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MP Primary Teacher Bharti : प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020-23 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तगड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें आरक्षित वर्ग (एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस) के योग्य अभ्यर्थियों को उनकी पहली च्वाइस के अनुसार पोस्टिंग देने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश उन अभ्यर्थियों के लिए था, जो मेरिट के आधार पर अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए थे। हाई कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2024 को राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से कहा था कि राज्य सरकार मेरिट को डी-मेरिट में नहीं बदल सकती साथ ही अभ्यर्थियों को उनकी च्वाइस लिस्ट के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में वरीयता के आधार पर पदस्थ किया जाए।
क्या है पूरा मामला
यह मामला वंदना विश्वकर्मा (जबलपुर), सौरभ सिंह ठाकुर (विदिशा), सोनू परिहार (शिवपुरी), रोहित चौधरी (देवास) जैसे दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों की याचिकाओं से जुड़ा है। इन याचिकाकर्ताओं ने वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह के माध्यम से दलील दी थी कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020-23 (mp primary teacher bharti) में कई आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित दिखाते हुए ट्रायबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के स्कूलों में भेज दिया गया, जबकि उन्होंने च्वाइस लिस्ट में ट्रायबल स्कूलों का नाम नहीं दिया था।
सरकार की अपील पर SC ने लगाई फटकार
हाई कोर्ट के आदेश का पालन न होने पर राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई थी। लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) कमिश्नर शिल्पा गुप्ता के खिलाफ यह याचिका दायर की गई थी, क्योंकि उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद, हाई कोर्ट ने कमिश्नर शिल्पा गुप्ता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। हालांकि, राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस प्राथमिक शिक्षकों को उनकी पसंद के अनुसार DPI के स्कूलों में चार सप्ताह के भीतर पोस्टिंग दी जाए।
कमिश्नर शिल्पा गुप्ता को HC ने जारी किया था वारंट
चार महीने बीत जाने के बाद भी DPI कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ने इस आदेश का अनुपालन नहीं किया। अभ्यर्थियों द्वारा कई बार अनुरोध किए जाने के बावजूद उन्हें DPI कार्यालय से बिना कोई ठोस जवाब दिए बाहर भेज दिया गया। इस रवैये से नाराज होकर शिक्षकों ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अब तक 200 से अधिक आरक्षित वर्ग के प्राथमिक शिक्षकों को ट्रायबल स्कूलों से हटाकर उनकी पसंद के DPI स्कूलों में पदस्थ करने का आदेश दिया था, लेकिन शिल्पा गुप्ता ने न तो इन आदेशों का पालन किया इसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था।
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कौन हैं IAS शिल्पा गुप्ता?
आईएएस शिल्पा गुप्ता दिल्ली की रहने वाली हैं। उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से बीए और एमए की पढ़ाई की है और यूपीएससी सीएसई की परीक्षा में 54वीं रैंक हासिल की थी। 2008 में आईएएस अधिकारी बनी शिल्पा गुप्ता को पश्चिम बंगाल कैडर अलॉट किया गया था। उन्हें ग्रामीण मुरैना की पहली महिला कलेक्टर बनने का गौरव भी प्राप्त है। उनके पति, अजय गुप्ता भी एमपी कैडर में अफसर हैं। शिल्पा गुप्ता की प्रशासनिक कार्यशैली के कारण वे हमेशा चर्चा में रहती हैं, हालांकि अब उनकी विवादित भूमिका इस मामले में उजागर हुई है।
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