कि पिछले दरवाजे से बहाली के साथ नई पोस्टिंग भी आरोपी पा जाता है। बल्कि कई बार तो पहले से बेहतर पदस्थापना।
ऐसे में निलंबन जैसी सजा से संबंधित के कामकाज में सुधार की गुंजाइश कम ही होती है। बड़ा सवाल यही कि सरकार के एक्शन को क्या माना जाए। निलंबन सजा है,वरदान या फिर दिखावा। हाल के दिनों के कुछ मामले इसकी बानगी हैं। जो इस सरकारी औपचारिकता की तस्वीर बयां करते हैं।
हाथियों की मौत पर पहले निलंबन,अब बेहतर पोस्टिंग
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गत नंवबर में 10 हाथियों की मौत का मामला गर्माया तो सरकार गंभीर हुई। इस मामले में नेशनल पार्क के तत्कालीन डायरेक्टर गौरव चौधरी व उनके मातहत अफसर फत्ते सिंह निनामा पर गैर जिम्मेदार तरीके से काम करने के आरोप लगे।
मुख्यमंत्री ने भी वन अफसरों के तौर-तरीके को लेकर नाराजगी जताई। बहरहाल,मामले ने तूल पकड़ा तो दोनों आईएफएस को निलंबित कर मुख्यालय पदस्थ कर दिया गया। पिछले बुधवार यानी 24 अप्रैल को 20 आईएफएस की नई पदस्थापना हुई तो इसमें चौधरी व निनामा को भी नई पोस्टिंग मिल गई।
चौधरी को बालाघाट सर्कल का वन संरक्षक व निनामा को शाजापुर में उप वन मंडल अधिकारी बना दिया गया। इनका निलंबन कब और क्यों खत्म हुआ। इसका खुलासा तो नहीं हुआ,लेकिन कहा जा रहा है-विभागीय जांच चलती रहेगी। वन विभाग में अपनी तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी इस तरह के करतब विभाग में होते रहे हैं।
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ईडी ने याद दिलाया 8 साल पुराना घोटाला
मामला साल 2017 का है। तब इंदौर 42 करोड़ का शराब घोटाला हुआ। फर्जी व कम राशि के चालान लगाकर ठेकेदारों ने ठेके हासिल कर लिए। प्रकरण में विभागीय अधिकारियों,कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई तो शासन ने विभागीय उपायुक्त का तबादला कर दिया।
उनके सहायकआबकारी आयुक्त संजीव दुबे, वेयरहाउस प्रभारी डीएस सिसोदिया,सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता निलंबित कर दो-चार माह बाद बहाल भी कर दिए गए। नई पोस्टिंग भी इन्हें मिल गई।
दुबे जबलपुर तो बाकी इधर-उधर के जिलों में जा पहुंचे। हाल ही में ईडी ने छापामारी कर इस मामले को खंगाला। पता चला पुराने केस में सिर्फ 22 करोड़ की रिकवरी हुई। शेष रकम सरकारी धन समझ भुला दी गई। विभागीय जांच में भी किसी के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन नहीं हुआ,लेकिन ईडी की जांच के दायरे में आने पर अब एक बार फिर इनकी सबकी चिंता बढ़ गई है।
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बरेलिया सालभर में हो गए बहाल
गुना जिले में 27 दिसंबर 2023 को बस और डंपर की टक्कर में 13 लोगों की मौत हुई थी। हादसे के बाद जिले के आरटीओ रवि बरेलिया को अगले दिन निलंबित कर दिया गया। एसपी,कलेक्टर भी हटा दिए गए। बरोलिया के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गई। तब सरकार के एक्शन की खूब तारीफ हुई थी।
मामला आया-गया हो गया।
विभाग सालभर में भी बरेलिया की जांच पूरी नहीं कर सका। इसके बाद विभागीय छानबीन समिति की सिफारिश पर सरकार ने बरेलिया को बहाल कर परिवहन आयुक्त कार्यालय में पदस्थापना दे दी। जांच चलती रहेगी और इसके अंतिम फैसले पर निलंबन अवधि तय कर वेतन से कटौती बंद हो जाएगी। संभव है,बरेलिया एक बार पुन: किसी जिले में आरटीओ बना दिए जाएं।
पत्रकार पर झूठा केस,लाइन हाजिर,अब नए थाने के प्रभारी
यह प्रकरण पिछले महीने ही राजधानी के कटारा हिल्स थाना क्षेत्र का है। एक पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया को दबिश में लेने के इरादे से उस पर अड़ीबाजी का मनगढ़ंत केस दर्ज कर दिया गया। उसे गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया।
इसके विरोध में प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पत्रकारों के साथ थाने में प्रदर्शन किया।थाना प्रभारी गोपाल शुक्ला के निलंबन की मांग उठी।
मामला तूल पकड़ा तो पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना को आगे आना पड़ा। उनके निर्देश पर थाना प्रभारी शुक्ला को लाइन अटैच कर दिया गया। इसी सप्ताह राजधानी में थाना प्रभारियों की अदला-बदली हुई तो इसमें गोपाल शुक्ला को कोह-ए-फिजा थाने का प्रभारी बना दिया गया। यानी माहभर में ही लाइन अटैच की सजा खत्म!
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नए पुल में खामी पर दो इंजीनियर निलंबित
राजधानी में नवनिर्मित डॉ अंबेडकर पुल का जनवरी अंत में सीएम डॉ मोहन यादव ने शुभारंभ किया। पुल उद्घाटन के चंद दिन बाद ही इसमें बड़ी खामियां सामने आने पर विभाग ने परियोजना के प्रभारी सहायक इंजीनियर रवि शुक्ला और डिप्टी इंजीनियर उमाकांत मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। एग्जक्यूटिव इंजीनियर जावेद शकील और चीफ इंजीनियर जी.पी. वर्मा से भी पूछताछ हुई। बताया जाता है कि निलंबित इंजीनियर्स बहाली की जमावट में जुटे है। विभाग की जो कार्यशैली है उसे देखते हुए इनकी जल्दी बहाली हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।
निलंबन,बहाली के शॉर्टकट से ट्रांसफर
निलंबन और बहाली के खेल का एक रोचक मामला चार माह पहले गुना जिले में सामने आया। वहां जिला शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर सिसोदिया ने अपने अधिनस्थ शिक्षकों के मनचाहे तबादले करने निलंबन व बहाली का शार्टकट अपनाया। मामले का खुलासा होने पर कलेक्टर ने जांच बैठाई।
जांच में खुलासा हुआ कि बीते साल जून से दिसंबर तक सिसोदिया ने दूरस्थ क्षेत्रों में पदस्थ आधा दर्जन शिक्षकों को पहले निलंबित किया। बाद में स्वयं ही उनकी बहाली कर गुना व इसके आसपास पोस्टिंग भी दे दी।
सिसोदिया को न तो निलंबन का अधिकार था,न बहाली का और न ही नई पोस्टिंग देने का,लेकिन सरकार के काम उन्होंने स्वयं ही कर डाले।
खेल पकड़ में आने पर सिसोदिया फिलहाल ग्वालियर संभागीय कार्यालय में अटैच होकर जांच का सामना कर रहे हैं। कहा जा रहा है-इस केस में सिसोदिया की बर्खास्तगी तय है, लेकिन इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ कहा नही जा सकता।
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