ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और दर्शन की अव्यवस्थित व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारियों व पुजारियों के बीच विवाद का कारण बन रही है। शनिवार को दो बड़े विवादों ने इस तीर्थस्थल की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए। डिप्टी कलेक्टर (Deputy Collector) और ट्रस्ट के ट्रस्टी के बीच एक विवाद भोग आरती के दौरान हुआ, जबकि दूसरा विवाद तहसीलदार (Tehsildar) और पुजारी के बीच हुआ, जो थप्पड़ और एफआईआर तक पहुंच गया।
पहला विवाद: डिप्टी कलेक्टर और ट्रस्टी के बीच तनातनी
शनिवार को दोपहर 12:20 से 1:05 बजे तक चलने वाली भोग आरती (Bhog Aarti) के दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं। इस दौरान डिप्टी कलेक्टर मुकेश काशिव गर्भगृह में पहुंच गए और जल्दी आरती कराने की बात कही। इस पर ट्रस्ट के ट्रस्टी राव जंगबहादुर ने आपत्ति जताई और कहा कि प्रशासनिक हस्तक्षेप से धार्मिक प्रक्रिया बाधित हो रही है।
अधिकारियों और ट्रस्टी ने एक दूसरे पर लगाए आरोप
डिप्टी कलेक्टर का कहना था कि वे मंदिर की अव्यवस्थित व्यवस्था को सुधारने आए थे, लेकिन ट्रस्टी ने सहयोग करने के बजाय बहस शुरू कर दी। वहीं ट्रस्टी ने आरोप लगाया कि डिप्टी कलेक्टर ने गर्भगृह की मर्यादा भंग की।
दूसरा विवाद: तहसीलदार ने पुजारी को जड़ा थप्पड़
मंदीर के पुजारी ने तहसीलदार राजन सस्तिया पर गंभीर आरोप लगाए। दरअसल तहसीलदार को क्राउड मैनेजमेंट की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने मंदिर परिसर में खड़े पंडित अंशुमन पाराशर को रास्ते से हटने को कहा। इसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस हुई, जिसके बाद तहसीलदार ने पुजारी को थप्पड़ मार दिया।
एफआईआर और जातिसूचक शब्दों का आरोप
पंडित अंशुमन ने इस घटना की शिकायत विधायक नारायण पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष पिंकी वानखेड़े, पूर्व विधायक देवेंद्र वर्मा और षड् दर्शन मंडल अध्यक्ष मंगलदास महाराज से की। वहीं तहसीलदार ने आरोप लगाया कि पंडित ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया, जिस पर उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई है।
ट्रस्ट में गड़बड़ी के आरोप
वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष पिंकी वानखेड़े ने ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मंदिर ट्रस्ट में गड़बड़ी चल रही है और इस पर कलेक्टर से बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा कि मंदिर की व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं के लिए हों, न कि विवादों के लिए।
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