अरावली पर सियासी घमासान : राजेंद्र राठौड़ का अशोक गहलोत पर हमला, भ्रम फैलाने का लगाया आरोप

राजस्थान में भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 100 मीटर ऊंचाई की परिभाषा तय करके अरावली पर्वत में खनन गतिविधियों को बढ़ावा दिया। इसके कारण आज अरावली संकट में है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में अरावली पहाड़ियों को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। अरावली बचाओ अभियान में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बीच भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने तीखा हमला किया है।

राठौड़ का कहना है कि गहलोत और कांग्रेस पार्टी अरावली के संरक्षण के नाम पर भ्रम फैला रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि 2002 में गहलोत सरकार के समय ही अरावली के संबंध में कई अहम फैसले लिए गए थे, जिनके कारण आज अरावली संकट में है।

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गहलोत छुपा रहे अपने कर्म

राठौड़ ने आरोप लगाया कि 2002 में गहलोत सरकार ने 100 मीटर ऊंचाई की अरावली पर्वत शृंखला की परिभाषा तय की थी। इसके आधार पर 700 से ज्यादा खनन पट्टे उनके शासनकाल में जारी किए गए थे। राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया था, उसमें 100 मीटर से ऊंचे पहाड़ों को अरावली मानने की बात की गई थी। यही कारण है कि आज अरावली के इलाके में खनन की गतिविधियां बढ़ी हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

राठौड़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अरावली के क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर चार राज्यों और केंद्र सरकार से एक समान मापदंड तय करने को कहा था। उन्होंने कहा कि गहलोत और कांग्रेस नेता इस मुद्दे को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि 100 मीटर की ऊंचाई में बाउंड्री कंट्यूर को भी शामिल किया गया है, जो पहाड़ी की जड़ होती है, लेकिन कांग्रेस इस पर भ्रम फैला रही है।

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अरावली को बचाने की आवश्यकता

राठौड़ ने कहा कि अरावली हमारी जीवन रेखा है और यह ऐतिहासिक तथा पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। अरावली में कई किले और प्रसिद्ध मंदिर हैं, जैसे कुंभलगढ़ और नाहरगढ़ किले तथा देलवाड़ा के प्रसिद्ध मंदिर भी अरावली पर्वत शृंखला में स्थित हैं। इसके अलावा, अरावली थार के मरुस्थल के फैलाव को रोकने में अहम भूमिका निभाती है और इसके जरिए भूजल का रिचार्ज भी होता है। यह क्षेत्र दिल्ली और एनसीआर के पर्यावरण को शुद्ध रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।

अरावली का संरक्षण जरूरी

राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में फैली अरावली पर्वत शृंखला का संरक्षण राज्य और केंद्र सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। राठौड़ ने कहा कि इस क्षेत्र को बचाने के लिए दोनों सरकारें पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए केंद्र सरकार भी चिंतित है। अरावली की जैव विविधता को बनाए रखने के लिए इसे संरक्षण के दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

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राजेंद्र राठौड़ का अशोक गहलोत पर हमला

राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार ने अरावली को लेकर जो निर्णय लिया, वह आज अरावली के संकट का कारण बना है। उन्होंने यह भी कहा कि गहलोत और कांग्रेस पार्टी अब अपने पुराने कर्मों को छुपाने के लिए भ्रम फैला रहे हैं। राठौड़ ने गहलोत सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने 700 से अधिक खनन पट्टे जारी किए, जिससे अरावली के संरक्षण में संकट आया।

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सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा और खनन पट्टे

2003 में गहलोत सरकार ने 17 जिलों में 100 मीटर ऊंचाई की पहाड़ियों के लिए खनन पट्टे जारी किए थे। राठौड़ ने कहा कि उस समय गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा प्रस्तुत किया था, उसे आधार बनाकर खनन पट्टे जारी किए गए। इस निर्णय का आज परिणाम यह हुआ कि अरावली में खनन गतिविधियों की बढ़ोतरी हुई है। अब कांग्रेस अपने पुराने फैसलों को छुपाने की कोशिश कर रही है।

अरावली पर सियासी घमासान

  • अरावली को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों के बीच सियासी विवाद।
  • कांग्रेस और गहलोत सरकार पर अरावली के संरक्षण में खनन गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप।
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत 100 मीटर ऊंचाई को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश।
  • 700 से अधिक खनन पट्टों का आवंटन गहलोत सरकार के दौरान हुआ था।
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