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Photograph: (the sootr)
Alwar. अरावली पवर्तमाला पर नई परिभाषा को लेकर मचे घमासान के बीच केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक पाती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। यह पाती राजस्थान में अपने संसदीय क्षेत्र अलवर की जनता के नाम लिखी है। इसमें अरावली के नए नियमों को लेकर सफाई दी है, लेकिन उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर लोगों ने जमकर गुस्सा निकालकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं।
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बर्बाद नहीं होने देने का दावा
भूपेंद्र यादव सोशल मीडिया पर अलवर की जनता के नाम नियमित पाती लिखते हैं। इस बार की पाती में उन्होंने 100 मीटर उंचाई वाले पहाड़ को ही अरावली मानने वाली परिभाषा का जिक्र किया है। साथ ही आवश्वस्त किया है कि ये नियम अरावली के संरक्षण के लिए है। इसे बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।
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अरावली संरक्षण के लिए फैसला
यादव ने कहा कि वह यह पाती अरावली पर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए लिख रहे हैं। अलवर अरावली पर्वतमाला का अंग है, जहां सरिस्का टाइगर रिजर्व और सिलीसेढ़ झील जैसी प्राकृतिक धरोहर हैं। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि अरावली पूर्ण रूप से सुरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला अरावली के संरक्षण, अवैध खनन पर अंकुश लगाने, पर्यावरणीय मानकों के तहत संरक्षित क्षेत्रों के बाहर अनुमन्य खनन के माध्यम से लाभ देने और आर्थिक विकास के साथ प्राकृतिक संरक्षण की दृष्टि से लिया गया है।
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खुलेआम हो रहा है अवैध खनन
इस पोस्ट पर लोगों ने सोशल मीडिया पर यादव के अकाउंट पर जमकर गुस्सा निकाला है। पोस्ट पर अधिकतर प्रतिक्रिया विरोध में आई हैं, जिसमें अरावली की नई परिभाषा के फैसले को लेकर सरकार की आलोचना की गई है। किशनगढ़बास के विष्णु यादव ने लिखा कि माननीय मंत्री जी, कागजों और मीडिया में अरावली को सुरक्षित बताया जा रहा है।
जमीनी हकीकत यह है कि हाईवे पर अवैध खनन से भरे ट्रक धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। अभी तक उन पर रोक नहीं है, फिर अरावली 90 प्रतिशत सुरक्षित का दावा जनता को बहलाने के सिवाय कुछ नहीं दिखता। इसी तरह कृष्णपाल सिंह राखी ने लिखा कि ऐसी पातियों से पाप धुलने वाला नहीं है। यह 100 मीटर वाला नियम ही हटाओ, बल्कि ऐसा नियम बनाओ कि अरावली के आसपास 100 मीटर तक कोई खनन नहीं होगा।
अरावली को क्यों, हिमालय को हटा दो
'वी सपोर्ट सोशल जस्टिस' ने पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रया में लिखा कि अरावली को क्यों, हिमालय को भी हटा दो। हिमालय के सीने में बहुत खनिज भरा है। समंदर को सुखा दो, वहां भी खनिज का अथाह भंडार है। क्या अरावली देश के उत्थान में बाधा बनके खड़ी है। यूजर यशवीर सिंह ने लिखा कि बस खनन वालों को एंट्री चाहिए, फिर ये 100 मीटर या 200 मीटर नहीं देखते।
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बिना प्यूरीफायर जीना मुश्किल
संदीप यादव भाटोटिया ने लिखा कि गुरुग्राम और रेवाड़ी में अरावली और यहां के प्रदूषण को भी देख लो। भिवाड़ी का नर्क, जो धारूहेड़ा को भी बर्बाद कर रहा है। महेश बिष्ट उत्तराखंडी ने सुझाव में लिखा कि क्यों नहीं, ऐसा नियम बनाया जाए कि वहां के 10 गांव या पंचायत से खनन की अनुमति ली जाए। आज दिल्ली में बिना प्यूरीफायर के जीना मुश्किल है। कल सबका हो जाएगा।
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कुछ यूजर ने मंत्री को दिया धन्यवाद
सोशल मीडिया पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की पाती को कुछ यूजर्स ने सराहा है। ठाकुर किशोर कुणाल सिंह ने लिखा कि स्पष्टीकरण के लिए धन्यवाद। अधिकांश लोग कई संदेशों से भ्रमित हैं। इस संदेश को अधिक से अधिक मंच पर प्रसारित करना चाहिए। एक अन्य यूजर ने कहा कि अरावली के खिलाफ कांग्रेस जनता में माहौल बना रही है। आपने इस पाती के जरिए उनके झूठ और फरेब को मिटा दिया है। आप जो भी करेंगे, अच्छा करेंगे।
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कुछ यूजर्स ने अन्य मुद्दों पर घेरा
यूजर राम रमेश सारस्वत ने लिखा कि जिनकी सरकार के विधायक 1300 रुपए की दरी 26000 में खरीदकर स्कूल के बच्चों को दे रहे हैं, वो अरावली की गारंटी देते अच्छे नहीं लगते। खैरथल के यूजर ने अपने जिले का नाम बदलने और मुख्यालय अन्यत्र करने का मुद्दा उठाकर लिखा कि यह खैरथल नहीं, जिस पर आपकी चल गई। आप अरावली पर लोगों को समझा कर बताइए। रणवीर कुमार ने लिखा कि आपने भाजपा का बहुत नुकसान कर दिया।
पाती में मंत्री ने यह बताए तथ्य
पाती में यादव ने लिखा कि वास्तविकता यह है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अरावली की परिभाषा, जिसमें स्थानीय उंचाई से 100 मीटर उपर उठने वाले आकृतियों या पहाड़ी को अरावली माना जाएगा। राजस्थान में पहले से लागू परिभाषा, जो कि अशोक गहलोत के कार्यकाल में 2002 में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बनाई गई, के समरूप है।
पाती में अरावली पूरी तरह सुरक्षित
अरावली की नई परिभाषा पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की पाती में अरावली को पूरी तरह सुरक्षित बताया है। इसके आधार पर आज भी राजस्थान में ऐसी अरावली पहाड़ियां हैं, जिनकी उंचाई 100 मीटर से अधिक है, जिन पर खनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। यह भ्रम फैलाना कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मानी गई अरावली की परिभाषा एक नई परिभाषा है, जिसमें अरावली को नुकसान होगा, पूर्णतया तथ्यहीन है। मंत्री ने अशोक गहलोत को घेरते हुए कहा कि वे अरावली पर झूठ बोल रहे हैं।
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