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मध्य प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिजियोथेरेपिस्ट कानूनी रूप से ‘डॉक्टर’ लिख सकेंगे। मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग ने यह स्पष्ट किया कि भारत और एमपी सरकार के गजट के अनुसार अब फिजियोथेरेपिस्ट को कानूनी रूप से डॉक्टर माना जा सकता है। हालांकि इसके लिए उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुमति लेना जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने यह जानकारी पन्ना के विधायक ब्रजेंद्र प्रताप सिंह के सवालों का जवाब देते हुए दी।
स्वास्थ्य मंत्री का स्पष्टीकरण
स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने विधान सभा में कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट मरीजों का इलाज कर सकते हैं। हालांकि उन्हें ‘डॉ.’ (Dr.) की उपाधि स्वास्थ्य मंत्रालय की अनुमति से प्राप्त होती है।
कौन होते हैं फिजियोथेरेपिस्ट
सरकारी गजट के अनुसार फिजियोथेरेपी ((Physiotherapy) एक स्वीकृत चिकित्सा पद्धति है, जिसमें शारीरिक उपचार तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें एक्सरसाइज, मैनुअल थेरेपी, इलेक्ट्रिकल व थर्मल एजेंट्स, और अन्य इलेक्ट्रो-थेरेप्यूटिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। ये तकनीकें मूवमेंट डिसॉर्डर, चोट और बीमारियों की रोकथाम, पहचान, इलाज और रिकवरी में सहायक होती हैं। बता दें एमपी में 3028 पंजीकृत फिजियोथेरेपिस्ट हैं, जिनमें 286 मास्टर डिग्री धारक शामिल हैं। वहीं 2742 बैचलर डिग्री (BPT) धारक हैें।
डॉक्टर की उपाधि के ये शर्तें
गजट के अनुसार फिजियोथेरपिस्ट स्वतंत्र रूप से या मेडिकल टीम के हिस्से के रूप में काम कर सकते हैं। लेकिन उनके पास कम से कम बीपीटी (Bachelor of Physiotherapy) होनी चाहिए। इसके अलावा मध्य प्रदेश नर्सिंग होम अधिनियम 1973 (Madhya Pradesh Nursing Home Act 1973) के तहत, फिजियोथेरेपी सेवाएं देने वाले क्लीनिकों में BPT डिग्री धारक फिजियोथेरेपिस्ट का होना अनिवार्य है।
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एमपी में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में स्थिति
प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कोई नियमित पद स्वीकृत नहीं किया है। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत 107 संविदा पद स्वीकृत हैं। जिसमें से 94 पद भरे हुए हैं और 13 पद अभी खाली पड़े हैं। इस समय प्रदेश में 3028 पंजीकृत फिजियोथेरेपिस्ट हैं, जिनमें 286 मास्टर डिग्री धारक शामिल हैं। वहीं 2742 बैचलर डिग्री (BPT) धारक हैं।
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फिजियोथेरेपिस्ट की डॉक्टर उपाधि पर विवाद
कुछ मेडिकल संगठनों और डॉक्टर एसोसिएशनों ने फिजियोथेरेपिस्ट (Physiotherapist) को ‘डॉ.’ की उपाधि देने पर सवाल उठाए हैं।* उनका मानना है कि यह उपाधि सिर्फ मेडिकल डिग्री (MBBS, BDS, BHMS, BAMS) धारकों के लिए होनी चाहिए। हालांकि, सरकार ने फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका को चिकित्सा क्षेत्र में एक आवश्यक स्थान दिया है।