सिर्फ सबमिट बटन क्लिक न होने से नहीं कर सकते भविष्य से खिलवाड़, PMCE नियुक्तियों का मामला

जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस (PMCE) में नियुक्ति के ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में तकनीकी गड़बड़ी को लेकर कई प्रोफेसरों को राहत दी। जो सबमिट बटन न दबाने के कारण बाहर हो गए थे, उन्हें फिर से स्वीकार करने का आदेश दिया।

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Neel Tiwari
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Photograph: (thesootr)

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जबलपुर हाईकोर्ट से प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस (PMCE) में नियुक्ति की ऑनलाइन प्रक्रिया में फंसे कई प्रोफेसरों को बड़ी राहत दी है। जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने कहा कि जिन आवेदकों के पास पहले फॉर्म जमा करने में “सक्सेसफुली सबमिटेड” जैसा संदेश आया था, उनके प्रारम्भिक आवेदन को न मानकर उन्हें बाहर कर देना अनुचित है।

PMCE नियुक्तियों का मामला उन अनेक याचिकाओं में से था जिनमें दलील यह थी कि आवेदन शुरू में पूरी तरह जमा हुआ था, पर बाद में जब आवेदन को एडिट करने का विकल्प दिया गया तो कुछ आवेदकों ने एडिट करने के बाद दोबारा ‘सबमिट’ बटन नहीं दबाया और सिस्टम ने उन्हें ‘नॉट सबमिटेड’ दिखा दिया, जिसके कारण वह पूरी भर्ती प्रक्रिया से ही बाहर हो गए। 

ओरिजिनल फॉर्म हुआ लापता 

PMCE में भर्ती के लिए राज्य सरकार ने नियम और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया निर्धारित की थीं। इन भर्तियों के लिए दिनांक 05.08.2024 और 08.07.2024 को आदेश जारी किए गए थे। कई प्रोफेसरों जिनमें डॉ. प्रतिमा बिसेन, डॉ. शालिनी सक्सेना, डॉ. चारु चित्रा सहित अनेक कैंडिडेट्स ने नियम अनुसार आवेदन भरे।

शुरुआत में उन्हें स्क्रीन पर और मोबाइल पर “Your application … has been successfully submitted” जैसा संदेश भी मिला, यानी आवेदन जमा होने का पुष्टिकरण दिखा। मगर जब अंतिम सूची बनी और आगे की प्रक्रिया शुरू हुई तो 149 आवेदकों के नाम “नॉट सबमिटेड” दिखने लगे और उन्हें आगे की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वे पूरी तरह से आवेदन जमा कर चुके थे और बाद में जो स्थिति बनी वह तकनीकी गड़बड़ी है।

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सरकार ने कोर्ट में पेश की लॉग शीट 

राज्य ने अदालत को बताया कि ऑनलाइन पोर्टल पर उम्मीदवारों को अपने आवेदन खोलकर एडिट करने का विकल्प दिया गया था और एडिट करने के बाद आवेदन को फिर से सबमिट करना जरूरी था। कोर्ट के समक्ष राज्य ने लॉग रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज पेश किए।

जिनमें यह दिखाया गया कि कुल 1,850 आवेदकों ने एडिट कर के फिर से सबमिट किया, जबकि 149 आवेदकों ने ऐसा नहीं किया और उनके आवेदन ‘नॉट सबमिटेड’ रहने की वजह से अस्वीकृत हो गए। साथ ही सरकार ने इंटरव्यू कमेटी की अटेंडेंस शीट और अंतिम अंकतालिका (final tabulation) भी पेश की ताकि बताया जा सके कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से हुई है। 

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OSD राकेश श्रीवास्तव नहीं दे पाए कोर्ट को जवाब

कोर्ट ने सवाल उठाया कि यदि किसी उम्मीदवार ने एडिट विंडो खोल दी और एडिट करने के बाद ‘सबमिट’ न किया, तो क्या इसका सीधा नतीजा यह होना चाहिए कि उसका मूल (पहले जमा किया गया) आवेदन भी गायब हो जाए।

इस सुनवाई में हायर एजुकेशन के ओएसडी राकेश श्रीवास्तव वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जुड़े। कोर्ट ने ऑनलाइन प्रक्रिया के नोडल अधिकारी राकेश श्रीवास्तव (OSD, Higher Education) से पूछा कि क्या सॉफ़्टवेयर इस तरह बना हुआ था कि एडिट खोलते ही मूल आवेदन सिस्टम से हट जाता है? श्रीवास्तव इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। 

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पोर्टल की गलती का खामियाजा नहीं भुगतेंगे उम्मीदवार

कोर्ट ने हायर एजुकेशन के ओएसडी राकेश श्रीवास्तव को फटकार लगाते हुए कहा कि पोर्टल की डिजाइन ही ऐसी है कि एडिट खोलने से मूल आवेदन गायब हो जाए और उपयोगकर्ता गलती से ‘सबमिट’ न करे तो यह पोर्टल और प्रशासन की गलती है, न कि उम्मीदवार की। ऐसे में मूल आवेदन को अमान्य मान लेना बिल्कुल गलत है।

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रिजल्ट जारी कर 45 दिनों में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के आदेश

इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पहले ही अंतरिम आदेश देकर इन याचिकाकर्ताओं को इंटरव्यू में बैठने की अनुमति दी थी जिसके बाद वे इंटरव्यू में शामिल हुए थे। लेकिन विभाग ने अदालत के निर्देश के कारण उनके परिणाम घोषित नहीं किए थे।

अब अंतिम आदेश में जस्टिस विवेक जैन ने स्पष्ट निर्देश दिया कि इन याचिकाकर्ताओं की उम्मीदवारी को उनके प्रारम्भिक आवेदन के अनुसार माना जाए और उनके इंटरव्यू के परिणाम घोषित किए जाये। कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन करते हुए 45 दिनों में परिणाम घोषित करने के साथ ही नियुक्ति संबंधी कार्यवाही पूरी की जाए।

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