परीक्षार्थियों का सवाल : पटवारी भर्ती परीक्षा ऑनलाइन हुए, फिर बिना टेक्निकल एक्सपर्ट जांच कैसे, प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

पटवारी परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक किए बिना सरकार द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के निर्णय से नाराज परीक्षार्थियों ने बुधवार को एमपी नगर के ज्योति टॉकीज चौराहे पर धरना प्रदर्शन किया।

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Pooja Kumari
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BHOPAL. पटवारी परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक किए बिना सरकार द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के निर्णय से नाराज परीक्षार्थियों ने बुधवार को एमपी नगर के ज्योति टॉकीज चौराहे पर धरना प्रदर्शन किया। प्रदेश भर से आए परीक्षार्थी हाथों ने कर्मचारी चयन मंडल द्वारा किए गए फर्जीवाड़े के विरोध में तख्तियां लेकर धरने पर बैठे। जब नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के धरना प्रदर्शन के बाद ज्ञापन देने जीएडी जा रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने चिनार पार्क के सामने हिरासत में ले लिया। प्रदर्शनकारी परीक्षार्थियों को तीन बसों में थाने ले जाया गया।



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सरकार कर्मचारी मंडल के फर्जीवाड़े पर डाल रही है पर्दा 

पटवारी परीक्षा के फर्जीवाड़े का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। परीक्षार्थी गलत तरीके से अयोग्यों को पास करने से आक्रोशित हैं और फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। धरने में शामिल हुए परीक्षार्थियों का आरोप है की फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट को गोपनीय रखते हुए क्लीन चिट दे दी गई है। जब फर्जीवाड़ा नहीं हुआ था तो सरकार के एक सदस्यीय जांच दल को चार छह महीने क्यों लग गए। पटवारी भर्ती परीक्षा पूरी तरह ऑनलाइन हुई थी तब बिना टेक्निकल एक्सपर्ट की कमेटी ने जांच कैसे पूरी कर ली। सरकार कर्मचारी मंडल के फर्जीवाड़े पर पर्दा डाल रही है इसीलिए जांच रिपोर्ट को गोपनीय रखते हुए जल्दबाजी में पटवारियों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया है।

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पटवारी भर्ती की जांच सार्वजनिक करने की मांग

पटवारी भर्ती की जांच सार्वजनिक करने की मांग को लेकर किए जा रहे धरना प्रदर्शन के समर्थन में पहुंचे मध्यप्रदेश बेरोजगार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश सिंह चौहान का कहना है सरकार को जांच रिपोर्ट उजागर करनी चाहिए, और तब तक नियुक्ति करने का निर्णय टालना चाहिए। कर्मचारी चयन मंडल के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए बार-बार उसका नाम बदलने की नहीं बल्कि कार्यशैली में बदलाव की जरूरत है। मंडल की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनाना चाहिए और आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट निर्धारित समय में जारी करना होगा। 

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इंदौर से सैकड़ों परीक्षार्थियों के साथ भोपाल पहुंचे राधे जाट

इंदौर से सैकड़ों परीक्षार्थियों के साथ भोपाल पहुंचे राधे जाट उनके समर्थन में धरने पर बैठे। उन्होंने पटवारी भर्ती परीक्षा परिणाम के फर्जीवाड़े पर खड़े हो रहे सवालों का जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में दोबारा जांच कराने टेक्निकल एक्सपर्ट की कमेटी बनाई जानी चाहिए। जब तक इस कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नही कर दी जाती तब तक नियुक्ति पर रोक लगाने की जरूरत है। क्योंकि यह जल्दबाजी युवाओं का मनोबल तोड़ने के साथ ही सरकार को भी फर्जीवाड़े का पक्षधर होने के आरोपों से दागी कर सकती है। परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा न हो इसके लिए केंद्र द्वारा लाए गए कानून प्रदेश में लागू किए जाने चाहिए।

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टेक्निकल एक्सपर्ट के बिना जांच कैसे कर ली गई 

प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए पटवारी परीक्षा के प्रतिभागियों ने भी तख्तियां लहराते हुए सरकार से जांच रिपोर्ट उजागर किए बिना की जा रही नियुक्ति प्रक्रिया रोकने की मांग की। उनका कहना था जब आरोप परीक्षार्थियों के हैं तो जांच में गुपचुप क्लीन चिट देने का क्या मतलब है। टेक्निकल एक्सपर्ट के बिना जांच कैसे कर ली गई ओर उसे सार्वजनिक करने से सरकार क्यों कतरा रही है। प्रदेश में सरकारी नौकरी की वैसे ही कमी है ओर जब भर्ती निकलती है तो उसके परिणामों में देरी की जाती है और जब नतीजे आते हैं तो वे सवालों में घिरे होते हैं। ऐसे में बेरोजगारी में सरकारी नौकरी के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाले युवाओं की मानसिक स्थिति का क्या हाल है सरकार को इसकी चिंता करनी चाहिए। यूपी में पुलिस भर्ती पर सवाल खड़े होते ही वहां की सरकार ने परीक्षा निरस्त कर दी तो सवालों के घेरे में रहने वाले कर्मचारी चयन मंडल पर डॉ. मोहन यादव की सरकार चुप क्यों है। धरने से युवा बेरोजगारों ने सरकार से न्याय की मांग करते हुए, खिलवाड़ होने पर बड़े आंदोलन की भी चेतावनी दी है।

पटवारी भर्ती फर्जीवाड़े के प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी  

पटवारी भर्ती में फर्जीवाड़े के विरोध में नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के धरना प्रदर्शन के बाद ज्ञापन देने जीएडी जा रहे प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने चिनार पार्क के सामने हिरासत में ले लिया है। प्रदर्शनकारी परीक्षार्थियों को तीन बसों में थाने ले जाया गया है। डीसीपी महावीर सिंह मुजाल्दे का कहना है कि प्रदर्शन के लिए अनुमति नहीं ली गई थी और हिदायत के बाद भी उन्होंने वल्लभ भवन जाने कोशिश की और ट्रैफिक जाम किया। इस वजह से कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए परीक्षार्थियों का कहना था धरने के बाद वे कतारबद्ध होकर शांतिपूर्वक अपनी मांग लेकर ज्ञापन सौंपने जा रहे थे, तभी पुलिस ने जबरदस्ती उन्हें रोक लिया और बसों में बैठाकर ले जाया जा रहा है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में बेरोजगारी का संकट झेल रहे युवाओं को फर्जीवाड़े की शिकायत करने और अपनी बात रखने का भी मौका सरकार नहीं देना चाहती।

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