कैडर खत्म होने के बाद विभागों से बाहर हो रहे आउटसोर्स कर्मी, सरकार से नाराज आउटसोर्सकर्मी राजधानी में डालेंगे डेरा

मध्य प्रदेश में नए साल की शुरुआत कर्मचारी आंदोलन से होगी। संविदा और आउटसोर्सकर्मी 4 जनवरी को भोपाल में एकत्र होंगे। आउटसोर्स कर्मचारी मोर्चा के आव्हान पर कर्मचारी शाहजहानी पार्क में आंदोलन करेंगे।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL.मध्यप्रदेश में नए साल की शुरूआत कर्मचारी आंदोलन की शुरूआत के साथ होगी। सरकार की तरफ कर्मचारी कैडर खत्म करने के फैसलों से नाराज संविदा और आउटसोर्सकर्मी 4 जनवरी को भोपाल में इकट्ठा होंगे।

ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स कर्मचारी मोर्चा के आव्हान पर विभिन्न विभागों के लिए काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों का भोपाल में बड़ा जमावड़ा होगा। शाहजहांनी पार्क में आउटसोर्सकर्मियों के आंदोलन की रूपरेखा उजागर की जाएगी। 

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अब कंपनियों के जरिए देंगे सेवा

आउटसोर्स कर्मचारी मोर्चा अध्यक्ष वासुदेश शर्मा के अनुसार, सरकार ने हाल ही में कर्मचारियों की कई श्रेणियों को खत्म किया है। विभागों और सरकारी संस्थाओं में काम करने वाले आउटसोर्सकर्मियों की व्यवस्था भी बदल दी गई है।

अब आउटसोर्सकर्मियों की सेवाएं कंपनियों के माध्यम से ली जाएंगी। इससे वे पूरी तरह कंपनी के दबाव में होंगे। जब आउटसोर्सकर्मियों को पूरा वेतन नहीं मिलता, तो कंपनी के नियंत्रण में वे मनमानी का शिकार हो सकते हैं।

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टेलीमेडिसिन से 1200कर्मी बाहर

संगठन के महामंत्री आशीष सिंह सिसौदिया ने कहा, सरकार के फैसले के बाद आउटसोर्सकर्मियों को बाहर किया जा रहा है। हाल ही में 1200 टेलीमेडिसिन आउटसोर्सकर्मियों को निकाला जा रहा है। इन कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए संजीवनी भेजकर बाहर किया जा रहा है।

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झेलना पड़ेगा कंपनियों का दबाव

नगरीय निकायों में सबसे ज्यादा आउटसोर्सकर्मी काम कर रहे हैं। अब इन कर्मचारियों को निकाय में काम करने के लिए निजी कंपनियों के माध्यम से रखा जाएगा। कंपनी द्वारा कर्मचारियों की संख्या में पहले से ही कटौती की तैयारी कर ली गई है। यानी निकायों में अभी जो काम 100 कर्मचारी कर रहे हैं उनकी जगह कंपनी वहीं काम 70 या 80 कर्मचारियों से कराएगी। 

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तनाव में 10 लाख आउटसोर्सकर्मी

मध्य प्रदेश में नियमित और स्थायी पदों पर भर्ती पर अंकुश लगने के बाद आउटसोर्स कर्मियों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा आउटसोर्सकर्मी काम कर रहे हैं। इनमें से आधे से ज्यादा नगरीय निकायों में हैं।

स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग, जलसंसाधन, शिक्षा सहित अधिकांश विभाग आउटसोर्स पर निर्भर हैं। कैडर खत्म होने के बाद सरकार इनकी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएगी। ये कर्मचारी कंपनियों के अधीन काम करने के लिए मजबूर होंगे। कटौती की वजह से हजारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

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