मध्य प्रदेश में बाघों का शिकार: बीएसएफ जवान की पत्नी थी शामिल, म्यांमार तस्कर का कनेक्शन आया सामने

मध्य प्रदेश STF ने बाघों के शिकार में लिप्त पारदी गैंग को पकड़ा। इसमें बीएसएफ जवान की पत्नी के शामिल होने की बात सामने आई है, जिनका म्यांमार तस्कर लाल नी सुंग से सीधा कनेक्शन था।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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MP News: बाघों के शिकार के मामले में मध्य प्रदेश पुलिस और फॉरेस्ट विभाग की एसटीएफ ने दो महीने पहले पारदी गैंग को पकड़कर पूछताछ की, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। गैंग ने स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले 10 सालों में 10 बाघों का शिकार किया है और यह सब म्यांमार के कुख्यात तस्कर लाल नी सुंग के इशारे पर हुआ।

बिना गोली और जहर के किया शिकार

गैंग के सदस्यों ने बताया कि बाघों को गोली या जहर से नहीं मारा जाता था क्योंकि इससे बाघ की खाल खराब हो जाती थी। इसके बजाय वे लोहे के पंजे का इस्तेमाल करते थे। बाघ जब थककर गिर जाता था, तब लाठियों से पीट-पीटकर उसकी हत्या की जाती थी। बाद में खाल, नाखून, दांत निकालकर अलग थैलियों में भरते थे।

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अंगों की तस्करी में महिलाओं की भूमिका

बाघ के अंगों की तस्करी के लिए महिलाओं और बच्चों का इस्तेमाल किया जाता था। अंगों को सामान्य सामानों में छिपाकर ट्रेन की जनरल बोगियों में भेजा जाता था। अगर पकड़े भी जाएं, तो उन्हें लावारिस बताकर बचने की योजना बनाई जाती थी।

बीएसएफ जवान की पत्नी थी शामिल

म्यांमार मूल की लिंग सान लून (Ling San Loon), जो एक बीएसएफ जवान की पत्नी है, अंगों को मिजोरम से सीमा पार कराने में प्रमुख भूमिका निभाती थी। उसके संपर्क में जामखानकाप नामक व्यक्ति था, जिसे अब STF ने गिरफ्तार कर लिया है।

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STF को मिला 940 किलो गांजा

एसटीएफ एसपी राजेश भदौरिया के अनुसार, डेरे पर छापेमारी के बाद 940 किलो गांजा (940 kg cannabis) बरामद किया गया। इसके अलावा पेंगोलिन की खाल (pangolin skin) और शिकारी जाल भी मिले।

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ये बातें आईं सामने

ओडिशा से आता था गांजा
गैंग ओडिशा के कालाहांडी और अन्य जिलों से गांजा लाता था। वहां के संपर्कों की जांच के लिए 11 सदस्यीय टीम लगाई गई है।

अजीत पारदी का कनेक्शन
महिलाओं ने खुलासा किया कि वे अजीत पारदी के निर्देश पर शिकार करती थीं और कमीशन लेती थीं। इनके पास से पेंगोलिन की खाल भी मिली है। महिलाओं ने यह भी बताया कि बाघ के अलावा दूसरे जानवरों का भी शिकार किया जाता था। 

असम तक जाती थी डिलीवरी
वन्य प्राणियों की खाल और अंगों को असम तक पहुंचाना महिलाओं की जिम्मेदारी थी।

FAQ

1. पारदी गैंग किस तस्कर के लिए बाघों का शिकार करता था?
पारदी गैंग म्यांमार के तस्कर लाल नी सुंग के निर्देश पर बाघों का शिकार करता था, ताकि उनके अंगों की अंतरराष्ट्रीय तस्करी की जा सके।
2. बाघों का शिकार किस तरीके से किया जाता था?
गैंग बाघों को लोहे के ट्रैप में फंसाकर, थकने के बाद लाठियों से मारता था ताकि बाघ की खाल खराब ना हो और उसका बाज़ार मूल्य बना रहे।
3. महिलाओं की क्या भूमिका थी तस्करी में?
महिलाएं वन्यप्राणियों के अंगों को मिजोरम और असम तक पहुंचाने में सक्रिय थीं और बच्चों का सहारा लेकर पुलिस से बचने की रणनीति अपनाती थीं।

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