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जबलपुर में पटवारी संघ ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है, लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं है क्योंकि पिछले जमीन फर्जीवाड़े के आरोपी तहसीलदार और पटवारी के लिए भी संघ ने इसी तरह का प्रदर्शन किया था। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) जबलपुर की लंबी जांच के बाद एक चौंकाने वाला मामला सामने आया था, जिसमें राजस्व विभाग के अधिकारियों ने आपसी साठगांठ कर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से निजी संपत्ति का नामांतरण किया था।
इन पटवारियों के खिलाफ हुए केस
इस मामले में तहसीलदार गोरखपुर भरत सोनी, हल्का पटवारी शिखा तिवारी, अधिवक्ता रजनी दीवान और लाभार्थी हरचंद सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की गंभीर धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है। अब इसके विरोध में पटवारी संघ सड़क पर उतर गया है और अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है।
फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर जमीन हड़पने का आरोप
शिकायतकर्ता अधिवक्ता भूपेन्द्र सिंह ग्रेवाल ने आरोप लगाया था कि उनके दिवंगत पिता अमर सिंह की मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर संपत्ति खसरा नं-87, रकबा 3800 वर्गफुट, ग्राम महेशपुर, तहसील गोरखपुर का नामांतरण एक अन्य व्यक्ति हरचंद सिंह के नाम कर दिया गया। जांच में नगर निगम से यह पुष्टि हुई कि 13 मार्च 2024 को जारी किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र रिकॉर्ड में था ही नहीं और वह कूटरचित था। राजस्व प्रकरण क्रमांक 265/अ-6/2024-25 में तहसीलदार भरत सोनी ने फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र और विरोधाभासी स्थल निरीक्षण के बावजूद खसरा नं-86/2 का नामांतरण हरचंद सिंह के पक्ष में पारित कर दिया।
बाद में जब मामला उजागर हुआ तो उन्होंने एक अन्य प्रकरण के जरिए स्वयं ही अपने आदेश को निरस्त कर दिया। बावजूद इसके, उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया। आपको बता दें कि इसके पहले भी पिछले साल इसी तरह का एक मामला सामने आया था जिसमें तहसीलदार और पटवारी सहित अन्य कर्मचारियों ने मिलकर एक बुजुर्ग की करोड़ों रुपए की जमीन हड़प ली थी इस मामले में आरोपी फिलहाल कोर्ट से जमानत पर है।
पटवारी संघ सड़क पर, कहा बिना जांच FIR अनुचित
इस कार्रवाई के विरोध में पूरे मध्य प्रदेश में पटवारी संघ आक्रोशित हो गया है। जबलपुर समेत कई जिलों में पटवारियों ने कामकाज ठप कर अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। संघ का आरोप है कि बिना विभागीय जांच और नोटिस के सीधे FIR दर्ज करना अन्यायपूर्ण है और इससे ग्राउंड लेवल के कर्मचारियों में भय का वातावरण है।
लिखित सुरक्षा आश्वासन की मांग
पटवारी संघ ने साफ कर दिया है कि जब तक जिला प्रशासन, विशेषकर कलेक्टर उन्हें लिखित में यह आश्वासन नहीं देता कि राजस्व विभाग के कर्मचारियों को न्यायिक कार्यों के दौरान विधिक सुरक्षा मिलेगी, वे कोई भी न्यायालयीन कार्य नहीं करेंगे। संघ ने मांग की है कि काम के दौरान किए गए निर्णयों को लेकर आपराधिक धाराओं में फंसाना बंद किया जाए और दोष सिद्धि से पहले गिरफ्तारी या निलंबन न हो।
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पर्याप्त डॉक्यूमेंट के आधार पर केस दर्ज
इस बीच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) से मिली जानकारी के अनुसार एफआईआर दर्ज करने से पूर्व विस्तृत प्रारंभिक जांच की गई थी, जिसमें नगर निगम, तहसील कार्यालय और अन्य संबंधित दस्तावेजों से प्रमाणित रूप से यह साबित हुआ कि दस्तावेज फर्जी थे और नामांतरण जानबूझकर लाभ पहुंचाने की नीयत से किया गया था। EOW ने इस मामले को अपराध क्रमांक 83/2025 के अंतर्गत पंजीबद्ध कर लिया है और विवेचना प्रारंभ कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है और भविष्य में और गिरफ्तारियां संभव हैं।
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