/sootr/media/media_files/2025/08/14/promotion-reservation-case-hearing-madhya-pradesh-2025-08-14-07-49-30.jpg)
मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण (reservation in promotion) को लेकर उठे विवाद ने अब एक गंभीर मोड़ ले लिया है। सरकार के जरिए 2025 की नई प्रमोशन नीति के खिलाफ अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका (public interest petition) दायर की थी। इस मामले में आज (14 अगस्त) सुनवाई की जाएगी। इसमें राज्य सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका मिलेगा। यह सुनवाई 12 अगस्त से बढ़ाकर 14 अगस्त तक की गई थी, क्योंकि चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच उपलब्ध नहीं थी।
जानें क्या है मध्यप्रदेश में प्रमोशन नीति का विवाद
मध्यप्रदेश सरकार की नई प्रमोशन नीति (promotion policy) के खिलाफ अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने पिछली नीतियों को अपनाते हुए आरक्षण की प्रक्रिया को प्रमोशन के लिए लागू किया है, जो संविधान के खिलाफ है। इस मामले पर सरकार का पक्ष पहले से कमजोर नजर आ रहा था, क्योंकि पिछली सुनवाई में सरकार अपना पक्ष पूरी तरह से नहीं रख पाई थी।
हाईकोर्ट का आदेश और सरकार की स्थिति
हाईकोर्ट ने 7 जुलाई को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और इस मामले में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था। साथ ही, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि इस मामले में स्थिति स्पष्ट होने तक कोई भी पदोन्नति (promotion) न की जाए। इस आदेश के बाद से राज्य सरकार के प्रमोशन संबंधी सभी प्रयास विफल हो गए। सरकार ने कोर्ट में यह आश्वासन भी दिया था कि अगली सुनवाई तक नई नीति के तहत पदोन्नति नहीं दी जाएगी।
एमपी में प्रमोशन में आरक्षण मामले को एक नजर में समझें...
|
पिछली नीतियों के खिलाफ अदालत के आदेश
राज्य सरकार के नए प्रमोशन नियमों के खिलाफ 2002 के प्रमोशन नियमों में दिए गए आदेश को पहले ही रद्द किया जा चुका है। आरबी राय केस में हाईकोर्ट ने पहले ही 2002 के प्रमोशन नियमों को खारिज किया था। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने वही नियम दोबारा लागू कर दिए। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
मोहन कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
नई पदोन्नति नीति को मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव कैबिनेट ने 17 जून 2025 को मंजूरी दी थी। इसके बाद, 19 जून को नई नीति को अधिसूचित कर दिया गया। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को क्यों वापस नहीं लिया गया। इस स्थिति को लेकर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
ये खबर भी पढ़िए...प्रमोशन में आरक्षण पर कानूनी लड़ाई लंबी खिंचने के आसार
वरिष्ठ वकील से सहायता लेगी सरकार
सरकार अब इस मामले में अपनी स्थिति को मजबूती से रखने के लिए दिल्ली से वरिष्ठ वकील की मदद ले सकती है। सूत्रों के अनुसार, पूर्व अतिरिक्त सालिसिटर जनरल सीएस वैद्यनाथन को इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए बुलाया जा सकता है। इससे सरकार को हाईकोर्ट में अपने पक्ष को मजबूत बनाने का मौका मिलेगा।
प्रमोशन का रास्ता या अटका फैसला?
मध्यप्रदेश की प्रमोशन नीति में आरक्षण को लेकर यह मामला अब बहुत ही संवेदनशील हो चुका है। इस मामले में सरकार के जरिए हाईकोर्ट में दिए जाने वाले जवाब के बाद ही यह तय होगा कि क्या प्रमोशन के रास्ते खुलेंगे या फिर यह मामला अटका रहेगा। हाईकोर्ट के आदेश से ही यह स्पष्ट होगा कि सरकार की नई नीति लागू होगी या फिर इसे रद्द कर दिया जाएगा।
thesootr links
- मध्यप्रदेशकी खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स औरएजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧
प्रमोशन में आरक्षण का मामला | प्रमोशन में आरक्षण पर रोक | मध्यप्रदेश हाईकोर्ट | mp new promotion policy | MP News