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प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में कुलगुरु (Vice Chancellor) की नियुक्ति में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 53 में से 32 विश्वविद्यालयों ने कुलगुरु की नियुक्ति में यूजीसी (UGC) के मानकों का उल्लंघन किया है। इस खुलासे से शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया है।
शैक्षणिक अनुभव की कमी
आयोग की जांच में पाया गया कि इन विश्वविद्यालयों ने ऐसे व्यक्तियों को कुलगुरु नियुक्त किया है, जिनके पास आवश्यक 10 वर्षों का शैक्षणिक अनुभव नहीं था। इसके अलावा, कई विश्वविद्यालयों के पास नियुक्ति से जुड़े स्पष्ट दस्तावेज और प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं हैं। सितंबर में आयोग ने इन विश्वविद्यालयों को योग्य कुलगुरु नियुक्त करने के निर्देश दिए थे।
भोपाल और इंदौर के विश्वविद्यालय प्रभावित
भोपाल के लगभग आधा दर्जन और इंदौर के कुछ विश्वविद्यालयों ने स्वीकार किया है कि उनके कुलगुरु यूजीसी के मापदंडों पर खरे नहीं उतरते। इनमें से तीन विश्वविद्यालयों ने कुलगुरु बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, तीन अन्य विश्वविद्यालयों को प्रारंभिक दो वर्षों तक छूट मिली थी, लेकिन अब उन्हें भी नए कुलगुरु की नियुक्ति करनी होगी।
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आयोग की सिफारिशें और शासन की भूमिका
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने शासन को पत्र लिखकर नए कुलगुरु की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया है। अब हर विश्वविद्यालय की चयन समिति में शासन का एक नामित सदस्य होगा, जबकि दो सदस्य विश्वविद्यालय से होंगे।
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विधानसभा में मामला उठा
इस मुद्दे पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विधानसभा में जानकारी दी कि आयोग ने मापदंडों के विपरीत नियुक्त कुलगुरुओं को अमान्य घोषित कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों की जांच की जा रही है।
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