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बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री अपने बयानों की वजह से हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है कि चर्चाओं में आ गए हैं। दरअसल, शास्त्री ने एक निजी मीडिया संस्थान को इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से बाहर निकालने की मांग की है। बातचीत में धीरेंद्र शास्त्री ने ये भी कहा कि जैसे बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है, वहां या तो अलग हिंदू राष्ट्र बना देना चाहिए या फिर भारत को उन्हें शरण देना चाहिए।
उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार की नीति इस समय सख्त नहीं है और इसमें सुधार की जरूरत है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री से अलग-अलग मुद्दों पर हुई पूरी बातचीत इस प्रकार है....
सवाल: ज्ञानवापी जैसे सर्वे की मांग कई जगह उठ रही है। क्या इससे अलग तरह की स्थिति नहीं बन रही?
धीरेंद्र शास्त्री: हमारे देश में बाबर जैसे आक्रांताओं ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण किया। ये सनातन का युग है। हर जगह मंदिर नहीं हो सकता, लेकिन जहां-जहां हैं, वहां खोजा जा सकता है। अगर कोर्ट के आदेश और सर्वे के आधार पर मिलता है तो वहां सनातन संस्कृति की स्थापना या भगवान की स्थापना करना बुरी बात नहीं है। उन्होंने हमारे मंदिरों को तोड़कर बड़ी भूल की थी। भारत का हिंदू जाग चुका है। जहां मंदिर थे, वहां फिर से मंदिर बने, इसमें कुछ गलत नहीं है। सुधार करना कोई गलती नहीं है। मुस्लिम भाइयों से भी हम प्रार्थना करेंगे कि कोर्ट और कानून से बड़ा कोई नहीं है। हमारा सभी मुस्लिम धर्म गुरुओं से भी कहना है कि यदि कोर्ट सर्वे के लिए कहता है तो सर्वे करा लेना चाहिए।
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सवाल: क्या इस तरह के मामलों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि पर असर नहीं पड़ेगा?
धीरेंद्र शास्त्री: यह भारत का अंदरूनी मामला है। आस्था और धर्म का मामला है। विदेश नीति भी यही कहती है कि देश को खुद ये मामले सुलझाने चाहिए। हमें लगता है कि एक बार ये सारी चीजें खत्म हो जानी चाहिए। मुस्लिम समाज पहल करेगा तो बार-बार की लड़ाई खत्म हो जाएगी। जहां-जहां मंदिर हैं, वहां उन्हें स्वीकार कर मुस्लिम समाज को स्थापना में सहयोग करना चाहिए। ऐसा होगा तो निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छी छवि जाएगी।
सवाल: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों को लेकर केंद्र सरकार को क्या कदम उठाना चाहिए?
धीरेंद्र शास्त्री: भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाना चाहिए। दूसरी तरफ वहां जो हिंदू हैं, उन्हें भी दबाव बनाना चाहिए कि अलग से हिंदू राज्य बना दिया जाए। भारत सरकार को रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत से बाहर निकालना चाहिए। उनकी जगह बांग्लादेश के पीड़ित हिंदुओं को शरण देना चाहिए। अगर भारत सरकार ये कदम उठाती है तो सराहनीय होगा। हर हिंदू के मन की बात होगी। सभी लोग अपनी कम्युनिटी, अपनी संस्कृति के लोगों को स्वीकार करेंगे। मैं तो कहूंगा कि जिस देश में भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, वहां यदि उनकी स्थिति खराब है तो भारत सरकार को कोशिश करना चाहिए। अगर स्थिति ज्यादा बिगड़ रही है और जान की बाजी लग चुकी है तो सरकार को सह्रदय अपने द्वार खोलने चाहिए।
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सवाल: क्या आपका कहना है कि भारत को सख्त कदम उठाने की जरूरत है?
धीरेंद्र शास्त्री: हां, भारत सरकार विदेश नीति के तहत अभी उतना मजबूत कदम नहीं उठा रही है जैसा उठाना चाहिए। जब किसी दूसरे मज़हब के लोगों के खिलाफ कुछ होता है तो दूसरे देश अपनी विदेश नीति के तहत इकट्ठा होकर भारत पर दबाव बनाते हैं। उसी तरह से भारत को भी दबाव बनाना चाहिए। भारत को कहना चाहिए कि ये लोग हमारी संस्कृति, भारतीय परंपरा को मानने वाले लोग हैं। दूसरे देशों में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है, निश्चित तौर पर उन देशों के भारत के साथ संबंध बिगड़ेंगे। इस स्थिति में विदेशों से दबाव डालना चाहिए।
सवाल: इस बार बागेश्वरधाम में सामूहिक विवाह सम्मेलन में आदिवासी जोड़ों को भी शामिल किया जा रहा है। इसकी खास वजह क्या है?
धीरेंद्र शास्त्री: 26 फरवरी को 251 बेटियों का सामूहिक विवाह हो रहा है। इनमें 108 आदिवासी बेटियों को चुना गया है। आदिवासी परिवारों को उतना सम्मान नहीं मिलता। आदिवासी समाज के लोग बड़े भोले होते हैं। यह शबरी माता की परंपरा के लोग हैं। प्रभु श्रीराम को अपना आराध्य मानने वाले लोग हैं। इन्हें लालच और प्रोत्साहन देकर, बहला-फुसलाकर ब्रेनवॉश किया जाता है और कन्वर्ट किया जाता है। सनातन धर्म से किसी और मजहब में ले जाते हैं। सनातन संस्कृति को बचाए रखना हमारा उद्देश्य है। इसके लिए हमें पहले समाज को एक करना पड़ेगा। उन्हें सम्मान देना पड़ेगा। हम इसका भव्य आयोजन कर रहे हैं और एक नया प्रयोग भी किया है कि हर बेटी का दूल्हा घोड़ी पर बैठेगा। मध्यप्रदेश में आप कई बार खबरें छापते हैं कि दलित को घोड़ी चढ़ने नहीं दिया गया। यहां कोई दलित, आदिवासी नहीं है। देश में सब हिंदू हैं, सनातनी हैं। हम सभी वर्गों को बराबर सम्मान देंगे।
सवाल: सामूहिक विवाह सम्मेलन के लिए जोड़ों का सिलेक्शन कैसे किया जाता है?
धीरेंद्र शास्त्री: सिलेक्शन की प्रक्रिया चार से पांच महीने की होती है। 22 दिसंबर तक कन्या पक्ष और वर पक्ष का रजिस्ट्रेशन हुआ था। इसके बाद हमारी टीम आवेदन करने वालों के घर जाकर सर्वे करती है। वह देखती है कि आवेदन करने वालों की पात्रता क्या है, मकान कैसा है, जमीन है या नहीं, आय के स्त्रोत क्या हैं। इसके बाद उन आवेदकों को प्राथमिकता दी जाती है जिनके माता-पिता नहीं हैं। उसके बाद उन लोगों को प्राथमिकता दी जाती है जिनके माता-पिता में से कोई एक जीवित है। तीसरी प्राथमिकता उन्हें दी जाती है जिनके माता-पिता हैं, मगर आय का कोई साधन नहीं है। इसके बाद लिस्ट जारी की जाती है। इस बार 20 जनवरी को लिस्ट जारी की जाएगी। वर या वधू पक्ष से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
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सवाल: सामूहिक विवाह सम्मेलन के आयोजन के पीछे क्या कहानी है?
धीरेंद्र शास्त्री: हमारी बहन की शादी हुई थी, तब हमारे पास आय के स्त्रोत नहीं थे। भिक्षा लेकर हम अपना जीवन गुजार रहे थे। पिताजी कुछ करते नहीं थे। हमारी छोटी बहन की शादी तय हुई। शादी के लिए 20 हजार रुपए की जरूरत थी। किसी ने भी हमें उधार नहीं दिया। इससे मन बहुत खिन्न हुआ। परिवार के कुछ खास लोगों ने थोड़ा सहयोग किया और जैसे-तैसे बहन की शादी हो सकी। जिस दिन शादी हो रही थी, तो घर के दरवाजे पर वर-वधू का नाम लिखा जाता है। नाम लिखने वाला कोई नहीं मिला। जो मिला, वह 150 रुपए मांग रहा था। गांव के ही एक सज्जन ने नील से हमारी बहन और जमाई का नाम लिखा। उसी दिन हमने प्रण लिया था कि यदि हम पर कृपा हुई तो हमने जो दुख भोगा है, वह भारत के किसी भाई को न भोगना पड़े।
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