दिवाली पर बढ़ा MP में प्रदूषण, इंदौर-ग्वालियर में AQI 400 के पार

दिवाली पर फोड़े गए पटाखे के चलते प्रदूषण का जहर मध्य प्रदेश के बड़े शहरों की हवा में घुल चुका है। अगर आपने इस हवा में कुछ घंटे बिता लिए तो बीमार होने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसा हम नहीं कहते, बल्कि AQI के आंकड़े कह रहे हैं।

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Sandeep Kumar
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दिवाली के एक दिन बाद मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने जो प्रदूषण को लेकर आंकड़े दिए हैं। वे वायु गुणवत्ता की चिंताजनक तस्वीर को दिखा रहे हैं।  प्रदूषण की दृष्टि से इस हवा को बहुत खराब की श्रेणी में रखा गया है। प्रदेश में सबसे गंभीर स्थिति इंदौर और ग्वालियर की है। यहां पर AQI 400 का स्तर पार कर गया। पहले नंबर है ग्वालियर का एक्यूआई 408 दर्ज किया गया। इसके बाद देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में AQI 404 दर्ज किया गया है।

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इंदौर में हवा की क्वालिटी गंभीर श्रेणी में 

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, इंदौर शहर के छोटी ग्वालटोली क्षेत्र में दोपहर के समय AQI 404 दर्ज किया गया। शहर में PM 10 का औसत स्तर 318.08 रहा। बता दें कि छोटी ग्वालटोली शहर का घनी आबादी वाला इलाका है, जहां वाहनों की भारी आवाजाही रहती है। पर्यावरण विशेषज्ञ की मानें तो गुरुवार सुबह से ही शहर में दिवाली की आतिशबाजी (diwali fireworks ) की धूम रही, जो देर रात तक जारी रही। शहर में वायु गुणवत्ता के गंभीर श्रेणी में पहुंचने का यही मुख्य कारण है।

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पटाखों से बदला AQI

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( Pollution control Board ) का डाटा 30 अक्टूबर तक मध्य प्रदेश के सभी शहरों की वायु गुणवत्ता (air quality ) सामान्य दिखा रहा था। उस दिन ग्वालियर में इसका स्तर 182 था। भोपाल में एक्यूआइ (AQI ) 196 था। वहीं जबलपुर में 131 मापा गया था। इस हवा की गुणवत्ता मध्य स्तर की प्रदूषित (polluted ) मानी गई थी। वहीं दिवाली की एक रात में वायु गुणवत्ता की पूरी तस्वीर बदल गई। 31 अक्टूबर की सुबह नौ बजे से लेकर एक नवंबर की सुबह नौ बजे तक प्रदेश के अधिकांश शहरों की हवा में पटाखों का इतना जहरीला धुंआ घुला कि वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई।

        एमपी के बड़े शहरों की AQI

भोपाल- 305
ग्वालियर  - 408
इंदौर - 404 
जबलपुर - 335

पटाखों के प्रदूषण से ये होता नुकसान

दरअसल पटाखों के बाद जो धुंआ उठता है, उसमें कई तरह के खतरनाक रसायन होते हैं। इसमें कार्बन मोनो आक्साइड (carbon monoxide ), हाइड्रोजन सल्फाइड (hydrogen sulphide ), स्ट्राइकीन और ओजोन ( Strychnine and ozone )  जैसी गैसों के साथ धूल और बारूद के ऐसे कण भी हैं। जो नग्न आंखों से दिखते भी नहीं। इनकी वजह से सांस की नली, फेफड़ों का संक्रमण हो सकता है।

जानें क्या है AQI

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI ) हवा की गुणवत्ता को बताता है। जिससे पता चलता है कि हवा किन गैसों की कितनी मात्रा है। हवा की गुणवत्ता के आधार पर इसके लिए 6 कैटेगिरी बनाई गई है। जिसमें 0-50 के बीच एक्यूआई को अच्छा माना जाता है। 51-100 के बीच संतोषजनक माना जाएगा। इसके बाद 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 से लेकर 400 तक बेहद खराब माना जाता है।

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