BHOPAL. प्रदेश सरकार के मंत्री प्रहलाद पटेल ने लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के वक्तव्य की कड़ी आलोचना की। पटेल ने कहा कि राहुल गांधी का हिंदुओं को हिंसक बताना कांग्रेस और इंडी गठबंधन के सनातन विरोधी हिडन एजेंडे का ही हिस्सा है। ऐसा करके राहुल गांधी ने एक बार फिर सनातन को अपमानित करने का प्रयास किया है, जिसके विरोध में देश भर में गुस्सा है। राहुल गांधी के इस संदेश के जो संकेत देश में गए हैं, वो बेहद खतरनाक हैं।
राहुल गांधी का आचरण संसदीय परंपराओं का अपमान
प्रहलाद पटेल ने कहा कि राहुल गांधी ने राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर जिस तरह संसदीय नियमों और परंपराओं का लगातार अपमान किया, उसे पूरे देश ने देखा है। उन्होंने मर्यादा की सीमा का उल्लंघन तब किया, जब उन्होंने हमारी भारतीय संस्कृति को हिंसक बताने का अपराध किया। पटेल ने कहा कि लंबे संसदीय कार्यकाल के दौरान उन्होंने नियमों और परंपराओं की ऐसी अवहेलना कभी नहीं देखी। पटेल ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को यह चुनौती देता हूं कि सारी दुनिया में अगर अहिंसा, सद्भाव और वसुधैव कुटुंबकम को लेकर किसी का नाम लिया जाता है, तो वह सनातन संस्कृति ही है।
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अगले पांच सालों तक राहुल गांधी का यही रहेगा एजेंडा
प्रहलाद पटेल ने कहा कि राहुल गांधी ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहले ही दिन लोकसभा में जो आचरण किया है, उससे उन्होंने यह बता दिया है कि अगले पांच सालों तक उनका एजेंडा क्या रहने वाला है। देश की जनता ने शायद कांग्रेस को इसलिए वोट दिया होगा कि देश में मजबूत विपक्ष रहना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने जनता के उस समर्थन को हिंदू विरोध का अभियान बना दिया है। प्रहलाद पटेल ने कहा कि कांग्रेस का एक हिडन एजेंडा हमेशा से रहा है, जो हमारी संस्कृति पर प्रहार करता रहा है, हमारी परंपराओं को अपमानित करता रहा है। इसलिए राहुल गांधी के इस व्यवहार पर कोई आश्चर्य नहीं है, बस खेद और दुख है और उसे हम एक चुनौती के रूप में लेते हैं।
राहुल गांधी को न धर्म की समझ, न योजनाओं की जानकारी
प्रदेश शासन के मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में जो बयान दिया, वह दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, उससे एक बार फिर यह साबित हो गया है कि कांग्रेस के युवराज को न धर्म की समझ है और न ही योजनाओं की जानकारी। वे सिर्फ झूठ के माध्यम से संसद और देश की जनता को गुमराह करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला ही भाषण झूठ, निराशा और तथ्यहीन बातों से भरा हुआ था। इतना ही नहीं, उनका अपने भाषण के दौरान आचरण भी संसदीय गरिमा के अनुरूप बिलकुल भी नहीं था। लोकसभा में चर्चा राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर हो रही थी लेकिन राहुल गांधी ने उस बावत एक शब्द भी नहीं बोला। इससे साबित होता है कि राहुल गांधी पहले से तय करके आए थे कि उन्हें तो बस सनातन धर्म, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर कीचड़ उछालना है, छवि खराब करने का प्रयास करना है।
अपने गिरेबान में झांकें कांग्रेस और राहुल गांधी
राहुल गांधी झूठ बोल कर भाग जाने में माहिर रहे हैं। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद उन्होंने अपना दुष्प्रचार जारी रखा था। संविधान और संवैधानिक संस्थाओं का राहुल गांधी कितना सम्मान करते हैं, यह उस घटना से स्पष्ट हो जाता है, जब उन्होंने प्रेस क्लब में स्वयं अपनी पार्टी की गठबंधन सरकार के पारित ऑर्डिनेन्स की प्रति को फाड़ दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का चरित्र देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का रहा है। इंदिरा गांधी ने भी लगातार संसद, न्याय प्रणाली और नौकरशाही जैसी देश की संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने का कार्य किया। श्री पटेल ने कहा कि 99 सीटें जीतने पर ये हिंदुओं को हिंसक, नफरती और झूठा बता रहे हैं, इससे साफ हो जाता है कि इनकी असल मंशा क्या है।