उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के गोपनीय विभाग इन दिनों विवादों में घिरा हुआ है। दरअसल हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दो छात्र यूनिवर्सिटी की गोपनीय शाखा में आंसर शीट्स पर कोडिंग करते हुए नजर आ रहे हैं। यह वीडियो NSUI छात्र नेता बबलू खींची ने बनाया और सोशल मीडिया पर साझा किया। वीडियो में कुलपति अर्पण भारद्वाज भी मौके पर मौजूद हैं और छात्र नेता से तीखी बहस कर रहे हैं।
कुलपति ने खुद का किया बचाव
कुलपति अर्पण भारद्वाज ने वीडियो सामने आने के बाद अपना बचाव किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को विजिट के तौर पर गोपनीय विभाग में बुलाया गया था। उनका उद्देश्य था कि छात्र कार्यप्रणाली को समझ सकें। कुलपति के अनुसार यह कदम कर्मचारियों की कमी के कारण उठाया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विभाग आंसर शीट्स से संबंधित नहीं था। कुलपति ने कहा कि इसमें कोई धांधली नहीं हुई। छात्रों को केवल विभाग का कार्य देखने के लिए बुलाया गया था।
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परीक्षा परिणाम पर उठ रहे सवाल
NSUI के छात्र नेता बबलू खींची ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गोपनीय विभाग में छात्रों को काम करने की अनुमति कैसे दी गई? खींची ने आरोप लगाया कि यह कदम परीक्षा की पारदर्शिता को चुनौती देता है। उनका कहना था कि छात्रों को इस प्रक्रिया में शामिल करना निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कोडिंग प्रक्रिया से परीक्षा परिणाम पर संदेह हो सकता है।
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क्या होती है कोडिंग प्रक्रिया?
आमतौर पर, विश्वविद्यालयों में परीक्षा के बाद उत्तरपुस्तिकाओं को गोपनीय विभाग में भेजा जाता है। वहां, इन उत्तरपुस्तिकाओं को बंडल कर एक अन्य सेंटर पर भेजने के लिए तैयार किया जाता है, और बंडल पर एक कोड डाला जाता है। यह कोडिंग प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि उत्तरपुस्तिकाओं की पहचान छिपी रहती है और उनका मूल्यांकन निष्पक्षता से किया जा सके। लेकिन छात्रों के इस तरह से बंडल और कोडिंग करने से यह सवाल उठता है कि क्या इस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी हो सकती है, और क्या इससे परीक्षा परिणाम पर असर पड़ेगा?
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