मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र का सोमवार को अंतिम दिन था। इस दौरान दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए - नगर और ग्राम निवेश संशोधन विधेयक और एमपी सहकारी समिति संशोधन विधेयक। इसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सदन की कार्यवाही पूरे समय चली, जो कि एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
ग्राम निवेश विधेयक पर पक्ष-विपक्ष आमने सामने
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने नगर और ग्राम निवेश संशोधन विधेयक पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में मुआवजे और मास्टर प्लान का कोई उल्लेख नहीं है। उनका मानना है कि यह विधेयक किसानों को मजबूत बनाने में मदद करेगा और उनकी जमीन की कीमतें बढ़ाएगा। इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस विधेयक का विरोध किया और कहा कि इसमें मुआवजे की स्पष्ट नीति होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की जमीन लेने पर उनका शोषण नहीं होना चाहिए और सरकार को विकास के साथ-साथ किसानों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए।
मध्यप्रदेश सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2025 पेश
मध्यप्रदेश सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2025 पर चर्चा का प्रस्ताव मंत्री विश्वास सारंग ने सदन में प्रस्तुत किया। इस पर कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने कहा कि यह विधेयक पारित होने से सहकारिता आंदोलन का अंत हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 20 सालों में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने के बजाय कुचलने का काम किया गया है।
कांग्रेस ने किया विधेयक का विरोध
कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने भी इस विधेयक का विरोध किया और कहा कि सरकार पहले ही सहकारी आंदोलन को अफसरों के हवाले कर चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चुनाव नहीं करा रही है। वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि इस विधेयक से प्राइवेट कंपनियां सोसायटियों पर कब्जा कर लेंगी और सोसायटी के अंश लेकर मनमानी करेंगी। विपक्ष पीपीपी मोड का भी विरोध कर रही है।
नई पैक्स बनाने के बाद होंगे चुनाव
मध्यप्रदेश में सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2025 पर चर्चा के दौरान मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि प्रदेश में 650 से 700 नई पैक्स बनाने की तैयारी है और उसके बाद सभी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार चुनाव टालने की मंशा नहीं रखती है।
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विधेयक में दो प्रमुख संसोधन हुए
सहकारिता विभाग विधेयक में दो प्रमुख संशोधन और एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। अब सरकारी कर्मचारियों के अलावा बैंक के कर्मचारी भी प्रशासक बन सकेंगे। इसके अलावा, जिन को-ऑपरेटिव सोसायटी में मकान बन चुके हैं, वे वेलफेयर सोसायटी के तौर पर काम कर सकेंगी और खेतिहर जमीन पर निवेश या उद्योग आने के बाद सोसायटी सप्लाई या सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर काम कर सकेंगी। इस विधेयक में पंजीकरण प्रक्रिया को भी आसान बनाया गया है। अब नई सहकारी संस्थाओं का पंजीयन 90 दिन के बजाय 30 दिन में होगा।
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