BHOPAL. मध्यप्रदेश के सरकारी विभागों में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। सीएम डॉ. मोहन यादव की अगुआई वाली मध्यप्रदेश सरकार जल्द तबादला नीति लाने जा रही है। पहले सीएम मंत्रियों को जिलों का प्रभार देंगे। इसके बाद कैबिनेट बैठक में तबादला नीति पर मुहर लगेगी। माना जा रहा है कि अगली कैबिनेट बैठक में सरकार नई ट्रांसफर पॉलिसी जारी कर देगी।
बदलाव की गुंजाइश का ले रहे फीडबैक
पहले संभावना जताई जा रही थी कि विधानसभा के मानसून सत्र के तुरंत बाद सरकार ट्रांसफर पॉलिसी लाएगी, लेकिन सीएम डॉ.मोहन यादव की लगातार व्यस्तताओं के चलते ऐसा नहीं हो सका। फिलहाल सीएम सूबे के विधायकों से जमीनी फीडबैक ले रहे हैं। इसमें यही जानने की कोशिश है कि विधानसभा क्षेत्रों में क्या काम-काज चल रहा है। कहां बदलाव की गुंजाइश है? आपको बता दें, पिछली शिवराज सरकार के समय 15 जून से 30 जून के बीच ट्रांसफर से प्रतिबंध हटाया गया था। शिवराज कैबिनेट ने नई ट्रांसफर पॉलिसी भी जारी की थी।
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प्रभारी मंत्री कर सकेंगे ट्रांसफर
अब सीएम डॉ. मोहन यादव के स्तर पर तबादला नीति को लेकर प्रारंभिक सहमति बन गई है। सामान्य प्रशासन विभाग यानी GAD ने नई पॉलिसी का खाका तैयार कर लिया है। 15 दिन के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटाया जाएगा। इससे पहले मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने की तैयारी है। न्यू ट्रांसफर पॉलिसी में पहले की तरह प्रभारी मंत्रियों को जिले के अंदर तबादला करने का अधिकार होगा।
टीआई, तहसीलदारों के भी तबादले
GAD के सूत्रों के अनुसार, सूबे में इस बार बड़ी संख्या में थाना प्रभारी, तहसीलदार और पटवारियों के तबादले होंगे। सीएम को विधायकों से मिले फीडबैक के आधार पर अब कई जिलों के थानों के टीआई बदले जाएंगे। इसी तरह शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर होंगे। इसका बाकायदा पोर्टल तैयार करा लिया गया है। मंत्रिपरिषद यानी कैबिनेट की हरी झंडी के बाद शिक्षकों के तबादलों के लिए पोर्टल खोल दिया जाएगा।
क्या थी पुरानी तबादला नीति
आपको 2023 की ट्रांसफर पॉलिसी बताते हैं। पिछली सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी 15 जून से 30 जून तक के लिए लागू की गई थी। इसमें जिले के भीतर प्रभारी मंत्री के अप्रूवल से ट्रांसफर किए गए थे। वहीं, जिले के बाहर और विभागों में तबादलों पर मुख्यमंत्री की अनुमति की जरूरत थी। पिछली तबादला नीति के हिसाब से 201 से 2000 तक के संवर्ग में 10 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नहीं हो सकते थे, जबकि किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नहीं किए जा सकते थे।
एक ही जिले में दोबारा पोस्टिंग नहीं मिलेगी
पिछली तबादला नीति को देखें तो जिले में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से ट्रांसफर हो सकते थे। इसी के साथ राज्य संवर्ग में विभाग के अध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के तबादले सीएम के अनुमोदन (अप्रूवल) से सामान्य प्रशासन विभाग जारी करता था। हालांकि, अभी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं दिया है। ऐसे में यह नियम कितना लागू होगा, इस पर कोई स्पष्ट मत नहीं है।
बड़े अधिकारियों के तबादले सीएम की सहमति से
पिछली तबादला नीति के अनुसार, सभी विभागों के स्टेट कैडर के विभागाध्यक्ष और सरकारी उपक्रमों एवं संस्थाओं में पदस्थ प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (चाहे वे किसी भी पदनाम से जाने जाते हों) के ट्रांसफर आदेश में मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी होती थी। वहीं, राज्य कैडर के बाकी प्रथम श्रेणी अधिकारी, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर (जिले के भीतर किए जाने वाले ट्रांसफर को छोड़कर) मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद प्रशासकीय विभाग जारी करता था।
उच्च स्तर पर भी होगी प्रशासनिक सर्जरी
दूसरा, लोकसभा चुनाव के बाद प्रशासन और पुलिस महकमें में उच्च स्तर के अधिकारियों के भी थोकबंद तबादले किए जाएंगे। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले भी सरकार ने बड़े पैमाने पर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे। कई अफसरों को मंत्रालय में बिना विभाग बैठाया गया था तो कई अधिकारियों की जिम्मेदारी में फेरबदल किया गया था।
200 कर्मचारी वाले संवर्ग में 20% ही तबादले संभव
शिवराज सरकार की नीति के तहत 200 कर्मचारियों की संख्या वाले संवर्ग में 20 फीसदी, 201 से दो हजार की संख्या होने पर 10 प्रतिशत और दो हजार से ज्यादा संख्या होने पर 5 फीसदी तबादले किए जाने का नियम है।
स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की व्यवस्था की गई थी।
3 साल तक नहीं होगा कोई तबादला
2023 में सरकार ने तय किया था कि नई शिक्षा नीति में एक बार स्वैच्छिक स्थानांतरण होने के बाद विशेष परिस्थिति छोड़कर 3 साल तक तबादला नहीं किया जा सकेगा। यह भी निर्णय हुआ था कि कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन न हो जाए।