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BHOPAL. सरकार एक ओर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का दावा कर रही है। वहीं प्रदेश में पंचायती राज से जुड़ी 23 हजार से ज्यादा शिकायत बंद कराने की तैयारी हो रही है। इन्हें बंद करने की वजह शिकायतकर्ता का बाहरी होना बताया जा रहा है।
यह स्थिति तब है जब निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की कमी, अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतें बढ़ी हुई हैं। पंचायती राज से संबंधित 3.31 लाख शिकायतें पोर्टल पर दर्ज है। सबसे ज्यादा 14943 शिकायतें मुरैना जिले से दर्ज की गई हैं। सबसे कम 339 आलीराजपुर से आई हैं।
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हर स्तर पर पंचायतों की शिकायतों का अंबार
पंचायत दर्पण पोर्टल पर दर्ज इन शिकायतों मे 58 फीसदी लेवल-1 पर हैं। लेवल- 2 पर 15 फीसदी, लेवल- 3 पर 20 फीसदी से ज्यादा शिकायतें दर्ज हैं। वहीं सबसे आखिरी स्तर यानी लेवल-4 पर 15 हजार से ज्यादा शिकायत पहुंची हैं।
इसका सीधा मतलब है कि 3.31 लाख में से केवल 58 फीसदी में ही शिकायतकर्ता समाधान से संतुष्ट हैं। जबकि 42 फीसदी अब तक संतोषजनक कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।
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बाहरी लोगों की शिकायतों पर आपत्ति
पंचायती राज यानी पंचायतों के माध्यम से होने वाले कामों को लेकर सरकार के सामने शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। लगातार आने वाली शिकायतों का मामला बीते दिनों राजधानी में पंचायत प्रतिनिधियों की कार्यशाला में भी उठा था।
तब सरपंचों ने पंचायत के बाहर के लोगों की शिकायत पर आपत्ति दर्ज कराई गई है। पंचायत प्रतिनिधियों ने इस दौरान बाहरी लोगों की शिकायतों को खारिज करने का प्रस्ताव भी सीएम के सामने रखा था। जिस पर अब विभाग और सरकार के स्तर पर विचार किया जा रहा है।
सरपंचों के एक प्रस्ताव पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग जिस संजीदगी से 23 हजार शिकायतें बंद करने पर विचार कर रहा है। हालांकि विभाग ने अब तक इतना ध्यान भ्रष्टाचार और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर नहीं दिया है। ऐसे में केवल बाहरी होने का हवाला देकर शिकायत बंद करने के प्रस्ताव पर आरटीआई एक्टिविस्ट चिंता जता रहे हैं।
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प्रदेश में पंचायती राज की शिकायतों की भरमार
पंचायत दर्पण मध्यप्रदेश की पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े काम ही नहीं बल्कि शिकायतों का भी ब्यौरा भी दर्शाता है। बीते माह तक पोर्टल पर पंचायती राज से संबंधित 14943 शिकायतें मुरैना जिले से आई हैं।
दूसरे नंबर पर 12194 शिकायतें छिंदवाड़ा, तीसरे नंबर पर 11825 शिकायतें शिवपुरी, 11471 शिकायतें भिंड और पांचवे नंबर पर 10574 शिकायतें खरगोन जिले से दर्ज हुई हैं।
वहीं सबसे कम शिकायत वाले जिलों में आलीराजपुर में 339, आगर मालवा में 1539, पांढुर्णा में 1604 शिकायत सामने आई हैं।
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पीएम आवास की शिकायतों में सीएम का जिला आगे
पोर्टल पर प्रधानमंत्री आवास योजना की सबसे अधिक 10982 शिकायतें सागर से आईं। शिवपुरी से 9889, विदिशा से 6969, छतरपुर से 6922 और गुना से 6226 शिकायतें दर्ज हुईं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से सबसे ज्यादा शिकायतें उज्जैन से आईं। उज्जैन से 844, इंदौर से 827, मुरैना से 766, भिंड से 749 और राजगढ़ से 705 शिकायतें आईं।
इनमें से 51 फीसदी शिकायतों का समाधान संतुष्टि के साथ हुआ। मध्याह्न भोजन से जुड़ी सबसे ज्यादा 449 शिकायतें शिवपुरी से आईं। इसी मामले में 319 शिकायतों के साथ सिंगरौली दूसरे और 301 शिकायतों के साथ भिंड तीसरे नंबर पर है।
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बुंदेलखंड में मनरेगा की सबसे ज्यादा शिकायतें
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना भी शिकायतों से घिरी हुई है। विभाग और सरकार के स्तर पर निगरानी के दावों के बावजूद योजना में गड़बड़ी की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। ग्रामीण रोजगार गारंटी में गड़बड़ी की सबसे ज्यादा शिकायतें बुंदेलखंड अंचल से सामने आ रही हैं।
मनरेगा से जुड़ी 9845 शिकायतों के साथ दमोह जिला प्रदेश में सबसे आगे है। वहीं 3275 शिकायतों के साथ टीकमगढ़ दूसरे नंबर पर है। 3263 शिकायतों के साथ राजगढ़ तीसरे नंबर पर है। 3042 शिकायतों के साथ पन्ना चौथे नंबर पर है। 2910 शिकायतों के साथ खरगोन पांचवे नंबर पर है।
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