अरावली पर सियासी घमासान : गहलोत के भाजपा पर गंभीर आरोप, 100 मीटर की परिभाषा पर उठाए सवाल

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि भाजपा सरकार ने खनन माफिया से मिलीभगत कर अरावली को संकट में डाला है। अब वह पुराने फैसलों को छुपाने की कोशिश कर रही है। अरावली में खनन को लेकर भाजपा की नीति नरम है।

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Amit Baijnath Garg
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Jaipur. राजस्थान की जीवन रेखा मानी जाने वाली अरावली पर्वत शृंखला को लेकर राज्य में अब सियासी विवाद तेज हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा अरावली मुद्दे पर किए गए बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। गहलोत का कहना है कि भाजपा सरकार ने खनन माफिया से मिलीभगत कर अरावली को संकट में डाला है और अब वह पुराने फैसलों को छुपाने की कोशिश कर रही है।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, भाजपा की नीति

गहलोत ने कहा कि 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 100 मीटर की परिभाषा को खारिज कर दिया था, जिसे 2003 में तत्कालीन राज्य सरकार ने रोजगार और आजीविका के दृष्टिकोण से पेश किया था। गहलोत ने याद दिलाया कि कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से सम्मान किया था और बाद में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) से अरावली पर्वत की मैपिंग भी करवाई थी।

भाजपा सरकार ने क्यों समर्थन किया?

हालांकि गहलोत का सवाल था कि वही परिभाषा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था, अब 2024 में भाजपा सरकार ने क्यों समर्थन किया? क्या यह किसी दबाव का परिणाम था या इसके पीछे कोई गहरी साजिश थी? गहलोत ने कहा कि अरावली में खनन को लेकर कांग्रेस सरकार ने सख्ती का रुख अपनाया था, जबकि भाजपा सरकार की नीति इसे लेकर बेहद नरम रही है।

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गहलोत के भाजपा पर गंभीर आरोप

गहलोत ने आंकड़ों के माध्यम से अपनी सरकार और भाजपा सरकार के बीच अवैध खनन पर किए गए कार्यों का तुलनात्मक विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार ने अवैध खनन के खिलाफ 2019-2024 तक 930 FIR दर्ज कीं, वहीं भाजपा सरकार ने 2024 के पहले साल में केवल 508 FIR दर्ज कीं।

जुर्माना वसूली में भी फर्क

गहलोत ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने अवैध खनन कर्ताओं से 464 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला, जो कि भाजपा सरकार के दौरान (2013-2018) वसूले गए 200 करोड़ रुपए से दोगुना था। गहलोत ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने अवैध खनन पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई, जिससे माफियाओं पर कड़ा दबाव बना।

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अरावली सबकी जीवन रेखा

गहलोत ने बताया कि अरावली पर्वत शृंखला केवल पहाड़ नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की जीवन रेखा है, जो थार मरुस्थल के फैलाव को रोकने में अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि अरावली का संरक्षण न केवल राजस्थान, बल्कि दिल्ली और एनसीआर के पर्यावरण को भी शुद्ध रखने में मदद करता है।

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केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी

गहलोत ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से भी सवाल किया कि वे अरावली के संरक्षक बनें, न कि इसके विनाशक। उन्होंने कहा कि जैसा कि खेजड़ली में हमारे पूर्वजों ने पेड़ों और प्रकृति के लिए बलिदान दिया, ठीक उसी तरह हमें भी अरावली के संरक्षण के लिए खड़ा होना चाहिए।

भाजपा का 100 मीटर फॉर्मूले को समर्थन क्यों?

गहलोत ने पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में 100 मीटर की परिभाषा को खारिज कर दिया था, तो भाजपा सरकार ने 2024 में वही परिभाषा क्यों अपनाई? क्या यह केवल सियासी चाल थी या फिर इसके पीछे किसी बड़े खेल की योजना थी? उन्होंने भाजपा पर सामने आकर जवाब देने की बात दोहराई।

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मुख्य बिंदु

  • अरावली की सियासत में भाजपा और कांग्रेस के बीच तीव्र विवाद।
  • गहलोत ने भाजपा पर अवैध खनन के खिलाफ नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया।
  • 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज की गई परिभाषा, 2024 में भाजपा द्वारा समर्थन।
  • अरावली का संरक्षण राजस्थान और देश की पर्यावरणीय जीवन रेखा के रूप में महत्वपूर्ण।
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