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इंदौर में बीजेपी संगठन पर अपना प्रभुत्व जमाने और अपना व्यक्ति बैठाने के चक्कर में गुटबाजी तेज हो गई है। इस गुट में एक और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय हैं, जिनके साथ हमेशा की तरह विधायक रमेश मेंदोला हैं। साथ ही विधायक गोलू शुक्ला भी। उधर, मंत्री तुलसी सिलावट का एक अनकहा गुट बन गया है, जिसमें विधायक मनोज पटेल और विधायक उषा ठाकुर हैं। उधर, विधायक मालिनी गौड़, मधु वर्मा और महेंद्र हार्डिया परिस्थितियों के अनुसार साथ दे रहे हैं। हालांकि यह तय है कि विधायक गौड़ मंत्री विजयवर्गीय गुट के साथ तो नहीं हैं।
क्यों बना है यह गुट
दरअसल यह पूरा गुट ग्रामीण जिलाध्यक्ष के बाद नगराध्यक्ष की कुर्सी के लिए चले दांवपेच के कारण बना है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र व पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय के लिए पहले नगराध्यक्ष की कुर्सी तलाशी जा रही थी। लेकिन स्थितियां अनुकूल नहीं मिलने पर यहां से सुमित्र मिश्रा और टीनू जैन का नाम आगे बढ़ाया गया। उनके गुट के नाम आगे बढ़ते देख दूसरा खेमा सक्रिय हुआ, क्योंकि पहले से ही ग्रामीण जिलाध्यक्ष में चिंटू वर्मा मंत्री विजयवर्गीय के खेमे के ही एकदम खासमखास है। ऐसे में दूसरे विधायकों को संगठन से अपना प्रभुत्व फिसलते दिखा। इसके लिए पहले तो ग्रामीण के विधायक एकजुट हुए और तीनों ने चिंटू के खिलाफ रायशुमारी में दूसरे नाम रख दिए। उधर चिंटू की कुर्सी खतरे में देख, मंत्री विजयवर्गीय गुट भी सक्रिय हुआ और ग्रामीण जिलाध्यक्ष के साथ ही नगराध्यक्ष के लिए एकदम लॉबिंग में जुट गया।
नगराध्यक्ष के लिए किसका चलेगा दांव
नगराध्यक्ष के लिए जिस दिन रायशुमारी हो रही थी, उस दिन विधायक रमेश मेंदोला ने बीजेपी दफ्तर में मोर्चा संभाला और सभी नेताओं को एक-एक कर कोने में ले जाकर अपने नाम देने के लिए कहा। इसमें मुख्य तौर पर सुमित और फिर टीनू जैन का नाम था। यह गुट ने यह कहा कि रणदिवे को तो अब हटना ही है उनके पांच साल हो गए हैं तो यह हमारे नाम दे दो यह अच्छा काम करेंगे। उधर रणदिवे के नाम पर वरिष्ठ नेता और मराठी नेता दोनों साथ है इसमें सुमित्रा महाजन, कृष्णमुररी मोघे जैसे कई नाम हैं। उधर टीनू जैन के मामले में यह कॉमन है कि वह प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ ही विधानसभा एक, दो और तीन की पसंद वालों में भी शामिल हैं। वहीं एमआईसी मेंबर बबलू शर्मा भी तेजी से दौड़ में आए हैं और वह महापौर पुष्यमित्र भार्गव को पसंद हैं तो साथ ही प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भी।
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गोलू ने समय के साथ रणदिवे को छोड़ा
उधर, इस दौड़ में गोलू शुक्ला ने जिस तरह से रणदिवे का साथ छोड़ा है वह भी पार्टी दफ्तर में चर्चा का विषय है, क्योंकि जब गोलू कुछ नहीं थे तब रणदिवे ने उन्हें लगातार बड़े आयोजनों में मंच पर बैठाया। रणदिवे की उस समय तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान, सुहाष भगत इनके साथ अच्छी ट्यूनिंग थी जिसका लाभ रणदिवे ने गोलू को दिलवाया और वह आईडीए उपाध्यक्ष भी बने और फिर टिकट भी मिल गया। लेकिन बाद में गोलू ने खेमा बदल दिया और विधानसभा तीन में जीत के लिए कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला के साथ हो गए।
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इंदौर ग्रामीण के लिए इस तरह लॉबिंग
उधर इंदौर ग्रामीण जिलाधय्क्ष बीजेपी के लिए चल रही दौड़ में चिंटू वर्मा विरोध के बीच भी भारी है, क्योंकि उन्हें पद पर अभी नौ माह की ही समय हुआ है। लेकिन समीकरण बदले और सभी गुट को साधने की बात आई तो फिर उनकी कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी। मंत्री सिलावट ने अपनी ओर से अंतर दयाल का नाम आगे बढ़ाया है, यह सोनकच्छ विधायक डॉ. राजेश सोनकर के भी करीबी हैं, जिनकी पार्टी में ठीक पकड़ है। उधर पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए संघ के करीबी घनश्याम नारोलिया का नाम भी दौड़ में है।
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