डिप्टी कलेक्टर बिसन ठाकुर ने खाई 2 करोड़ से अधिक की मलाई, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से किया खुद का कल्याण

तहसीलदार रहते हुए डिप्टी कलेक्टर बिसन ठाकुर ने कहीं जिंदा किसान को मृत बता दिया तो कहीं नाबालिग छात्र को किसान बताकर प्रधानमंत्री सम्मान निधि का लाभ मनमाने तरीके से दिया। आखिरकार जब पोल खुली तो डिप्टी कलेक्टर साहब किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहे।

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Neel Tiwari
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डिप्टी कलेक्टर बिसन ठाकुर
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जबलपुर कमिश्नर ने एक ऐसे डिप्टी कलेक्टर को निलंबित किया है, जिसने तहसीलदार रहते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना ( Pradhan Mantri Kisan Samman Yojana ) में एक से बढ़कर एक घोटाले किए थे।

डिंडोरी में तहसीलदार रहते हुए बिसन ठाकुर ( Deputy Collector Bisan Thakur ) ने किसानों के हित में चलाई जा रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना की निधि का मनमर्जी से बंदरबांट करते हुए 2 करोड़ 83 लाख रुपए का घपला कर दिया।

आलम यह था कि जिसे तहसीलदार चाहते थे वह अगर स्कूली छात्र हो या किसान ही ना हो, तब भी उसे योजना का लाभ मिल जाता था। जिसे नहीं चाहते थे वह हितग्राही होने के बाद भी कागजों में मरा हुआ दिखा दिया जाता था। इस पूरे खेल के उजागर होने के बाद तत्कालीन तहसीलदार को जबलपुर संभाग कमिश्नर अभय वर्मा ने निलंबित कर दिया है।

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ऐसे उजागर हुआ मामला

डिंडोरी तहसील के गांव सरहरी में रहने वाली सुशीला बाई पिता गंगा सिंह और भाजी टोला विकासखंड समनापुर में रहने वाले कीरत सिंह पिता मूलचंद को पीएम किसान योजना की क्रमशः दूसरी और सातवीं किस्त नहीं मिली। जिसका कारण यह था कि कागजों में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। इन दोनों किसानों ने इसकी शिकायत की, इसके बाद तत्कालीन तहसीलदार बिसन सिंह ठाकुर को साल 2022 में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

तहसीलदार ठाकुर ने अपने बचाव में विभाग को बताया कि इन दोनों किसानों का नाम किसी अन्य किसान से मिलता जुलता होने के कारण गलती से उन्हें मृत दर्शा दिया गया है। वहीं इसका पूरा दोष उन्होंने पटवारी संदीप परमार के सर मढ़ दिया कि उसके द्वारा परीक्षण ना किए जाने के कारण यह गलती हुई है। जिसके बाद पटवारी को निलंबित भी कर दिया गया। इसके बाद जब तहसीलदार ठाकुर की आईडी से अनुमोदित किए गए अन्य हितग्राहियों की पड़ताल शुरू हुई तो यह बड़ा गड़बड़ झाला सामने आया।

बिना जमीन के किसान-स्कूली छात्रों को दिया लाभ

जब डिंडोरी कलेक्टर के आदेश पर विभाग के द्वारा इस योजना का सत्यापन किया गया तो तहसीलदार डिंडोरी की आईडी के अंदर लगभग 2700 ऐसे हितग्राही किसान पाए गए, जिनके नाम पर कोई जमीन ही नहीं है। वही 300 हितग्राही ऐसे मिले जिनके परिवार में मुखिया के अलावा अन्य सदस्यों को भी इस योजना का लाभ मिल रहा था।

तहसीलदार ठाकुर की आईडी से अप्रूव किए गए किसानों में नाबालिग स्कूली छात्र भी शामिल थे। इस तरह किसान निधि का मनमर्जी बंदरबांट करते हुए तत्कालीन तहसीलदार ने 3916 ऐसे किसानों को इस योजना का लाभ दिया, जो इस योजना के पात्र ही नहीं थे और शासन को कुल 2 करोड़ 83 लाख रुपए की क्षति पहुंचाई।

 जांच रिपोर्ट में तो यह सामने आया है कि तहसीलदार बिशन सिंह ठाकुर के द्वारा हितग्राहियों की पात्रता की जांच या परीक्षण नहीं किया जाता था। इसके कारण उन्हें इस गड़बड़ी का दोषी पाया गया है। हालांकि यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अपात्र लोगों को इस योजना का लाभ देकर 2 करोड़ 83 लाख रुपए का चूना लगाने वाले तत्कालीन तहसीलदार ने यह सब कुछ जानकर किया है और इसमे उनका भी बराबर का हिस्सा रहा होगा।

खातों में गई राशि की नहीं हो पाई वसूली, डिप्टी कलेक्टर हुआ निलंबित

यह गड़बड़झाला सामने आने के बाद पी.एम.किसान पोर्टल में अपात्र हितग्राहियों की पेमेंट स्टॉप की गई और एस. बी.कलेक्शन के माध्यम से भी उक्त राशि की वसूली की कोशिश की गई, लेकिन जून 2024 तक केवल 15 लाख 17 हज़ार रुपए की ही वसूली हो पाई है।

 विभागीय जांच में यह पाया गया कि तत्कालीन तहसीलदार और अब डिप्टी कलेक्टर बन चुके बिसन सिंह ने अपने पद और कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरती है और मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) में कदाचरण का दोषी पाते हुए वर्तमान डिप्टी कलेक्टर सिवनी बिसन सिंह ठाकुर को निलबिंत कर दिया है।

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