JABALPUR. जबलपुर की नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में धार्मिक आयोजन हो रहा है। जेल प्रशासन ने बंदियों की मानसिक शांति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा का संचालन कचनार सिटी के शिव मंदिर के आचार्य सुरेंद्र दुबे शास्त्री जी महाराज कर रहे हैं।
कथा में पहुंचे DG जेल, व्यासपीठ की पूजा कर की आरती
इस आयोजन में रविवार को मध्यप्रदेश के जेल महानिदेशक जीपी सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच व्यासपीठ का विधिवत पूजन-अर्चन किया और आरती में शामिल हुए। DG जीपी सिंह ने बंदियों की सहभागिता को सराहते हुए इसे सुधार की दिशा में एक अच्छी और सकारात्मक पहल बताया।
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DG ने किया जेल परिसर का निरीक्षण
भागवत कथा में शामिल होने के साथ ही जेल महानिदेशक जीपी सिंह ने केंद्रीय जेल परिसर का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बंदियों के लिए उपलब्ध खाना, पीने का पानी और साफ-सफाई की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इसके अलावा अन्य बैरकों, किचन, अस्पताल कक्ष और लाइब्रेरी जैसी जगहों का भी निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाए रखने के निर्देश दिए। DG ने कहा कि बंदियों को बेहतर जीवनशैली और सुधार की दिशा में प्रेरित करने के लिए माहौल सकारात्मक होना चाहिए।
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अधिकारियों ने किया पारंपरिक स्वागत
कथा स्थल पर पहुंचने पर जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर एवं उप जेल अधीक्षक मदन कमलेश ने जेल DG का पारंपरिक तरीके से फूलों की माला, शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। इस मौके पर उप जेल अधीक्षक रूपाली मिश्रा, सहायक जेल अधीक्षक अंजू मिश्रा, प्रशांत चौहान, हिमांशु तिवारी, कुलदीप सिंह, ओम प्रकाश दुबे सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित रहे। इस कथा आयोजन का संचालन वैदिक विधि से पंडित अमित उपाध्याय ने संपन्न कराया।
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भक्ति की संगत में बंदी बने कलाकार
इस कथा आयोजन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जेल के कैदियों की रही। कथा के दौरान भजन प्रस्तुति और वाद्य यंत्रों की संगत कैदियों के द्वारा ही की गई। ढोलक, तबला, ऑर्गन, पैड जैसे वाद्य यंत्रों के साथ संगीत प्रस्तुत करते हुए यह बंदी भक्ति में डूबे हुए नजर आए। उनके साथ शिवा विश्वकर्मा ने भी मधुर भजनों से सभी को भावविभोर किया। जेल प्रशासन ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब विभिन्न अपराधों में सजा काट रहे कैदी इस तरह से भक्ति में लीन नजर आए हों।
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कथा से कटते हैं पाप, मिलती है आत्मिक शांति
कथावाचक सुरेंद्र शास्त्री जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का एक श्लोक सुनने से भी हजार गोदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन जेल जैसे स्थान पर इस आयोजन से यह सिद्ध होता है कि यदि मन श्रद्धा से भरा हो तो पापों का नाश संभव है और आत्मा शुद्ध हो सकती है।
सुधार की दिशा में नई मिसाल पेश करने वाला, जेल के अंदर हो रहा यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सुधार की राह केवल सजा से नहीं, बल्कि इस तरह के आयोजनों और संवेदनशील पहल से भी संभव है। जबलपुर जेल प्रशासन द्वारा बंदियों को पुनर्वास की दिशा में जो अवसर दिए जा रहे हैं, वह सामाजिक बदलाव के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं।
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