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Rajesh Sharma Bains Jalwa Bhopa Photograph: (thesootr)
भोपाल में हुई अब तक की सबसे बड़ी आयकर रेड के मुख्य सरगना राजेश शर्मा के तार पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से जोड़े जा रहे हैं। लगातार इस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं कि किस तरह नेताओं और अफसरों से गठजोड़ कर बिल्डर राजेश शर्मा नियमों की धज्जियां उड़ाकर जमीनों का खेल खेल रहा था। मगर thesootr के हाथ एक लगे दस्तावेजों से इससे भी आगे की खुलासा होता है, और वो ये कि बैंस के जाने के बाद भी शासन- प्रशासन में राजेश शर्मा की तूती पहले की तरह ही बोलती थी। तो बड़ा सवाल ये है कि वो कौन हैं, जो राजेश शर्मा को इतनी छूट देकर रखे हुए थे।
मैं हूं ना… कहकर खरीद लिए कुणाल बिल्डर से 20 प्लाट
इस मामले में जिस सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट का नाम बार-बार आ रहा है, उसकी कहानी अजब है। 'thesootr' पहली बार आपके सामने मय सबूत इस खेल के बारे में विस्तार से बताएगा। तो हुआ यूं कि भोपाल के बिल्डर कुणाल अग्रवाल ने बड़ा तालाब के पास ग्राम सेवनिया गोड में खसरा भूमि पर 12.85 हेक्टेयर क्षेत्र में रेसीडेंसियल प्रोजेक्ट लेकर आया, जिसे नाम दिया गया- सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट… प्रोजेक्ट लेक व्यू वाला था जो जाहिर है कीमतें आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं, लेकिन बड़ा पेच यह है कि इस प्रोजेक्ट की सरकारी अनुमति थी ही नहीं। ऐसे में एंट्री होती है राजेश शर्मा की, जिसने अपनी ऊंचे लोगों के साथ ऊंची पहुंच का हवाला दिया और एक साथ 20 प्लाट औने- पौने दामों पर खरीद लिए। आपको बता दें कि इसी प्रोजेक्ट में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस ने खुद और अपने परिवार के नाम से प्लाट खरीदे। बता दें कि यह दावा 'thesootr' नहीं कर रहा है, बल्कि रविवार को विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने किया है। हालांकि, एक मीडिया समूह से बातचीत में इकबाल सिंह बैस ने इससे इंकार किया है और कहा है मैंने 2011 में जो जमीन खरीदी थी, वो 2012 में ही बेच दी थी। मगर दूसरी सच्चाई यह है कि तमाम गलत जानकारियां देकर कुणाल अग्रवाल ने टाउन एंड प्लानिंग से जो अनुमति ली, उसकी सच्चाई नीचे इस पत्र से उजागर होती है। देखिए चिट्ठी…
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क्या लिखा है इस पत्र में
जिला नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय ने ग्राम सेवनिया गोड की खसरा भूमि पर 12.85 हेक्टेयर क्षेत्र में आवासीय संरचना निर्माण से संबंधित मामले में एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है। यह भूमि गोड खसरा खसरा नंबर 43, 44, 45, 47, 57 और 64 के अंतर्गत आती है। पत्र के अनुसार, कुणाल बिल्डर ने 21 नवंबर 2021 को ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसके बाद इसे 19 अगस्त 2021 को प्रक्रिया में लिया गया। हालांकि, यह पाया गया कि प्रस्तावित भूमि पर निर्माण से पहले कोई आपत्तियां या आवश्यक मंजूरी प्राप्त नहीं की गई थी। इसके अलावा, पूर्व स्वीकृत उपयोग के विपरीत, भूमि का उपयोग किया जा रहा है। सरल शब्दों में कहें तो कुणाल बिल्डर ने परमिशन के पहले ही कई लोगों को इस प्रोजेक्ट के प्लाट बेच दिए थे। साफ है कि राजेश शर्मा की शह के बिना इतना बड़ा काम संभव ही नहीं था।
बड़ा सवाल- कौन हैं इकबाल के नए मालिक
सेंट्रल पार्क प्रोजेक्ट में इतनी गड़बड़ियों बावजूद न तो इकबाल सिंह बैंस के कार्यकाल में किसी तरह का एक्शन कुणाल बिल्डर के ऊपर हुआ और उससे भी बड़ा सवाल यह है कि जिला नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय ने गड़बड़ियां पकड़कर 17 मई को नोटिस जारी किया था। इसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? आखिर वो कौन हैं जो राजेश शर्मा और कुणाल बिल्डर के पीछे से काम कर रहे हैं।
डूब क्षेत्र में है ये प्रोजेक्ट
ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश हैं कि बड़े तालाब के 500 मीटर क्षेत्र में कोई निजी निर्माण नहीं हो सकता, इसके बादजूद धड़ल्ले से यह प्रोजेक्ट जारी रहा। सीधे तौर पर किसी तरह की आपत्ति न आए, इसके लिए तालाब से लगकर गार्डन की जगह छोड़ दी गई।
इन लोगों पर हुआ आयकर का एक्शन...
आयकर विभाग की टीमों ने इन बड़े नामों के यहां छापेमारी की थी
राजेश शर्मा (कस्तूरबा नगर निवासी, कंस्ट्रक्शन कारोबारी और त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक)।
राजकुमार सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )
रामवीर सिंह सिकरवार ( कंस्ट्रक्शन कारोबारी )
विश्वनाथ साहू (रियल एस्टेट कारोबारी)
दीपक भावसार (पूर्व मंत्री के करीबी )
विनोद अग्रवाल (रियल एस्टेट कारोबारी)
प्रदीप अग्रवाल (रियल एस्टेट कारोबारी)
रूपम सेवानी (रियल एस्टेट कारोबारी)
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