BHOPAL.मध्यप्रदेश की आईटीआई में सीआईटीएस पाठ्यक्रम की अनदेखी का मामला विधानसभा पहुंच गया है। 28 जुलाई से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में इसको लेकर प्रश्न लगाया गया है। जिसमें सरकार से केंद्रीय प्रशिक्षण महानिदेशालय से निर्धारित सीआईटीएस पाठ्यक्रम की प्रशिक्षक-अनुदेशक भर्ती में अनिवार्यता पर जवाब मांगा गया है।
कौशल विकास विभाग की टालमटोल
प्रदेश की औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं यानी आईटीआई में प्रशिक्षण अधिकारी की भर्ती में सीआईटीएस को प्राथमिकता नहीं दी जा रही। केंद्रीय प्रशिक्षण महानिदेशालय यानी डीजीटी प्रशिक्षण अधिकारी और अनुदेशकों की भर्ती में सीआईटीएस कोर्स को अनिवार्य कर चुका है।
डीजीटी की गाइडलाइन के आधार पर देश के अधिकांश राज्यों में इसका नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है। उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे सीमावर्ती राज्यों में भी इसी के आधार पर अब आईटीआई में प्रशिक्षण अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। वहीं मध्यप्रदेश में कौशल विकास एवं रोजगार, प्रशिक्षण विभाग इसमें हीला हवाला कर रहा है।
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भर्ती में दक्ष प्रशिक्षकों की हो रही अनदेखी
डीजीटी द्वारा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं। सीआईटीएस कोर्स को इसी के आधार पर अनिवार्य किया गया है। यह पाठ्यक्रम प्रशिक्षण अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए दक्ष बनाता है।
इसके उल्ट मध्यप्रदेश में सीआईटीएस को प्राथमिकता न देकर गैस्ट फैकल्टी और डिग्रीधारियों को नियुक्ति में प्राथमिकता दी जा रही है। जबकि सीआईटीएस जैसे तय कोर्स की दक्षता रखने वाले अभ्यर्थियों की अनदेखी हो रही है।
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विधानसभा पहुंची सीआईटीएस की परेशानी
सीआईटीएस की दक्षता के बावजूद कौशल विकास प्रशिक्षण विभाग के पक्षपात से परेशान अभ्यर्थी लगातार सरकार तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। बीते दिनों अभ्यर्थियों ने अपने संगठन के माध्यम से कौशल विकास संचालक को भी पत्र सौंपा था।
सरकार के स्तर पर सुनवाई न होने पर अब जनप्रतिनिधि उनकी आवाज को प्रश्न के माध्यम से सदन में उठाएंगे। सीआईटीएस अभ्यथिर्यों की इस समस्या से जुड़ा जनप्रतिनिधि के रूप में उनके विधायक द्वारा मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में उठाया जाएगा।
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