अरावली में नहीं होगा नया खनन : केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, दिल्ली से गुजरात तक नहीं होगी कोई गतिविधि

अरावली पर केंद्र सरकार ने नए खनन की इजाजत नहीं देने का फैसला किया है। इसके बाद राजस्थान में भी नहीं हो सकेगा खनन। सरकार की पर्यावरणीय सुरक्षा के तहत नई योजना लागू। अरावली पर जनआंदोलन की जीत।

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Amit Baijnath Garg
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Jaipur. राजस्थान में अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अरावली को बचाने के लिए अब केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस प्राचीन पर्वतीय श्रृंखला में किसी भी नई खनन गतिविधि की इजाजत नहीं दी जाएगी।

यह निर्णय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लिया गया है और इसके तहत गुजरात से दिल्ली तक फैली अरावली को संरक्षित रखने के लिए नए खनन पट्टों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और अवैध खनन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण पहल है।

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अरावली में नहीं होगा नया खनन

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि अरावली के पूरे क्षेत्र में कोई नई माइनिंग लीज नहीं दी जाएगी। यह फैसला गुजरात से लेकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक के सभी हिस्सों में लागू होगा। इसका उद्देश्य अरावली की भूवैज्ञानिक संरचना की अखंडता बनाए रखना और खनन गतिविधियों पर नियंत्रण लगाना है। इससे न केवल पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी लाभ होगा।

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विज्ञान आधारित योजना बनेगी

केंद्र सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (ICFRE) को अरावली के उन क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश दिया है, जहां खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। यह उन क्षेत्रों के अलावा होगा, जहां पहले से खनन पर रोक लगी हुई है। इस फैसले को पारिस्थितिकीय और भूवैज्ञानिक कारणों पर आधारित किया जाएगा, ताकि पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके।

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सस्टेनेबल माइनिंग प्रबंधन योजना तैयार होगी

साथ ही ICFRE को अरावली की पूरी रेंज के लिए एक सस्टेनेबल माइनिंग प्रबंधन योजना तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है। यह योजना विज्ञान पर आधारित होगी और इसमें खनन के संचयी पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन किया जाएगा। इसमें पारिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान, उनकी बहाली के उपाय और जलवायु बदलाव पर प्रभाव के बारे में भी विचार किया जाएगा। इस योजना को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाएगा ताकि स्थानीय समुदाय और हितधारकों से व्यापक परामर्श हो सके।

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पारिस्थितिकी और जैव विविधता पर ध्यान

केंद्र सरकार का मानना है कि अरावली पर्वतमाला मरुस्थलीकरण को रोकने, जलभृत रिचार्ज करने और जैव विविधता को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अरावली का पर्यावरणीय सेवाओं का खजाना क्षेत्र की जलवायु को संतुलित रखने में मदद करता है। इसके अलावा, इस फैसले से माइनिंग से मुक्त और प्रतिबंधित क्षेत्रों का दायरा भी बढ़ेगा, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी और जैव विविधता को नुकसान नहीं पहुंचेगा।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन

केंद्र सरकार ने मौजूदा खदानों के लिए भी सख्त नियम बनाए हैं। राज्य सरकारों को सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का कड़ाई से पालन कराना होगा, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। यह कदम चल रही माइनिंग को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त प्रतिबंधों के साथ लागू किया जाएगा, ताकि पर्यावरणीय संरक्षण और स्थायी प्रथाओं का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

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अरावली पर जनआंदोलन की जीत

​यह फैसला अरावली को बचाने के लिए वर्षों से चल रहे विभिन्न सामाजिक आंदोलनों, पर्यावरणविदों की सक्रियता और स्थानीय समुदायों के संघर्ष का परिणाम माना जा रहा है। सेव अरावली जैसे अभियानों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में लड़ी गई लंबी कानूनी लड़ाई ने केंद्र सरकार को यह सख्त कदम उठाने के लिए विवश किया है। मंत्रालय का यह निर्देश सीधे तौर पर उन मांगों का सम्मान है, जिनमें अरावली को एक अखंड भौगोलिक इकाई के रूप में संरक्षित करने की अपील की गई थी।

खास बातें

  • अरावली की पर्यावरणीय अखंडता को बनाए रखने, अवैध खनन पर रोक लगाने और स्थानीय समुदायों के पर्यावरणीय नुकसान को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने नए खनन पट्टों पर पूरी रोक लगाई है।
  • केंद्र सरकार ने अरावली में नए खनन पट्टों पर पूरी तरह से रोक लगाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सस्टेनेबल माइनिंग प्रबंधन योजना तैयार करने के लिए ICFRE को निर्देश दिए गए हैं।
  • मौजूदा खदानों के लिए भी सख्त पर्यावरणीय सुरक्षा नियम लागू किए जाएंगे। राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत इन नियमों का पालन कराना होगा, ताकि पर्यावरणीय संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
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