जबलपुर में मिलर्स की सफाई पर उठे सवाल, कलेक्टर ने दिया सुनवाई का मौका

'द सूत्र' ने जिस एक ट्रक नंबर को लेकर सवाल पूछा था, उस पर जबलपुर कलेक्टर ने स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि सिहोरा के मां भगवती मिल मालिक ने कई फर्जी नंबर दिखाकर ट्रांसपोर्ट किया था।

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Neel Tiwari
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जबलपुर में 43 करोड़ रुपए के राइस मिलिंग घोटाले में मिल मालिकों की सफाई को प्रशासन ने खारिज किया है। हालांकि, जांच समिति के सामने उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। घोटाले में नामजद मिल मालिकों और उनके संगठन ने हाल ही में प्रेस वार्ता कर आरोपों को खारिज करने की कोशिश की थी।

खासतौर पर, सिहोरा की मां भगवती इंडस्ट्रीज ने ट्रक नंबर MP22H0192 को सही बताया। जबलपुर कलेक्टर ने द सूत्र को जानकारी दी कि इस मिल ने कई ट्रक नंबरों का इस्तेमाल कर धान का ट्रांसपोर्ट किया था। कार्यवाही केवल इस ट्रक नंबर पर आधारित नहीं है।

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'द सूत्र' की जानकारी पर कलेक्टर ने बुलाई बैठक

'द सूत्र' द्वारा जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना को मिल मालिकों द्वारा दी गई ट्रक नंबर संबंधी जानकारी भेजी गई, तो प्रशासन ने तत्परता दिखाई। कलेक्टर ने इसके बाद संबंधित मिल मालिकों के साथ बैठक बुलाई। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि जांच पूरी पारदर्शिता से की गई है। रिपोर्ट में जो तथ्य सामने आए हैं, वे तौल पर्चियों, गेट पास और परिवहन दस्तावेजों के आधार पर सत्यापित किए गए हैं। यदि किसी मिल मालिक को अपना पक्ष रखना है, तो वह जांच समिति के सामने दोबारा अपना पक्ष रख सकते हैं।

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मिल ने कई ट्रक नंबरों से दिखाया था धान का ट्रांसपोर्ट

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 'द सूत्र' से बातचीत में कहा कि मां भगवती इंडस्ट्रीज के ट्रक नंबर को सही बताना जांच में दोषी पाए जाने का कारण नहीं है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, उक्त मिल ने कई अन्य वाहनों के नंबर भी दर्शाए, जो या तो अस्तित्व में नहीं थे या जिनका कोई लॉजिस्टिक ट्रैक नहीं मिला। कलेक्टर के बयान से यह स्पष्ट हुआ कि मिल मालिकों ने केवल एक नंबर को सामने रखकर बाकी फर्जीवाड़े को छिपाने की कोशिश की।

5 प्वाइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

ट्रक नंबर का फर्जीवाड़ा: जबलपुर के सिहोरा स्थित मां भगवती इंडस्ट्रीज ने कई फर्जी ट्रक नंबरों का इस्तेमाल किया। मिल मालिकों ने ट्रक नंबर MP22H0192 को सही बताने का दावा किया था। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने स्पष्ट किया कि इस मिल ने कई अन्य नंबरों का इस्तेमाल किया। ये नंबर या तो अस्तित्व में नहीं थे या उनकी ट्रैकिंग जानकारी नहीं मिली।

जांच में पारदर्शिता: कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कहा कि जांच पूरी तरह पारदर्शिता से की गई है। रिपोर्ट तौल पर्चियों, गेट पास और परिवहन दस्तावेजों के आधार पर तैयार की गई है। यदि किसी मिल मालिक को अपनी बात रखनी है, तो वह जांच समिति के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं।

मिल मालिकों की सफाई: मिल मालिकों और उनके संगठन ने हाल ही में प्रेस वार्ता आयोजित कर आरोपों को खारिज करने की कोशिश की थी। कलेक्टर ने कहा कि केवल ट्रक नंबर को सही बताना जांच के दोषी होने का कारण नहीं है, क्योंकि अन्य वाहनों के नंबर भी फर्जी थे।

कलेक्टर का बयान: कलेक्टर ने कहा कि प्रशासन ने रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों के आधार पर ही कार्रवाई की है और मिल मालिकों को अपना पक्ष रखने का उचित मौका दिया गया है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और विधिक रूप से सही है।

आगे की सुनवाई: मिल मालिकों को अब शनिवार और रविवार को परीक्षण दल के सामने अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा। कलेक्टर ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और स्पष्ट बताते हुए कहा कि आरोपों के लिए कोई जगह नहीं होगी, यदि मिल मालिक सही साबित होते हैं।

कलेक्टर ने दिया सुनवाई का मौका

इस मामले में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया, "शासन के निर्देश पर की गई जांच पूरी तरह निष्पक्ष रही है। रिपोर्ट तथ्यों के आधार पर तैयार की गई है। यदि किसी मिलर को अपनी बात रखनी है, तो वे शनिवार और रविवार को परीक्षण दल के सामने आकर अपना पक्ष रख सकते हैं। परीक्षण दल उनके तर्कों पर विधिसम्मत तरीके से विचार करेगा।"

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कितने मिलर्स होंगे पाक साबित?

प्रशासन की जांच और कार्रवाई के बाद मिलर्स एक सही ट्रक नंबर को हथियार बनाकर घोटाले को झूठा साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। मिल मालिक प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, कलेक्टर द्वारा निष्पक्ष सुनवाई की पेशकश के बाद आरोपों के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। इससे पूरी कार्यवाही पारदर्शी और स्पष्ट हो जाएगी।

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