MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में मूंग को जहरीला घोषित कर दिया था। सरकार ने गर्मी की फसल मूंग की सरकारी खरीद रोक दी है। इस फैसले से किसानों और उपभोक्ताओं में चिंता बढ़ गई है। सरकार ने रसायनों के अत्यधिक उपयोग का हवाला देते हुए इसे अस्वीकृत किया है। अब यही Moong बाजार में धड़ल्ले के साथ बिक रही है। किसान संगठनों ने इसे बिना प्रमाण के निर्णय बताया है। उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
बिक्री जारी, खरीद बंद
सरकार के अनुसार Moong में रासायनिक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग हुआ है, इसलिए उसे जहरीला करार दिया गया है। इसके बावजूद राज्य की मंडियों में Moong की बिक्री धड़ल्ले से चल रही है। सवाल यह उठ रहा है कि यदि फसल वाकई जहरीली है, तो इसकी खुलेआम बिक्री क्यों हो रही है? उपभोक्ताओं की सुरक्षा को लेकर सरकार की नीति पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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किसान नेताओं ने भेजा पत्र
सरकार की घोषणा के बाद किसान नेताओं ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि Moong Dal को बिना प्रमाण के जहरीला बताया गया। इस फैसले से कॉर्पोरेट लॉबी को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। गर्मी में बोई जाने वाली मूंग की फसल को जायद फसल कहा जाता है। मूंग की फसल केवल 60 दिन में तैयार हो जाती है, इसलिए इसे इस अवधि में उगाया जाता है।
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सरकार के फैसले ने मचाया हड़कंप
एमपी सरकार द्वारा Moong की फसल को जहरीला बताकर उसकी सरकारी खरीद पर रोक लगा दी गई है। यह फैसला किसानों और आम उपभोक्ताओं के बीच चिंता का विषय बन गया है। हर साल MSP पर खरीद से प्रोत्साहित होकर किसान बड़ी मात्रा में मूंग बोते हैं, लेकिन इस बार सरकार के इंकार ने उन्हें असमंजस में डाल दिया है।
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एमपी देश का सबसे बड़ा मूंग उत्पादक राज्य
मध्य प्रदेश देश में गर्मी के Moong का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इस वर्ष प्रदेश में मूंग की बुवाई 13.49 लाख हेक्टेयर में हुई है और उत्पादन लगभग 21 लाख टन के करीब रहने का अनुमान है। नर्मदा पट्टी के 16 जिले इस उत्पादन में अग्रणी हैं। इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन होने के बावजूद सरकार द्वारा खरीद बंद करने से किसानों को गहरा झटका लगा है।
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