जनसुनवाई में हंस पड़े अधिकारी, अपर ​कलेक्टर ने कर दी कार्रवाई

मध्यप्रदेश के छतरपुर में 29 अक्टूबर को आयोजित जनसुनवाई में ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक केके तिवारी को हंसते हुए देखा गया। यह घटना अधिकारियों की नजरों में आते ही प्रशासन ने तिवारी के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई कर दी।

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Jitendra Shrivastava
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CHHATARPUR. मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में एक दिलचस्प और रोचक मामला सामने आया है। हो सकता है इस अजब गजब मामले की खबर को पढ़कर आपकी भी हंसी छूट जाए। 
29 अक्टूबर को आयोजित जनसुनवाई में ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक केके तिवारी को हंसते हुए देखा गया। यह घटना अधिकारियों की नजरों में आते ही प्रशासन ने तिवारी के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई कर दी। अपर कलेक्टर का यह पत्र सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
जनसुनवाई के बाद 30 अक्टूबर को जिला प्रशासन ने केके तिवारी को नोटिस जारी किया, जिसमें उनके व्यवहार को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया। प्रशासन ने उन्हें चेतावनी दी कि सरकारी काम के दौरान इस तरह की लापरवाही, खासकर वरिष्ठ अधिकारियों के सामने अनुशासनहीनता और कर्तव्य में लापरवाही का संकेत देती है। 

संतोषजनक जवाब न मिलने पर सस्पेंड

नोटिस में तिवारी को 4 नवंबर तक जवाब देने का समय दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, तिवारी ने अब तक नोटिस का जवाब नहीं दिया है। इस कार्रवाई के बाद स्थानीय अधिकारी सकते में हैं।   

इस मामले में एडीएम मिलिंद कुमार नागदेवे का कहना है कि फिलहाल इस संबंध में जानकारी नहीं है। कल स्थापना शाखा से जानकारी लेकर आपको बता पाऊंगा।

नोटिस में अपर कलेक्टर ने यह लिखा...

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अपर कलेक्टर की ओर से केके तिवारी को जारी किए नोटिस में लिखा है...एतद् द्वारा सूचित किया जाता है कि दिनांक 29.10.2024 को जिला पंचायत सभाकक्ष, छतरपुर में आयोजित जनसुनवाई के दौरान आप हंसते हुए पाए गए, आपका इस प्रकार का कृत्य शासकीय कर्तव्य निर्वहन के समय वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आपकी अनुशासनहीनता और कर्तव्य के प्रति आपकी उदासीनता एवं लापरवाही को दर्शाता है।
आपका उक्त कृत्य मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 (एक), (दो), (तीन) के तहत गंभीर कदाचरण है तथा मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 10 के तहत दण्डनीय है। 
अतः आप दिनांक 4.11.2024 को समय सांय 4:00 बजे उक्त आशय का लिखित उत्तर अधोहस्ताक्षरकर्ता के समक्ष उपस्थित होकर प्रस्तुत करें कि उक्त कृत्य के लिए क्यों न आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए? आपका प्रतिउत्तर, नियत समयावधि में प्राप्त नहीं होने अथवा संतोषप्रद नहीं पाए जाने पर यह मान लिया जाएगा कि आपके द्वारा की गई लापरवाही के लिए आप स्वयं उत्तरदायी हैं।

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