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The Sootr
इंदौर में देवर्षि नारद जयंती समारोह के अवसर पर रविवार को विश्व संवाद केंद्र मालवा और रेनसां विश्वविद्यालय द्वारा आपरेशन सिन्दूर: भारत का सामर्थ्य विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें भारतीय सेना के पूर्व सैन्य सचिव एवं जम्मू कश्मीर के 15वीं कोर के पूर्व कमाण्डर लेफ्टिनेंट जनरल जसविंदर सिंह सिंधू मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि विश्व को भारत के सामर्थ्य का अनुमान था, लेकिन आपरेशन सिंदूर में उसे सभी देशों ने देख भी लिया। विश्व के देश भारत की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते है, लेकिन भारत की शक्ति को, भारत के सामर्थ्य को कम नहीं कर सकते है।
भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं, 2047 तक विकसित भारत बनना
पूर्व कमाण्डर लेफ्टिनेंट जनरल जसविंदर सिंह सिंधू ने कहा कि आज भारत की सैन्य शक्ति देखकर दुनिया अचंभित है। भारतीय सैन्य शक्ति दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्य शक्ति है, जिसकी शक्ति ऑपरेशन सिंदूर में विश्व ने देखी। पहलगाम हमला वास्तव में भारत को चुनौती थी, जिसका भारत ने करारा जवाब दिया। आपरेशन सिंदूर में भारत 100 प्रतिशत सफल रहा। युद्ध विराम भारत की कुटनीतिक विजय है। भारत कभी भी युद्ध नहीं चाहता है। भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं 2047 तक विकसित भारत बनना है।
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भारत को करनी पड़ी जवाबी कार्रवाई
उन्होंने कहा कि पहलगाम में आंतकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले किए। भारत का इरादा पाकिस्तान पर हमला करना नहीं था, लेकिन जब रात में ही पाकिस्तान की ओर से हमले हुए तो भारत को जवाबी कार्रवाई करना पड़ी। हमेशा की तरह आज भी भारत युद्ध नहीं चाहताा है, लेकिन दुश्मनों के हमलों का जवाब तो देना ही होगा। आने वाले दिनों में भी यदि पाकिस्तान की ओर से हमले होते है, तो भारत युद्ध जारी रखेगा।
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युद्ध केवल सैन्य पंक्तियों से नहीं लड़े जाते
पूर्व कमाण्डर लेफ्टिनेंट जनरल सिंधू ने यह भी कहा कि भारत ने युद्ध को विराम दिया है, युद्ध बंद नहीं किया है। भारत के पास सैनिकों और हथियारों की कमी नहीं है। भारत का उदेद्श्य 2047 तक भारत को विकसित देश बनाना है। युद्ध केवल सैन्य पंक्तियों से नहीं लड़े जाते है, बल्कि युद्ध के भी अलग-अलग तरीके होते है। भारत को आने वाले दिनों में अपनी अर्थव्यवस्था को, अपनी शक्ति को बढ़ाना है। नई तकनीक को उन्नत करना है, ताकि भारत विश्व का सबसे शक्तिशाली देश बन सके।
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शक्तिशाली देश ही विजयी होगा
उन्होंने कहा कि आज वह देश सबसे शक्तिशाली है, जिसने अर्थव्यवस्था और तकनीक में खुद को आगे रखा है। भारत का लक्ष्य भी विकास के मार्ग पर चल कर शक्तिशाली बनना है, न कि युद्ध करना। जो शक्तिशाली देश होगा, वही विजयी देश भी होगा। युद्ध के अलावा भी कई विकल्प है शक्तिशाली बनने के।
पाकिस्तान जानता है भारत की ताकत
सिंधू ने कहा कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार है, लेकिन उसका उपयोग आसान नहीं है। पाकिस्तान जानता है कि यदि परमाणु शक्ति का उपयोग किया गया तो नुकसान उसका भी होगा। वह यह भी जानता है कि भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश है। पाकिस्तान, भारत की शक्ति को जानता है, इसलिए युद्ध की स्थिति में वह अमेरिका की ओर भागा।
राजनीतिक नेतृत्व का दबाव था पाकिस्तानी सेना पर
पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए सिंधू ने कहा कि पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व का दबाव सेना पर था, जिस कारण उसे पहलगाम जैसी घटना करनी पड़ी। वास्तव में पाकिस्तान की सेना दबाव में थी। इसके साथ ही कई कारण थे, जिस कारण पाकिस्तान की सेना को पहलगाम में आतंकी हमला करना पड़ा। 370 हटने के बाद भी कश्मीर में हालात तेजी से सुधर रहे है। कश्मीर में पर्यटन से फायदा हो रहा है और वहां की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है। यह बात पाकिस्तान को रास नहीं आ रही है। कश्मीर को लेकर भारत की नीति को असफल करने के लिए भी पहलगाम में आतंकी हमला किया गया। वास्तव में पाकिस्तान कश्मीर को कमजोर करना चाहता है।
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महिला सैन्य अधिकारियों का प्रशिक्षण इसी महीने
ऑपरेशन सिंदूर में महिला सैन्य अधिकारियों की भूमिका पर उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। समय के साथ सेना में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है, जिस पर गर्व किया जाना चाहिए। 30 मई 2025 को महिला सैन्य अधिकारियों की पूरी बैच का प्रशिक्षण पूरा हो रहा है। यह बैच भारत की पहली बैच होगी, जिसमें सभी अधिकारी महिलाएं ही है।
विशेष अतिथि के रूप में यह लोग मौजूद थे
आयोजन की सूत्रधार आकाशवाणी की वरिष्ठ उद्घोषिका सुधा शर्मा थी। एसजीएसआईटीएस के गोल्डन जुबली आडिटोरियम में समारोह का आयोजन विश्व संवाद केंद्र मालवा प्रांत, रेनसां विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। अतिथि परिचय मेजर सौरभ शर्मा ने दिया। इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष दिनेश गुप्ता, रेनसां समूह के स्वप्निल कोठारी, एसजीएसआयटीएस के निदेशक नितेश पुरोहित सहित बड़ी संख्या में समाज के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।