रामभद्राचार्य-प्रेमानंद महाराज विवाद पर बोले पंडित धीरेंद्र शास्त्री- संतों को लड़वाने की कोशिश

बागेश्वर बाबा ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रेमानंद महाराज के विवाद पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे सनातन धर्म के लिए हानिकारक बताया। बागेश्वर बाबा ने आरोप लगाया कि कुछ लोग दो संतों को लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

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Sandeep Kumar
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जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रेमानंद महाराज के बीच चल रहे विवाद पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह विवाद केवल सनातन धर्म को कमजोर करेगा और इसे बढ़ावा देने वालों की निंदा की। उनके अनुसार, लोग केवल विवादों का मजा लेने में लगे हैं, जबकि यह दोनों संत समाज में प्रेम और एकता का संदेश देते हैं।

बागेश्वर बाबा ने बताया कि संतों पर टिप्पणी करना सनातन धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। उनका कहना था कि संत समाज के मार्गदर्शक होते हैं। उनका विवादों में फंसना समाज में विघटन पैदा करता है।

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दोनों संत वंदनीय हैं: बागेश्वर बाबा

बाबा बागेश्वर ने प्रेमानंद महाराज और रामभद्राचार्य के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों संतों का उद्देश्य समाज को सही दिशा में ले जाना है। प्रेमानंद महाराज ने भजनों के माध्यम से लोगों को जोड़ा, जबकि रामभद्राचार्य ने राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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संतों को लड़वाने की कोशिश

धीरेंद्र शास्त्री ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर इन संतों के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "कुछ लोग वीडियो में बयानबाजी कर दो महान संतों को लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यह समाज के लिए नुकसानदेह है।"

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'समाज में शांति और प्रेम की आवश्यकता'

बाबा ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस विवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और यह समाज में गलत संदेश भेज रहा है। उनके अनुसार, समाज में शांति और प्रेम की आवश्यकता है, न कि संतों के बीच आपसी विवादों का।

किसी भी संत के खिलाफ नहीं: बागेश्वर बाबा

बाबा बागेश्वर ने कहा कि वे खुद किसी भी संत के खिलाफ नहीं हैं और न ही किसी से ईर्ष्या रखते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग इस विवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, वे समाज के दुश्मन हैं।

क्या थी रामभद्राचार्य की टिप्पणी

जगद्गुरु ने पहले कहा था कि प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता क्षणभंगुर है। उन्होंने यह टिप्पणी प्रेमानंद के चमत्कारी दावों पर की थी, जिसमें वे दावा कर रहे थे कि उनके पास कुछ विशेष शक्तियां हैं। रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद को चुनौती दी थी कि वे एक अक्षर संस्कृत का बोलकर दिखाएं, और श्लोकों का अर्थ समझाएं।  उन्होंने कहा था पहले विद्वान लोग ही धर्म का ज्ञान दिया करते थे, लेकिन आजकल मूर्ख लोग कथावाचन कर रहे हैं।

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