मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012) के प्रचार-प्रसार की कमी पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। जबलपुर के वकील अमिताभ गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ ने दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। जवाब न देने पर सरकार को 10 हजार रुपए जुर्माना भरना होगा।
सरकार नहीं कर रही प्रचार
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने याचिका में तर्क दिया कि पॉक्सो अधिनियम की धारा 43 के तहत केंद्र और राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि वे इस कानून के प्रावधानों को जनता तक पहुंचाएं। याचिका में कहा गया कि सरकारों ने इसके प्रचार-प्रसार में कोई उल्लेखनीय प्रयास नहीं किए हैं, जिससे समाज में जागरूकता की भारी कमी है।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि इस अधिनियम के कड़े दंड प्रावधानों से अनजान कई किशोर और युवा अपराध की चपेट में आ रहे हैं, जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। वहीं सरकार इस एक्ट के प्रचार प्रसार पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
सरकार के जवाब को अपर्याप्त
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। वहीं, मध्य प्रदेश सरकार के गृह विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस महानिदेशक भोपाल (DGP Bhopal) ने अपने जवाब में पेश किए। राज्य सरकार ने अपने जवाब में बताया कि कुछ जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन अदालत ने इसे अपर्याप्त माना।
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हाईकोर्ट की सख्त चेतावनी
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि केंद्र सरकार तय समय पर जवाब दाखिल नहीं करती है तो उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि बाल अधिकार राष्ट्रीय संरक्षण आयोग (NCPCR) और मध्य प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग को भी पुनः नोटिस जारी किया जाए। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 मई 2025 की तारीख तय की है। तब तक केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करना होगा।
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