जीतू यादव पर पुलिस की मेहरबानी, शुक्रवार रात को ही चुपचाप थाने में आवाज नमूने दे गया
जीतू यादव को पुलिस ने आवाज के नमूने देने के लिए नोटिस दिया था, जिसके तहत वह शुक्रवार रात को अपने वकील के साथ एसीपी कार्यालय पहुंचा और तीन घंटे तक 30 तरह से नमूने दिए। इसके बाद वह थाने से चुपचाप चला गया।
जीतू यादव उर्फ जाटव उर्फ देवतार को पुलिस ने क्यों नहीं पकड़ा। इसका जवाब अब सामने आ गया है। जीतू को आवाज के नमूने देने के लिए पुलिस पहले ही नोटिस दे चुकी थी और शुक्रवार तक पेश होने का अंतिम नोटिस था। जीतू अपने वकील के साथ शुक्रवार रात को ही एसीपी जूनी इंदौर के कार्यालय पहुंचा, यहां उसके तीन घंटे तक अलग-अलग 30 तरह से सैंपल लिए गए और फिर वह चला गया।
जीतू को एसीपी देवेंद्र सिंह धुर्वे ने उनकी और पार्षद कमलेश कालरा के बीच की रिकार्डिंग सुनाई। इसे पहचानने से उसने इनकार कर दिया। इसके बाद उसके नमूने लिए गए तो वह आवाज बदलकर नमूने देने लगा जिससे आवाज मैच नहीं करे। जो बातें रिकॉर्डिंग में जीतू ने कही थी, वही सारी बातें उससे नमूने के दौरान बुलवाई गई। वह बचने के लिए कई तरीके कानूनी जानकारों से पहले ही सीख कर आया था।
आवाज के नमूने जांच के लिए जाएंगे, इसकी रिपोर्ट आने में करीब डेढ़ माह का समय लगता है, यानी अब पुलिस इस सांठगांठ से हुई पूछताछ के बाद फिर हाथ पर हाथ धरे बैठ जाएगी। क्योंकि जब अभी तक उसका नाम नहीं जोड़ा गया तो फिर आगे जुड़ेगा। इसमें संदेह है और जिस तरह से पुलिस द्वारा जैसी कार्यशैली इस केस में रही है, उससे उसकी गिरफ्तारी मुश्किल ही दिखती है।
शुक्रवार को यह सारी कार्रवाई जीतू ने की और उधर शनिवार दोपहर में ही उसका चचेरा भाई अभिलाष उर्फ अवि सामने आ गया और पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी दिखा दी। यानी साफ है कि पूरी रणनीति है कि अब अवि को ही मुख्य आरोपी बनाकर केस को आगे चलाया जाएगा और जीतू को साफ बताया जाएगा कि उसने किसी गुंडों को नहीं भेजा बल्कि अवि ने ही सब कुछ किया।
उसकी कोशिश है कि वह मुख्य आरोपी नहीं बने और धाराएं लगी भी तो मामूली धाराएं लगें और पॉक्सो एक्ट जैसी सख्त धाराएं नहीं लगे, जिससे वह जल्द कानून की जद से बाहर आ जाए और फिर बेगुनाह साबित होकर पार्टी में आने का जुगाड़ बैठाए।
जीतू के सामने आने और केवल वॉयस सैंपल देकर चले जाने से पीड़ित पार्षद कमलेश कालरा ने सवाल उठाए हैं उन्होंने कहा कि पुलिस को उसे गिरफ्तार करना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने चुपचाप उसके सैंपल लिया और जाने दिया जबकि वह अभी तक पुलिस से बच रहा था। यदि पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की तो कोर्ट जाऊंगा। उल्लेखनीय है कि जीतू यादव पार्टी से निकाले जाने के बाद से ही 11 जनवरी से गायब था और पुलिस के पास 13 दिन बाद सामने आया है । पुलिस बार-बार पेश होने के लिए नोटिस दे रही थी और ये अंतिम नोटिस था।