आरोपों के बीच IFS शुभरंजन सेन संभालेंगे प्रदेश के PCCF की कुर्सी!

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे के अनुसार 2015-16 में एमपी ईको टूरिज्म के माध्यम से पेंच और बांधवगढ़ के बफर जोन एरिया में टाइगर सफारी के नाम से करीब 500- 500 एकड़ में बाघों को रखने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसमें बड़ा खेल हो गया...

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IFS शुभरंजन सेन एक जुलाई से मध्य प्रदेश के PCCF ( Principal Chief Conservator of Forests ) की कुर्सी संभालेंगे। इसके बाद वे अपने ही खिलाफ उन गड़बड़ियों की जांच भी करेंगे, जो उन्होंने पेंच टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर रहते हुए की हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है। साथ ही कहा है कि अगर उचित कार्यवाही नहीं होगी तो वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। IFS शुभरंजन सेन के खिलाफ यह आरोप क्यों लग रहे हैं, यह जानते हैं एक टाइम लाइन से…

टाइगर सफारी के बहाने हो गया खेल

वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे के अनुसार 2015-16 में एमपी ईको टूरिज्म के माध्यम से पेंच और बांधवगढ़ के बफर जोन एरिया में टाइगर सफारी के नाम से करीब 500- 500 एकड़ में बाघों को रखने की योजना बनाई गई थी। 

आरोप हैं कि इस दौरान दोनों ही टाइगर रिजर्व प्रबंधनों ने वन्य प्राणी शाखा के बड़े अफसरों के साथ मिलकर गठजोड़ बनाया। टाइगर सफारी प्रोजेक्ट पर करीब पांच करोड़ की सरकारी राशि बर्बाद कर निजी लाभ कमाया गया। इस दौरान पेंच के फील्ड डायरेक्टर शुभरंजन सेन ही थे। PPCF IFS शुभरंजन सेन अजय दुबे पेंच टाइगर रिजर्व टाइगर सफारी PPCF IFS Subhranjan Sen Ajay Dubey Pench Tiger Reserve Tiger Safari

इस प्रोजेक्ट के बावजूद यहां बेगुनाह दुर्लभ वन्य प्राणियों विशेषकर बाघों का शिकार हुआ। यानी बाघ सफारी के बावजूद बाघों का शिकार नहीं रोका जा सका। 

बता दें कि इस टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट को लिए भारत सरकार के CZA यानी Central Zoo Authority और NTCA - National Tiger Conservation Authority की अनुमति आवश्यक थी। मगर CZA से अनुमति ली ही नहीं गई। 

इस अनदेखी के खिलाफ अजय दुबे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। जिस पर हाईकोर्ट ने 29 नवंबर 2022 को आदेश जारी कर मप्र शासन को मामले की जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए थे।

हाईकोर्ट के आदेश के तहत वन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव वन एपी श्रीवास्तव, जितेंद्र अग्रवाल तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी), विनय वर्मन तत्कालीन सीईओ एमपी इको टूरिज्म बोर्ड सहित अन्य जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध अपराधिक विभागीय कार्यवाही के लिए कहा गया था। जाहिर है उपरोक्त अन्य नामों में से एक नाम पेंच के तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर शुभरंजन सेन का भी है, जो पेंच में अवैध टाइगर सफारी निर्माण और आधा दर्जन बाघों के शिकार को रोकने में असफल रहे थे।

हाईकोर्ट के आदेश पर मप्र सरकार ने कोर्ट में अंडरटेकिंग देकर NTCA की रिपोर्ट पर अक्षरश: कार्यवाही का वचन दिया था, लेकिन पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 

लंबे समय बाद अब जाकर मप्र शासन वन विभाग ने 30 अप्रैल 2024 को एक समिति गठित की है। इसमें हाई कोर्ट के आदेश के आंशिक हिस्से के अनुसार जांच की बात कही गई है। बता दें कि इस विवादित समिति के गठन में कोर्ट में प्रस्तुत मप्र सरकार की अंडरटेकिंग का हवाला ही नहीं है और न ही याचिकाकर्ता अजय दुबे को पक्ष रखने हेतु सूचित किया गया है। जाहिर है इस तरह की आधी- अधूरी जांच से आरोपियों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा।

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समिति के गठन आदेश की प्रति

जो संदेह के दायरे में वही बनेंगे अफसर

शुभ रंजन सेन आजकल भोपाल में पीसीसीएफ पद पर पदस्थ हैं। एक जुलाई से शुभ रंजन सेन प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी बन जाएंगे। इससे पूरे मामले की जांच पर ही प्रश्न चिन्ह लग गए हैं। अजय दुबे का कहना है कि पेंच में अवैध टाइगर सफारी के निर्माण के दौरान आधा दर्जन बाघों सहित कई दुर्लभ वन्य प्राणियों का शिकार हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व में इसी तरह की अवैध टाइगर सफारी निर्माण की सीबीआई जांच घोषित की। अजय दुबे ने भी समिति भंग कर सीबीआई जांच की मांग की है। 

 

 

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