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मध्य प्रदेश में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए प्रदेश का पहला चार मंजिला रीजनल इंस्टीट्यूट फॉर रेस्पिरेटरी डिजीज सेंटर (RIRD) बनने जा रहा है। यह संस्थान ईदगाह हिल्स भोपाल में स्थापित होगा। इसके लिए 82 करोड़ रुपए की लागत निर्धारित की गई है। इस केंद्र का उद्देश्य फेफड़ों की विभिन्न बीमारियों का इलाज करना है। साथ ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है। बता दें कि एक साल से इसका निर्माण कार्य रुका हुआ था, वहीं अब इसका काम शुरू होने की उम्मीद है।
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जानें क्यों रुका था निर्माण कार्य
इस संस्थान का निर्माण कार्य पहले से ही शुरू हो चुका था। इसमें एक बड़ा रुकावट आ गई जब यह पाया गया कि जिस जमीन पर निर्माण हो रहा था, वह एक कोर्ट केस में उलझी हुई है। इसके अलावा, यह क्षेत्र सेना की जमीन से सटा हुआ था। सैन्य अनुमति के बिना निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। बाद में सेना ने आपत्ति जताई और निर्माण कार्य पूरी तरह से रोक दिया गया। इसके बाद कागजी कार्रवाई शुरू की गई, और सैन्य अनुमति की प्रक्रिया अब चल रही है।
चार बार बदला गया प्लान
रीजनल इंस्टीट्यूट फॉर रेस्पिरेटरी डिजीज के प्लान को चार बार बदला जा चुका है। पहले इस संस्थान के निर्माण के लिए हमीदिया परिसर को चुना गया था। बाद में इसे बदलकर दूसरे स्थानों पर विचार किया गया। अंत में यह तय किया गया कि यह संस्थान ईदगाह हिल्स के पुराने टीबी अस्पताल परिसर में बनेगा। जहां अब चार मंजिला बिल्डिंग का निर्माण होगा। इस संस्थान की ऊंचाई 12 मीटर होगी और यह ग्राउंड फ्लोर के साथ चार मंजिला होगा।
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फेफड़ों से जुड़ी सभी बीमारियों का होगा इलाज
यह संस्थान फेफड़ों से जुड़ी सभी बीमारियों का इलाज करेगा। इसमें फेफड़ों का कैंसर, टीबी, दमा, सांस की तकलीफ और खर्राटे जैसी समस्याओं की जांच शामिल है। इस संस्थान में वेंटिलेटर, एक्स-रे, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, अल्ट्रासाउंड और मेडिसिन जैसी सभी जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे प्रदेश के नागरिकों को उन्नत चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी।
मशीनें खा रही धूल
2019 में इस केंद्र को रीजनल इंस्टीट्यूट का दर्जा दिया गया था। इसके बाद, फेफड़ों की जांच के लिए कई उन्नत मशीनें जैसे स्लीप लैब और अन्य मशीनें खरीदी गई थीं। निर्माण कार्य में देरी होने के कारण ये सभी मशीनें अब धूल खा रही हैं। उनका सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। यह समस्या अस्पताल की क्षमता बढ़ाने के लिए एक बड़ी रुकावट बन चुकी है।
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चल रही कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया
संस्थान के निर्माण के लिए जिस जमीन का चयन किया गया है, वह सेना के क्षेत्र से 100 मीटर के दायरे में आती है। इसके कारण, इस क्षेत्र में निर्माण कार्य से पहले सेना की अनुमति आवश्यक है। लेकिन अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया। इसके बाद सेना ने आपत्ति जताई और निर्माण कार्य रोक दिया। अब इस अनुमति प्रक्रिया को पूरी तरह से कागजी रूप में शुरू किया जा चुका है।
जानें कब से शुरू होगा निर्माण कार्य
प्रभारी अधिकारी के अनुसार, जैसे ही सैन्य अनुमति मिल जाएगी, निर्माण कार्य फिर से शुरू कर दिया जाएगा। संस्थान को दो साल में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि यह संस्थान प्रदेश में सांस संबंधी बीमारियों के इलाज का प्रमुख केंद्र बनेगा। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
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