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आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि रेल मदद ऐप पर जुलाई 2019 से लेकर मार्च 2024 तक कुल 30 हजार 266 शिकायतें दर्ज की गई हैं। यह संख्या रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाती है। हालांकि, रेलवे ने शिकायतों पर कार्रवाई की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। रेलवे का तर्क है कि यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत नहीं दी जा सकती।
रेलवे के सुशासन की पोल
दरअसल, चंद्रशेखर गौर ने आरटीआई के तहत आवेदन कर रेलवे पूछताछ नंबर 139 और रेल मदद ऐप पर दर्ज भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों की जानकारी मांगी थी। रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर (पीजी) और (सीपीआईओ) संजय गौरी ने जो जानकारी दी है, वह रेलवे के सुशासन की पोल खोलता है।
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ऐप पर हर दिन हो रहीं 18 शिकायतें
रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में विभागीय कर्मचारियों द्वारा रिश्वत लेने के मामले आम हो गए हैं। आरटीआई से मिली जानकारी से पता चलता है कि हर दिन रेल मदद ऐप पर औसत रूप से भ्रष्टाचार से जुड़ी 18 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो रही हैं। ये तो वे मामले हैं, जिनमें लोगों ने शिकायत की है। आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञ कहते हैं, रेलवे में भ्रष्टाचार के इस बढ़ते मुद्दे के समाधान के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। शिकायतों की तेजी से जांच, विभागीय पारदर्शिता और कर्मचारियों के प्रति सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई से स्थिति में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, यात्रियों को अपने अधिकारों और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया की जानकारी देना भी महत्वपूर्ण है।
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