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भोपाल। एमईआई वर्ल्ड रैंकिंग 2025 में शैक्षणिक गुणवत्ता, रिसर्च और सामाजिक प्रभाव जैसे मानकों पर जगह बनाने वाला बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय (बीयू) अब विवादों में है। जिस विश्वविद्यालय को देश-विदेश में सम्मानित किया जा रहा है, वहीं पीएचडी जैसी उच्चतम डिग्री देने में लापरवाही और नियमों की अनदेखी का गंभीर मामला सामने आया है।
पीएचडी की तैयारी, रिसर्च गायब!
मप्र लघु वनोपज संघ की संविदा वैज्ञानिक विजेयता श्रीवास्तव का मामला इस गड़बड़ी का ताजा उदाहरण है। बिना विभागीय अनुमति और वैधानिक अवकाश लिए हुए ही वे पीएचडी कर रही थीं। इसका खुलासा करीब दो महीने पहले हुआ। इसके बाद विवि को अंतिम समय में उपाधि देने की प्रक्रिया रोकनी पड़ी।
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4 अप्रैल को तय थी मौखिक परीक्षा
शोधार्थी की मौखिक परीक्षा के लिए 4 अप्रैल को विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन के प्रोफेसर डॉ. डीएम कुमरावत समेत चार सदस्यों का पैनल गठित किया गया था। विवि ने PHD उपाधि देने की सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं, लेकिन ऐन मौके पर परीक्षा स्थगित करनी पड़ी।
एक शिकायत ने खोली पोल
भोपाल निवासी प्रमोद शर्मा की शिकायत से हंगामा मचा। आरोप था कि शोधार्थी शासकीय सेवा में रहते हुए बिना विभागीय अनुमति व अवकाश के रिसर्च कर रही हैं। शिकायत में यह भी कहा गया कि शोध में किसी तरह का प्रयोगात्मक या लैब वर्क नहीं किया गया।
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गाइड के कहने पर साइन, खुद कुछ नहीं देखा!
शिकायत की पुष्टि विवि की सहायक प्राध्यापक और सह-गाइड डॉ. अनीता तिलवारे के पत्र से हुई, जो उन्होंने गत 4 अप्रैल को ही विश्वविद्यालय के कुलसचिव को भेजा। उन्होंने लिखा कि वर्ष 2017-2024 तक छात्रा की विभाग में कोई उपस्थिति दर्ज नहीं है। उन्होंने सिर्फ मुख्य गाइड प्रो. रितु ठाकुर के कहने पर थीसिस पर हस्ताक्षर किए।
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तो फिर कैसे मिली थीसिस को मंजूरी?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब रिसर्च हुआ ही नहीं, लैब वर्क और उपस्थिति का कोई रिकॉर्ड नहीं, तो मुख्य गाइड ने थीसिस को लिखित मंजूरी कैसे दे दी? विवि प्रशासन और संबंधित अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। प्रो. ठाकुर ने इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया कि "मैंने अपना काम ईमानदारी से किया है।"
वहीं,बीयू माइक्रोबायलॉजी विभाग प्रमुख अनीता तिलवारे ने कहा कि उन्हें जो कहना था,वह पत्र के जरिए कुल सचिव को बता चुकी हैं। वहीं,विवि के कुलगुरू प्रो.केसी जैन ने कहा कि वह प्रकरण की नस्ती देखकर ही कुछ बता पाएंगे।
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शानदार रैंकिंग के पीछे की सच्चाई
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी को भले ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर शैक्षणिक उत्कृष्टता का तमगा मिला हो, लेकिन ऐसी घटनाएं यह सवाल उठाने पर मजबूर करती हैं-क्या यह सम्मान सिर्फ आंकड़ों का खेल है?
शिकायत गलत,शोध में कोई कमी नहीं:विजेयता
इस मामले में शोधार्थी विजेयता श्रीवास्तव ने कहा-शिकायत पूरी तरह निराधार व झूठी है। मुझे माइक्रोबायोलॉजी के तत्कालीन प्रमुख ने निजी लैब से रिसर्च वर्क करने की अनुमति दी थी। विजेयता ने कहा कि कुछ विभागीय लोग द्वेषतावश इस तरह की शिकायत कर रहे हैं,जबकि मैंने पीएचडी के लिए विभाग से अनुमति ली है।
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