मध्य प्रदेश में गेहूं महंगा, कम खरीदी पर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने उठाए सवाल, मोहन सरकार पर साधा जमकर निशाना

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने प्रदेश में गेहूं की खरीदी के मुद्दे पर मोहन सरकार को जमकर घेरा है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि अपने यहां अभी तक पिछली बार से करीब 22.67 लाख टन कम खरीदी क्यों हुई है।

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ( PCC Chief Jitu Patwari ) ने गेहूं की कम खरीदी को लेकर प्रदेश की मोहन सरकार ( Mohan Government ) पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने अपने ट्वीटर पर लिखा है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव, कृषि विशेषज्ञों का मानना है गेहूं के फसल चक्र के दौरान कोहरे व हवा के कारण इसकी प्रति एकड़ उत्पादकता पांच क्विंटल तक कम हो गई है। दूसरा सबसे बड़ा दोष मध्य प्रदेश का है। अपने यहां अभी तक पिछली बार से करीब 22.67 लाख टन कम खरीद हुई है। अब तो देश भी जानना चाहती है कि ऐसा क्यों हुआ? पटवारी ने तंज कसते हुए कहा है कि कई बार कृषि कर्मण अवार्ड जीतने वाला राज्य, आखिर गेहूं खरीदी में क्यों पिछड़ गया।

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सरकार नहीं देगी जवाब: पटवारी

जीतू पटवारी ने आगे कहा, मैं जानता हूं कि सरकार इसका जवाब नहीं देगी, लेकिन, प्रदेश की जनता और किसान जानता है कि सच क्या है? घोषित समर्थन मूल्य से सरकार का मुकर जाना, इसकी सबसे बड़ी वजह है। बीते विधानसभा चुनाव में 2700 रुपए प्रति क्विंटल के वादे को मोदी की गारंटी बताने के बावजूद किसानों को धोखा दिया गया। इसीलिए सरकार के बयान से ज्यादा किसानों ने बाजार पर भरोसा कर लिया। 

गेहूं के बढ़ते दामों को लेकर पटवारी ने कहा, गेहूं एक साल में 8 प्रतिशत महंगा हुआ है। पिछले 15 दिन में ही कीमतें सात प्रतिशत बढ़ चुकी हैं, जो अगले 15 दिन में सात प्रतिशत और बढ़ सकती है।

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गेहूं खरीद को लेकर सरकार से सवाल

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि गेहूं एक साल में 8 प्रतिशत महंगा हुआ है। पिछले 15 दिन में ही कीमतें 7 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं, जो अगले 15 दिन में 7 प्रतिशत और बढ़ सकती हैं। दरअसल, गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक (138 लाख टन) होना चाहिए। मगर इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले यह सिर्फ 75 लाख टन था। 2023 में यह 84 लाख टन, 2022 में 180 लाख टन और 2021 में 280 लाख टन स्टॉक था। यानी अभी यह 16 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गया है।  

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किसानों को बाजार पर ज्यादा भरोसा

जीतू पटवारी ने कहा है कि सरकार के बयान से ज्यादा किसानों ने बाजार पर भरोसा कर लिया। मुनाफे की नीति पर चलने वाला बाजार अब अपनी शर्तों पर गेहूं और आटे की कीमत तय करेगा और इसका सबसे बड़ा खामियाजा देश की गरीब जनता को भुगतना पड़ेगा। गेहूं के जरिए आए महंगाई के इस नए संकट के लिए सबसे ज्यादा आपकी सरकार और उसके वादाखिलाफी जिम्मेदार है। अभी भी समय है। किसानों से माफी मांगे।

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