रजिस्ट्रेशन के लिए छात्रों को भटका रहा फार्मेसी काउंसिल

मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल का लेटलतीफी और आवेदकों को चक्कर लगवाने का ढर्रा अब भी पटरी पर नहीं आया है। अब भी छात्रों को रजिस्ट्रेशन के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है।

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Sanjay Sharma
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The Sootr

pharmacy council Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश फार्मेसी काउंसिल का लेटलतीफी और आवेदकों को चक्कर लगवाने का ढर्रा अब भी पटरी पर नहीं आया है। फार्मेसी का डिप्लोमा और डिग्री लेने वाले छात्रों को अपने रजिस्ट्रेशन के लिए कई महीनों से लेकर दो-दो साल तक चक्कर लगाना पड़ रहा है।

कुछ महीने पहले तक स्थायी रजिस्ट्रार न होने की दुहाई देने वाले फार्मेसी काउंसिल की स्थिति अब भी जस की तस है। यहां न तो कर्मचारियों का रवैया बदला है न ही यहां की व्यवस्था का ढर्रा। 

चक्कर लगवाना बना पहचान

वैसे तो सरकारी विभागों में लोगों को चक्कर लगवाना आम बात है लेकिन इस मामले में फार्मेसी काउंसिल ने अपनी अलग पहचान बना ली है। काउंसिल में डिप्लोमा और डिग्री के पंजीयन के लिए आने वाले छात्रों को उन बातों के लिए भी भटकाया जा रहा है जो काउंटर पर ही पूरी की जा सकती है।

मध्य प्रदेश शासन जहां विभागों में सिंगल विंडो प्रणाली के जरिए चक्कर लगवाने की परम्परा से छुटकारा पाने में जुटा है वहीं काउंसिल अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। 

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दो साल की रजिस्ट्रेशन पेंडेंसी

फार्मेसी काउंसिल के पास हर दिन 100 से ज्यादा डिप्लोमा और डिग्रीधारी पंजीयन के लिए पहुंचते हैं। इनमें नए पंजीयन और नवीनीकरण के आवेदक होते हैं। वैसे तो पंजीयन प्रक्रिया ऑनलाइन है लेकिन यह सिर्फ रस्मअदायगी है। ऑनलाइन पंजीयन के बाद जब तक आवेदक फार्मेसी काउंसिल न पहुंचे तब तक पोर्टल से पंजीयन होना संभव नहीं है।

काउंसिल के कर्मचारी कभी किसी दस्तावेज की कमी तो कभी इन दस्तावेजों के सत्यापन का हवाला देकर पंजीयन प्रक्रिया में रोड़ा अटका देते हैं। यही वजह है कि काउंसिल पहुंचे कई मामले तो एक साल से लेकर दो साल पुराने हो चुके हैं। इस वजह से ये छात्र न तो अपना मेडिकल स्टोर शुरू कर पा रहे हैं और न ही दवा कंपनियों में उन्हें नौकरी ही मिल रही है।

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रजिस्ट्रार भी नहीं ला पाए बदलाव  

शिवाजी नगर क्षेत्र में जेपी अस्पताल परिसर में संचालित मध्यप्रदेश फार्मेसी काउंसिल के सामने दिनभर रजिस्ट्रेशन के लिए आने वालों का जमावड़ा रहता है। पंजीयन में देरी को लेकर कई बार हंगामे के आसार भी बन चुके हैं। इस पर काउंसिल की ओर से कुछ माह पहले तक स्थायी रजिस्ट्रार की कमी का बहाना बनाया जा रहा था।

अब काउंसिल में रजिस्ट्रार की पोस्टिंग हो चुकी  है लेकिन हालात जस के तस हैं। इसमें रजिस्ट्रार की आमद भी कोई बदलाव नहीं ला पाई है। काउंसिल आने वाले सैकड़ों आवेदक बीते एक साल में दर्जन भर से ज्यादा बार चक्कर लगा चुके हैं लेकिन अब भी उन्हें रजिस्ट्रेशन नहीं मिला है। 

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