MPPSC की मेन्स 2023 के साथ पुराना सिलेबस खत्म, मध्य प्रदेश में अब अधिकारी बनना है तो जनजातीय समाज को समझना होगा

MPPSC द्वारा प्रदेश के 21% जनसंख्या को विशेष ध्यान में रखते हुए सिलेबस को बनाया गया है।  इस परीक्षा में जनजातीय वर्ग सिलेबस जोड़ने से लाभ यह होगा कि इनके बारे में जानने से भविष्य में अधिकारी बनने पर मैदान में काम करने में सुविधा होगी।

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Pratibha ranaa
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MPPSC का पुराना सिलेबस खत्म

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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की मेन्स 2023 खत्म हो गई है। इसी के साथ पुराने सिलेबस खत्म हो गया है और अब अप्रैल 2024 में होने वाली प्री परीक्षा के साथ नए सिलेबस का शुभारंभ हो जाएगा। जनवरी 2024 में आयोग ने नया सिलेबस सामने लाया था। इसी में तय हो गया था कि अब यदि मप्र में अधिकारी बनना है तो फिर यहां के जनजातीय समाज को बेहतर तरीके से समझना होगा। चाहे पीएससी प्री हो या मेन्स का सिलेबस सभी में जनजातीय समाज को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। यह केंद्र और मप्र की राजनीति में जनजातीय समाज के बढ़ते महत्व को भी बताता है, बीजेपी सरकार का मैदान के साथ सिलेबस तक हर ओर इस समाज पर अधिक जोर है। 

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देखिए इस तरह प्री में बढ़ाया गया महत्व

  • राज्य सेवा परीक्षा में प्री क्वालीफाइंग स्टेज होती है। इसमें सौ प्रश्नों और 200 अंकों के पेपर के लिए अब आयोग ने दस चैप्टर रखे हैं, जिसमें एक पूरा चैप्टर ही जनजातीय समाज पर है, जो वहीं अन्य चैप्टर में जनजातीय विषयों को जोड़ा गया है। 
  • चेप्टर वन में इतिहास, संस्कृति है, जिसमें जनजातिया समाज की बोलियां, मप्र के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व सभी को जोड़ा गया है। 
  • इसी तरह दसवां चैप्टर पूर तरह से आदिवासी समाज पर है और इसका विषय ही मप्र की जनजातियां विरासत, लोकसंस्कृत्ति, लोक साहित्य है। इसमें उनके
  • भौगोलिक विस्तार, संवैधानिक प्रावधान, विशेष जनजातियां, बोली, साहित्य स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका, लोक संस्कृति, साहित्य सब कुछ शामिल है। 

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जिस तरह प्री का कटऑफ रहता है, बिना इन्हें समझे आगे पास होना मुश्किल

प्री का जिस तरह से अब कटऑफ जाता है, जैसे कि 2023 प्री ( MP PSC ) में ही अनारक्षित वर्ग के लिए यह 162 अंक यानि 81 फीसदी था। उससे यह साफ है कि बिना इस वर्ग को समझे प्री पास करना मुश्किल है। 

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मेन्स का सिलेबस भी जनजातीय वर्ग के इर्द-गिर्द

यहीं नहीं मेन्स की बात करें तो इसके सिलेबस में जनजातीय समाज को अहम स्थान दिया गया है। पहले प्रश्नपत्र इतिहास और भूगोल में मप्र के जनजातीय नायकों के संघर्ष और इतिहास का अलग पूरा चैप्टर रखा गया है। इसी तरह विविध उनके संवैधानिक प्रावधान, उनकी भूमिका जैसे चैप्टर भी जुड़े हुए हैं। 

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मप्र की 21 फीसदी जनजातीय वर्ग पर रहा फोकस 

MPPSC द्वारा प्रदेश के 21% जनसंख्या को विशेष ध्यान में रखते हुए सिलेबस को बनाया गया है।  इस परीक्षा में जनजातीय वर्ग सिलेबस जोड़ने से लाभ यह होगा कि इनके बारे में जानने से भविष्य में अधिकारी बनने पर मैदान में काम करने में सुविधा होगी। साथ ही पढ़ाई में भी गुणवत्ता बढ़ेगी, क्योंकि हर युवा डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे सपने देखता है। वह इसके लिए इन सिलेबस पर ध्यान देगा। हालांकि आयोग को इसके लिए प्रश्नपत्रों में भी गुणवत्ता को लाना होगा। इससे वास्तविकता का पता चल सके।

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