सीहोर में Gail India के प्लांट का विरोध शुरू, किसानों ने 500 ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ निकाली रैली, सीएम से की ये मांग

सीहोर जिले के आष्टा में गेल ( इंडिया ) लिमिटेड द्वारा देश का सबसे बड़ा एथेन क्रैकर प्लांट लगाया जाना है। लेकिन इस प्लांट का स्थानीय किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है।

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Sourabh Bhatnagar
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मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के आष्टा में गेल इंडिया लिमिटेड ( Gail India Limited) द्वारा देश का सबसे बड़ा एथेन क्रैकर प्लांट लगाया जाना है। इस परियोजना को राज्य के सीएम मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) ने भी स्वीकृति दे दी है, लेकिन प्लांट लगाने की राह आसान नहीं दिख रही है। इस प्लांट का आष्टा क्षेत्र के स्थानीय किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है। प्लांट के विरोध में सैकड़ों किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। वहीं, कांग्रेस ने इसको लेकर सीएम मोहन यादव को पत्र भी लिखा है।

500 ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ निकाली गई रैली

आष्टा विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने 'गेल इंडिया वापस जाओ संघर्ष समिति' के बैनर तले लगभग 500 ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने पैदल चलकर अपना विरोध दर्ज किया और अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय पहुंचकर गेल इंडिया कंपनी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया।

मुख्यमंत्री से की गई मांग 

प्रदर्शनकारी किसान और 'गेल इंडिया वापस जाओ संघर्ष समिति' के सदस्यों ने इसको लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से 2 मांग की है। कांग्रेस नेता हरपाल ठाकुर ने कहा कि, हमने सीएम से दो मांग की है। उन्होंने कहा कि उसमें से एक यह है कि किसान किसी भी कीमत पर गेल इंडिया के प्लांट को सरकारी और निजी जमीन पर नहीं लगने देंगे।

अपनी दूसरी मांग में उन्होंने कहा कि क्षेत्र के किसान किसी भी कीमत पर अपनी निजी जमीन प्लांट के लिए नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि यह प्लांट लगने से हमारे क्षेत्र का पर्यावरण, पानी, जमीन प्रदूषित हो जाएगी। उनका कहना है कि इससे क्षेत्र के जनजीवन पर प्रभाव पड़ेगा।

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 कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ सकते हैं लोग

हरपाल ठाकुर का कहना है कि अगर क्षेत्र में प्लांट लगा तो आगे चलकर यहां के लोगों को कैंसर व फेफड़े की बीमारी जैसी कई बीमारियां हो सकती है। उनका कहना है कि इससे गर्भवती महिलाओं पर भी असर पड़ सकता है। उनका मानना है कि यहां प्लांट लगने से क्षेत्र में बच्चे पूर्ण रूप से स्वस्थ और विकसित नहीं हो पाएंगे। कई  प्रकार की बीमारियां होने की आशंका रहेगी।

'जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे'

मामले को लोकर किसानों का कहना है कि वह अपनी जान दे देंगे लेकिन प्लांट लगाने के लिए अपनी जमीन नहीं देंगे। उन्होंने भूमि अधिग्रहण 2013 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट है कि किसी भी क्षेत्र की जमीन उस क्षेत्र के प्रभावित किसानों में से जब तक 75 फीसदी किसान अपनी सहमति नहीं देते, तब तक अधिग्रहण नहीं की जा सकती है।

मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

कांग्रेस नेता हरपाल ठाकुर ने कहा कि मामले को लेकर हम किसानों के साथ बिना किसी शर्त के खड़े है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस केअध्यक्ष जीतू पटवारी ने किसानों से मिलकर चर्चा की और क्षेत्र का दौरा भी किया। उन्होंने कहा है कि इसके बाद कांग्रेस ने सीएम यादव को पत्र लिखकर इस क्षेत्र में गेल इंडिया के प्लांट को न लगाने का निवेदन किया है।

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15 से 20 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार

सीहोर जिला प्रशासन ने इस जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ा दिया है। कंपनी के कामकाज शुरू करने के बाद आष्टा सहित आसपास के 15 से 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा। 

कंपनी करीब 50 हजार करोड़ का करेगी निवेश

गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया यहां 50 हजार करोड़ रुपए से एथेने क्रैकिंग यूनिट लगाएगी। गेल का यह सबसे बड़ा निवेश होगा। बताया जा रहा है कि कंपनी ने अपने इस प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र में भी जमीन देखी थी, लेकिन वहां बात नहीं बन पाई। इसके बाद कंपनी ने मध्य प्रदेश की ओर रुख किया उसे सीहोर जिले की आष्टा में जमीन पसंद आ गई।

 5 से 6 साल में यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा

गेल आष्टा एथेने क्रैकिंग यूनिट शुरू होने के बाद यहां पर बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं एमपीआईडीसी की ओर से दी जाएगी। गेल यहां पर 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी। अधिकारियों के अनुसार गेल का प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 5 से 6 साल में यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा।

सीहोर क्यों पसंद ?

देश के केंद्र में होने के साथ ही यहां बेहतर कनेक्टिविटी है। इसके साथ ही कंपनी ऐसी जमीन चाहती थी, जहां किसी तरह का कानूनी विवाद न हो। गेल के अफसर ऐसी जमीन से चाह रहे थे, जहां अतिक्रमण और धार्मिक स्थल न हों। यही वजह है आष्टा की जमीन को कंपनी ने तुरंत फाइनल कर दिया।

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