भोपाल में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर राजेश सोरते पर राजगढ़ के पचोर थाने में महिला कर्मचारी के साथ रेप मामले में केस दर्ज हुआ है। अब इस मामले में 'द सूत्र' चौंकाने वाला खुलासा कर रहा है कि सोरते और उनके उप पंजीयक भाई चंदू सोरते के जाति प्रमाणपत्र ही कठघरे में हैं, जिसके आधार पर उन्हें यह नौकरी मिली है।
साल 2021 में आयोग ने जांच के लिए लिखा था पत्र
साल 2021 में सोरते बंधुओं के प्रमाणपत्र का मामला उछला था। मप्र अनुसुचित जाति आयोग को इस संबंध में पत्र मिला था, जिसमें शिकायत की गई थी कि सोरते मूल रूप से छिंदवाड़ा के पांढुर्ना (अब यह अलग जिला है) के रहने वाले हैं और इनका जाति प्रमाणपत्र भोपाल की हुजुर तहसील से बना हुआ है। इन्हीं सर्टिफिकेट के आधार पर इन्हें नौकरी मिली है। इस पर आयोग के राज्य मंत्री स्तर के दर्जा प्राप्त सदस्य प्रदीप अहिरवार ने इसकी जांच के लिए पत्र लिखा था।
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इन्हें लिखा गया था पत्र
अहिरवार ने इनके सर्टिफिकेट की जांच के लिए छानबीन समिति के आयुक्त को पत्र लिखा था। यह पत्र 27 अक्टूबर 2021 को भेजा गया। इसमें फर्जी प्रमाणपत्र की जांच करने और इसके आधार पर शासकीय सेवा लेने पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। लेकिन इसके बाद क्या हुआ यह जांच का विषय है।
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क्या बोल रहे तत्कालीन सदस्य?
'द सूत्र' ने इस संबंध में अहिरवार से बात की, उन्होंने कहा कि हां यह मामला मेरे पास शिकायत में आया था, लेकिन प्रमाणपत्र की जांच हम नहीं कर सकते हैं, इसलिए यह मामला छानबीन समिति को भेज दिया गया था। इसके बाद क्या हुआ इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
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