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Photograph: (the sootr)
भोपाल. साल 2017 में नगर पालिक निगम भोपाल ने केंद्र सरकार की पीएम आवास योजना को लेकर एक नारा दिया था..पहले आओ,पहले पाओ। यह लुभावना नारा देख सुन,जरूरतमंद लोगों की उम्मीद जागी कि राजधानी में अब उनका भी स्थायी बसेरा होगा। इसकी छत पक्की होगी,लेकिन छह साल बाद भी उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका।
अलबत्ता निगम के लोक लुभावन नारे के फेर में आकर वे बैंक के कर्जदार जरूर हो गए। इसका ब्याज उन्हें मासिक किस्त के साथ अदा भी करना पड़ रहा है।
दो दिन पहले राज्य विधानसभा में नगरीय प्रशासन विकास एवं आवास विभाग की ओर से जवाब आया,अभी सालभर और लगेगा। इसे आश्वासन माना जा सकता है।
मामला भोपाल दक्षिण पश्चिम क्षेत्र के विधायक एवं बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने ही एक ध्यानाकर्षण के जरिए उठाया। सबनानी ने दो बात कही-पहले निर्माणाधीन प्रोजेक्ट जल्द पूरे किए जाएं ताकि एक अदद मकान की उम्मीद लगाए लोगों का सपना पूरा हो सके। उन्होंने हितग्राही पर पड़े कर्ज के बोझ एवं इस पर लग रहे ब्याज का भी हवाला दिया।
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इंदौर में छूट,भोपाल में क्यों नहीं?
बीजेपी विधायक ने इस मुद्दे को लेकर जो अहम बात कही-वह पीएम आवास योजना शहरी अंतर्गत मिलने वाले आवास की खरीद-फरोख्त से जुड़ी है। उन्होंने कहा-इंदौर में आवास पजेशन के तीन साल बाद इसके विक्रय की छूट है,लेकिन भोपाल में यह सुविधा नहीं है। यहां अब भी पीएमएवाय के मकानों को बीपीएल के लिए लागू झुग्गी मुक्त आवास योजना की श्रेणी में रखा गया है। जिनका विक्रय नहीं किया जा सकता। जबकि सबके लिए घर योजना में सभी श्रेणी के मकान हैं। इनमें ईडब्लूयए,एलआईजी व एमआईजी मकान भी शामिल है।
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रजिस्ट्री शुल्क में छूट को लेकर संशय
योजनान्तर्गत आवासों के लिए आवेदन बुलाते वक्त नगर निगम प्रशासन ने इन आवासों की रजिस्ट्री पर 25 फीसद छूट का भी एलान किया था,लेकिन सिर्फ कोटरा सुल्तानाबाद के गंगानगर आवासीय प्रोजेक्ट की बात की जाए तो यहां प्रस्तावित 216 एमआईजी मकानों के हितग्राहियों में से सिर्फ 98 हितग्राहियों की सूची ही जिला कलेक्टर को सौंपी गई है,जबकि बकाया 118 हितग्राही इसे लेकर अब भी असमंजस में हैं।जबकि 216 हितग्राहियों में से 200 ने मकान के लिए तय 29 लाख रुपए की समूची राशि निगम को अदा कर दी है और इस पर वे हर माह ब्याज भी बैंक को अदा कर रहे हैं।
8 माह की अवधि और बढ़ाई
विधानासभा के पिछले सत्र में एक लिखित जवाब में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने करीब छह सौ आवास का गंगानगर प्रोजेक्ट इसी साल अप्रैल तक पूरा हो जाने का दावा किया था। यह अवधि अब दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। यानी 15मई 2017 को शुरू हुआ जो प्रोजेक्ट सालभर में पूरा होना था,करीब छह साल बाद इसकी मियाद को 8महीने और बढ़ा दिया गया है। यानी पहले आओ,चाहे बाद में आओ,मकान तब ही मिलेगा जब नगर निगम प्रशासन व संबंधित ठेकेदार चाहेगा।
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पहले ठेकेदार ने धोखा दिया,अब दूसरे पर भरोसा
प्रोजेक्ट के लिए पहला ठेका साल 2017 में ही अहमदाबाद के मेसर्स एमपी ओमनी प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड को दिया गया। कंपनी ने साल 2023 तक भी काम पूरा नहीं किया तो इसे टर्मिनेट कर दिया गया। नया ठेका एसआरएस प्रोजेक्ट प्रा.लि.को दिया गया है। प्रोजेक्ट में 240ईडब्लयूएस,144 एलआईजी व 216एमआईजी बनाए जाने हैं। बताया जाता है कि एलआईजी के दूसरे चरण की शुरुआत हाल ही में की गई है,जबकि पहले फेज का काम भी अधूरा है। यही स्थिति अन्य श्रेणी के आवासों की है। खास बात यह कि प्रोजेक्ट के 6सौ हितग्राहियों में से 342 लोग पूरा भुगतान निगम को कर चुके हैं। इनमें पहली श्रेणी के आवास की कीमत 9लाख,दूसरी की 22 से 28 लाख एवं एमआईजी की 29लाख रुपए तय की गई थी।
बाकी 13 प्रोजेक्ट के भी यही हाल
सूत्रों के अनुसार,राजधानी में वर्तमान में पीएमआवास योजना के 14 प्रोजेक्ट अंतर्गत निर्माण कार्य जारी है। इनमें 12नंबर बस स्टाप,बाग मुंगालिया एक्सटेंशन,श्याम नगर,कोकता,हिनोतिया आलम,कलखेड़ा,मालीखेड़ी,रासलाखेड़ी,राहुल नगर,बाजपेयी नगर फेज-दो आदि शामिल हैं। 12नंबर बस स्टॉप आवासीय योजना में ही 216एमआईजी,576एलआईजी व 1008 ईडब्ल्यूएस् आवास तैयार किए जाने हैं। इसी तरह,बाग मुंगालिया एक्सटेंशन में 2232 फ्लैट्स की योजना है। खास बात यह कि सभी प्रोजेक्ट्स को चार से छह साल हो चुके हैं,लेकिन इनमें एक भी अब तक पूरा नहीं हो सका।
अफसरों की लापरवाही पड़ी भारी
सूत्रों के मुताबिक,प्रोजेक्ट विलंब के लिए सरकार ठेकेदारों को भले ही जिम्मेदार बताए,लेकिन इस मामले में अफसर भी कम लापरवाह नहीं रहे। साल 2017 में नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त केवीएस चौधरी कुलसानी ने रेरा की अनुमति लिए बिना ही प्रोजेक्ट को लांच कर दिया।प्रस्तावित आवासों के लिए जरूरी जमीन भी नहीं जुटाई। साल 2023 में नए आयुक्त हरेंद्र नारायण यादव के कार्यकाल में रेरा की अनुमति ली। इस लेतलाली पर रेरा ने नीलबड़ और भौरी प्रोजेक्ट को लेकर नगर निगम पर ढाई लाख की पेनाल्टी भी लगाई।
धन की कमी नहीं
राजधानी में निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स को लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला ने कहा कि पीएमएवाय योजना के प्रोजेक्ट्स में धन की कमी नहीं है। केंद्र के साथ राज्यांश भी निकायों को अदा किया जा चुका है। भोपाल के प्रोजेक्ट्स में ठेकेदार के समय पर काम नहीं करने पर उसे टर्मिनेट कर दूसरी निर्माण कंपनी को काम सौंपा गया है। प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य विषय जो विधानसभा में चर्चा के दौरान सामने आए उन पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इनमें हितग्राही को दी जानी वाली छूट,सुविधाएं आदि शामिल हैं।