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रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत होते ही मध्य प्रदेश में एक सोशल मीडिया संदेश ने सियासी और सामाजिक हलचल मचा दी है। इस संदेश में मुस्लिम समुदाय से अपील की जा रही है कि वे सिर्फ मुस्लिम दुकानदारों से सामान खरीदें। इस संदेश के वायरल होते ही राज्य की सियासत गरमा गई है और इस पर प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई हैं। हालांकि, कई मुस्लिम समाज के लोगों ने इस संदेश को गलत परंपरा करार देते हुए इसे नकारा किया और कहा कि वे इस तरह के संदेशों पर ध्यान नहीं देंगे, क्योंकि यह समाज में दरार डालने की कोशिश है।
रमजान के दौरान सोशल मीडिया पर एक यूज़र इबरार अहमद ने एक संदेश शेयर किया, जिसमें मुस्लिम समुदाय से अपील की गई कि वे अपनी खरीदारी सोच-समझकर करें, खास तौर पर उन दुकानदारों से खरीदारी करें जो रमज़ान और ईद की खुशियां मनाने में सक्षम हों। उन्होंने संदेश में लिखा, रमज़ान का मुबारक महीना आ गया है। खरीदारी सोच-समझकर करें, खास तौर पर उनसे जो आपकी खरीदारी से रमज़ान और ईद खुशी से मना सकें। इस संदेश के फैलने से मध्य प्रदेश में बहस छिड़ गई है और कई लोग इसे समाज को बांटने की कोशिश मान रहे हैं।
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इस वायरल संदेश पर सियासी बवाल भी शुरू हो गया है। बीजेपी विधायक और पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने इसे लेकर तंज कसते हुए कहा, "जब हिंदुओं के कुंभ में मुस्लिमों को दुकान लगाने से रोकने की बात होती है, तो खूब हल्ला मचता है। लेकिन अब ये पार्टियां चुप क्यों हैं?" वहीं, कांग्रेस ने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में समाज में इतना तनाव बढ़ चुका है कि अब लोग धर्म के आधार पर खरीदारी करने की बात कर रहे हैं। एमपी कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने इस तरह के संदेशों को समाज के लिए खतरनाक बताया।
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इससे पहले, पिछले साल दिवाली पर भी हिंदू समुदाय से 'अपना त्यौहार, अपनों के साथ' हैशटैग के साथ हिंदू दुकानदारों से खरीदारी करने की अपील की गई थी। अब रमज़ान में इसी तरह का अभियान सामने आने से दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई है। बीजेपी इसे विपक्ष की चुप्पी से जोड़ रही है, जबकि कांग्रेस इसे सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा मान रही है। यह स्थिति साफ करती है कि त्योहारों के दौरान इस तरह के संदेशों से समाज में तनाव और विवाद पैदा हो सकते हैं।
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